दालों की कीमतों में भी 10 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. हालांकि रिपोर्ट कहती है कि दिसंबर महीने में नई फसलों की आवक आने से इन उत्पादों के दाम गिरने की संभावना है.
टमाटर और आलू की कीमतें बढ़ने से नवंबर के महीने में घरेलू शाकाहारी भोजन साल भर पहले की तुलना में सात प्रतिशत तक महंगा हो गया. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मासिक ‘रोटी चावल दर’ रिपोर्ट कहती है कि नवंबर महीने में शाकाहारी थाली की कीमत सालाना आधार पर सात प्रतिशत बढ़कर 32.7 रुपये हो गई.
वहीं, मांसाहारी थाली के दाम दो प्रतिशत बढ़े हैं. शाकाहारी थाली महंगी होने का मुख्य कारण टमाटर की कीमतों में 35 प्रतिशत और आलू की कीमतों में 50 प्रतिशत की उच्च बढ़ोतरी है. पिछले महीने टमाटर के दाम 53 रुपये प्रति किलो और आलू के दाम 37 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए.
इसके अलावा, दालों की कीमतों में भी 10 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. हालांकि रिपोर्ट कहती है कि दिसंबर महीने में नई फसलों की आवक आने से इन उत्पादों के दाम गिरने की संभावना है.
नवंबर में आयात शुल्क में बढ़ोतरी की वजह से वनस्पति तेल की कीमतें भी 13 प्रतिशत तक बढ़ गईं. राहत की बात यह रही कि एलपीजी की कीमतों में कटौती से ईंधन लागत 11 प्रतिशत घट गई. इससे घरेलू थाली की लागत पर दबाव कम करने में मदद मिली.
बीते महीने मांसाहारी थाली की कीमत भी दो प्रतिशत बढ़कर 61.5 रुपये हो गई. इस दौरान ब्रॉयलर मुर्गे की कीमत तीन प्रतिशत बढ़ी. मांसाहारी थाली की गणना में ब्रॉयलर का भारांक 50 प्रतिशत है.
अक्टूबर की तुलना में शाकाहारी थाली की कीमत में दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जिसके पीछे टमाटर की कीमतों में 17 प्रतिशत की मासिक गिरावट की अहम भूमिका रही. वहीं मांसाहारी थाली की कीमत स्थिर रही.
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