झारखंड के मुख्यमंत्री और झामुमो के नेता हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के लिए यह साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. साल की शुरुआत में जहां उन्हें जेल जाना पड़ा तो दूसरी ओर अब विधानसभा चुनाव में उन्हें जबरदस्त जीत मिली है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के लिए 2024 की शुरुआत और अंत इससे ज्यादा अलग नहीं हो सकते थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता को भूमि घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने साल की शुरुआत में हिरासत में ले लिया था और उन्होंने गिरफ्तार होने से पहले ही झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अब वर्ष में एक महीना शेष रहते सोरेन प्रचंड जीत के सूत्रधार के रूप में उभरे हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि राज्य में इंडिया गठबंधन सत्ता में बना रहेगा और उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में लगातार दूसरा कार्यकाल मिलेगा.
झामुमो नेता को बीच में कई अन्य झटके भी लगे. 31 जनवरी को सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनके दिवंगत भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी और उनकी भाभी सीता सोरेन मार्च में भाजपा में शामिल हो गईं. वह सोरेन की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने के कथित कदमों से नाराज थीं और मई में ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों के लिए उन्हें झामुमो से निष्कासित कर दिया गया था.
5 महीने तक जेल में रहे सोरेन
पूर्व मुख्यमंत्री को उनकी गिरफ्तारी के पांच महीने बाद जून में झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी. साथ ही अदालत ने माना कि प्रथम दृष्टया वह दोषी नहीं थे.
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी और पार्टी में नंबर तीन माने जाने वाले चंपई सोरेन को हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था. हालांकि समस्या उस वक्त पैदा होने लगी जब जुलाई में सोरेन की रिहाई के बाद पार्टी ने उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा.
भाजपा में शामिल हो गए चंपई सोरेन
इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन ने कहा, “जब नेतृत्व बदला तो मुझे जिम्मेदारी दी गई थी. आप घटनाओं का क्रम जानते हैं. हेमंत सोरेन के वापस आने के बाद हमने (गठबंधन ने) उन्हें अपना नेता चुना और मैंने इस्तीफा दे दिया है. मैं गठबंधन द्वारा लिए गए निर्णय का पालन कर रहा हूं.”
वह एक महीने बाद यह दावा करते हुए भाजपा में शामिल हो गए कि उन्हें अपमानित किया गया है और वह लोगों को न्याय दिलाना चाहते हैं. भाजपा ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन पर राज्य में “घुसपैठ” की इजाजत देने का भी आरोप लगाया. यह ऐसा मुद्दा था जो मतदाताओं के बीच जोर पकड़ता भी नजर आया.
झामुमो की सीटें बढ़कर 34 हुई
साथ ही राष्ट्रीय जनता दल जैसे सहयोगियों के साथ सीट-बंटवारे में कुछ परेशानी के बाद सोरेन ने इस साल 81 सदस्यीय विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या 34 कर ली है, जो 2019 में 30 थी. कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है. राजद और सीपीआई (एमएल) ने सत्तारूढ़ गठबंधन की संख्या को 56 तक पहुंचा दिया है, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने केवल 24 सीटें जीती हैं.
NDTV India – Latest
More Stories
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला
UPSC CSE Topper: यूपीएससी सीएसई फाइनल रिजल्ट upsc.gov.in पर जारी, शक्ति दुबे ने किया टॉप, टॉपर्स की लिस्ट देखें
चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 22 जगहों के नाम बदले, सीएम पेमा खांडू बोले- ‘ये उनका पुराना हथकंडा’