वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रह सकता है. कुछ दिन पहले यूरोप की जलवायु एजेंसी ने भी ठीक यही अनुमान जाहिर किया है.
नवंबर लगभग आधा बीत चुका है और पंखे चल रहे हैं. पसीने छूट रहे हैं. दिल्ली ही नहीं यह हाल सभी शहरों का है. पहाड़ों पर भी वैसी ठंड नहीं है, जैसी कभी पड़ा करती थी. आखिर कुदरत को क्यों ‘बुखार’ चढ़ा हुआ है! दरअसल धरती को यह बुखार अल नीनो की वजह से चढ़ा है. वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रह सकता है. कुछ दिन पहले यूरोप की जलवायु एजेंसी ने भी ठीक यही अनुमान जाहिर किया है.
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले आई रिपोर्ट
यूरोपीय जलवायु परिवर्तन एजेंसी ‘कॉपरनिकस’ ने कहा कि यह लगभग तय है कि साल 2024 अब तक का सबसे गर्म साल होगा और औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा. यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने बताया कि ऐसा दूसरा साल है जब इतिहास में अक्टूबर का महीना सबसे गर्म रहा है. शिखर सम्मेलन में देशों से जलवायु संबंधी नए वित्तीय सहायता समझौते पर सहमत होने की उम्मीद है, जिसे विकसित देशों को 2025 से विकासशील देशों को देना होगा ताकि उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने और अनुकूलन में मदद मिल सके.
कॉपरनिकस के निदेशक ने कही ये बात
कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओनटेंपो ने हाल ही में कहा, “मैं समझता हूं कि तापमान में निरंतर वृद्धि चिंताजनक है.” बुओनटेंपो ने कहा कि आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि अगर वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की निरंतर वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग नहीं होती, तो धरती पर रिकॉर्ड तोड़ तापमान का इतना लंबा क्रम देखने को नहीं मिलता. बुओनटेंपो और अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव का यह सिलसिला एक बुरा संकेत है.
उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने भी जताई चिंता
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने भी बताया था कि, “2024 के 10 महीने बीतने के बाद अब यह लगभग तय है कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा. यह पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाला पहला वर्ष होगा. यह वैश्विक तापमान रिकॉर्ड में एक नया मील का पत्थर है, जो आगामी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘सीओपी29’ में जलवायु संबंधी लक्ष्य को पाने की महत्वाकांक्षा बढ़ाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करना चाहिए.”
2023 के बाद इस साल भी अक्टूबर सबसे गर्म महीना रहा
सी3एस के वैज्ञानिकों ने कहा कि 2023 के बाद इस साल भी अक्टूबर वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे गर्म महीना रहा, जब औसत सतही वायु तापमान 15.25 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1991-2020 के दौरान अक्टूबर के महीने में औसत तापमान से 0.80 डिग्री सेल्सियस अधिक था. उन्होंने कहा कि 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक है, इसलिए यह भी लगभग निश्चित है कि 2024 का वार्षिक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा और इसके 1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है.
भारत मौसम विभाग ने नवंबर के और गर्म रहने की संभावना जताई
पेरिस में 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की प्रतिबद्धता जताई थी. सी3एस ने कहा कि यूरोप, उत्तरी कनाडा में तापमान औसत से अधिक था तथा मध्य और पश्चिमी अमेरिका, उत्तरी तिब्बत, जापान और ऑस्ट्रेलिया में तापमान औसत से काफी अधिक था. भारत में 1901 के बाद से अक्टूबर सबसे गर्म महीना रहा, जिसमें औसत तापमान सामान्य से 1.23 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने नवंबर के और गर्म होने का अनुमान जताया है. (इनपुट भाषा से भी)
NDTV India – Latest
More Stories
देश-विदेश में रोड शो… 220 वाहनों की खरीद, महाकुंभ 2025 को लेकर योगी कैबिनेट का बड़ा फैसला
सिंघम अगेन के बाद अजय देवगन को लगा दूसरा झटका, नई फिल्म के पहले ही दिन कैंसिल हुए शोज
PM मोदी ने विदेश यात्रा पर उपहारों के जरिए दिखाई भारतीय संस्कृति की विरासत