मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में जनसंख्या वृद्धि पर कहा था कि यदि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम हो जाती है तो समाज का पतन निश्चित है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा जनसंख्या को लेकर दिए गए बयान के बाद सियासी माहौल गरमा गया है. उन्होंने कहा था कि यदि देश की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम हो जाती है, तो समाज का पतन निश्चित हो जाएगा. उनके इस बयान को लेकर सियासी प्रतिक्रिया तेज हो गई है, खासकर असदुद्दीन ओवैसी और झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही है.
बाबूलाल मरांडी ने आईएएनएस से कहा कि मोहन भागवत ने ज्यादा कुछ नहीं कहा है. दो-तीन बच्चे तो होने ही चाहिए, अगर दो भी होंगे तो बराबर हो जाएगा. भागवत ने यह बयान देश के हित में दिया है. मीडियाकर्मियों से उन्होंने अनुरोध किया कि आप लोग रिपोर्ट को ठीक से पढ़िए और लोगों को इस पर सही जानकारी दीजिए.
भागवत के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि संघ प्रमुख का बयान समाज में नफरत फैलाने का एक और प्रयास है. उन्होंने इस बयान को विवादास्पद और सांप्रदायिकता से प्रेरित बताया. ओवैसी ने मोहन भागवत पर हमला करते हुए कहा कि ऐसे बयान केवल देश में असंतोष और विवाद को बढ़ावा देते हैं.
बाबूलाल मरांडी ने ओवैसी पर बयान पर कहा कि यह तो एक रिपोर्ट है, जो विशेषज्ञों ने तैयार की है. टोपी वाले लोग कुछ समझ नहीं पाते और हैदराबाद के टोपी वाले को संघ के खिलाफ बोलने का शौक रहता है. वह जो भी बोलते हैं, केवल विवाद खड़ा करने के लिए बोलते हैं. ओवैसी को केवल संघ के खिलाफ बोलने का मौका चाहिए, जबकि मोहन भागवत का बयान सिर्फ वैज्ञानिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से था.
मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में जनसंख्या वृद्धि पर कहा था कि यदि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम हो जाती है तो समाज का पतन निश्चित है. मनुष्य के जन्म दर को एक नहीं रखा जा सकता, इसलिए कम से कम दो या तीन बच्चों का जन्म होना चाहिए.
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