February 20, 2025
हृदय की मांसपेशियों में भी मौजूद होते हैं 'मीठे स्वाद' के रिसेप्टर्स : अध्ययन

हृदय की मांसपेशियों में भी मौजूद होते हैं ‘मीठे स्वाद’ के रिसेप्टर्स : अध्ययन​

शोधकर्ताओं ने पाया है कि हमारे हृदय में भी "मीठे स्वाद" के रिसेप्टर (स्वाद ग्रहण करने वाली संरचनाएं) होते हैं, जैसे हमारी जीभ पर होते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि जब इन रिसेप्टर्स को मीठे पदार्थों से सक्रिय किया जाता है, तो हृदय की धड़कन प्रभावित हो सकती है.

शोधकर्ताओं ने पाया है कि हमारे हृदय में भी “मीठे स्वाद” के रिसेप्टर (स्वाद ग्रहण करने वाली संरचनाएं) होते हैं, जैसे हमारी जीभ पर होते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि जब इन रिसेप्टर्स को मीठे पदार्थों से सक्रिय किया जाता है, तो हृदय की धड़कन प्रभावित हो सकती है.

शोधकर्ताओं ने पाया है कि हमारे हृदय में भी “मीठे स्वाद” के रिसेप्टर (स्वाद ग्रहण करने वाली संरचनाएं) होते हैं, जैसे हमारी जीभ पर होते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि जब इन रिसेप्टर्स को मीठे पदार्थों से सक्रिय किया जाता है, तो हृदय की धड़कन प्रभावित हो सकती है. इस खोज से हृदय के कार्य करने के तरीके को बेहतर समझने और हृदय की बीमारियों के नए इलाज विकसित करने की संभावनाएं खुल सकती हैं. नए अध्ययन में पाया गया कि ये रिसेप्टर सिर्फ हृदय की मांसपेशियों में मौजूद ही नहीं होते, बल्कि सक्रिय भी होते हैं. जब वैज्ञानिकों ने इंसान और चूहे की हृदय कोशिकाओं में कृत्रिम मिठास देने वाले पदार्थ एस्पार्टेम से इन रिसेप्टर्स को उत्तेजित किया, तो हृदय की मांसपेशियों के संकुचन की शक्ति बढ़ गई और कैल्शियम को नियंत्रित करने की प्रक्रिया तेज हो गई. ये दोनों ही बातें एक स्वस्थ हृदय के लिए बहुत जरूरी होती हैं.

अब तक स्वाद रिसेप्टर्स को जीभ से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन हाल के शोधों में पाया गया है कि ये शरीर के अन्य हिस्सों में भी मौजूद होते हैं और वहां अलग-अलग कार्य करते हैं. यह पहली बार है जब किसी अध्ययन ने विशेष रूप से हृदय की मांसपेशियों की सतह पर “मीठे स्वाद” के रिसेप्टर (टीएएस1आर2 और टीएएस1आर3) की पहचान की है. शोधकर्ता माइका योडर, जो शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं, बताते हैं, “जब हम खाना खाते हैं, तो हृदय गति और रक्तचाप बढ़ता है. पहले यह माना जाता था कि यह सिर्फ तंत्रिका तंत्र के संकेतों के कारण होता है.”

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लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि भोजन के बाद रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने से ये मीठे स्वाद वाले रिसेप्टर सक्रिय हो जाते हैं और हृदय की धड़कन में बदलाव ला सकते हैं. दिलचस्प बात यह भी है कि इन रिसेप्टर्स की संख्या हृदय रोगियों के हृदय में अधिक पाई गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि इनका हृदय रोग से कोई संबंध हो सकता है. शोध में यह भी पता चला कि जब ये रिसेप्टर सक्रिय होते हैं, तो हृदय कोशिकाओं के अंदर एक विशेष प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण प्रोटीन कैल्शियम के प्रवाह और मांसपेशियों की संकुचन प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं.

इसके अलावा, यह अध्ययन यह भी बता सकता है कि कृत्रिम मिठास वाले पेय अधिक पीने से हृदय की धड़कन असामान्य क्यों हो सकती है. वैज्ञानिकों ने पाया कि खासतौर पर एस्पार्टेम जैसे कृत्रिम मिठास पदार्थ इन रिसेप्टर्स को बहुत ज्यादा उत्तेजित कर सकते हैं, जिससे हृदय की धड़कन असामान्य हो सकती है. हालांकि, अभी इस पर और शोध की जरूरत है कि लंबे समय तक इन रिसेप्टर्स को उत्तेजित करने के क्या प्रभाव हो सकते हैं और क्या इन्हें हृदय को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

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