Delhi AAP vs Centre Ordinance Row: दिल्ली पर अधिकार के लिए केंद्र सरकार और आप की दिल्ली सरकार के बीच जंग छिड़ी हुई है। AAP सरकार को सुप्रीम कोर्ट में राज्य की नौकरशाही का अधिकार मिल जाने के बाद रातों रात केंद्र सरकार ने उसे अपने अधीन करने के लिए अध्यादेश ला दिया। एक बार फिर मामला सुप्रीम कोर्ट है लेकिन केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार विपक्षी एकजुटता से राज्यसभा में कानून बनने से रोकने में लगी हुई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात करने के बाद केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की है। उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी थे।
यह 2024 का सेमीफाइनल होगा
केजरीवाल ने मुलाकात कर समर्थन मांगने के साथ यह संदेश दिया कि आज दिल्ली के साथ जो हो रहा वह किसी भी सरकार के साथ बीजेपी कर सकती है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के नौकरशाहों की सेवाओं के अध्यादेश को बदलने वाला अध्यादेश अगर राज्यसभा में बीजेपी की केंद्र सरकार पास करवाने में विफल होती है तो यह 2024 का सेमीफाइनल होगा।
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को दिल्ली के बहाने घेरा…
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्ष शासित राज्यों पर अत्याचार किए जा रहे हैं। सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही देश को बचा सकता है। लेकिन यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को भी पलटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इतने सालों के बाद एक कड़ा फैसला दिया। लेकिन केंद्र सरकार चाहती है कि वह अध्यादेशों को लाकर राज्यपालों के माध्यम से राज्यों पर शासन करें। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करती है। ममता बनर्जी ने कहा, “वे (भाजपा) क्या सोचते हैं? क्या हम उनके बंधुआ मजदूर हैं? क्या हम उनके नौकर हैं? हमें चिंता है कि वे संविधान को बदल सकते हैं और देश का नाम पार्टी के नाम पर बदल सकते हैं। वे संविधान को बुलडोज़र करना चाहते हैं। यह बुलडोजर द्वारा बुलडोजर के लिए, बुलडोजर की सरकार है।
भगवत मान ने कहा कि बीजेपी संविधान के लिए खतरा…
बीजेपी को संविधान के लिए खतरा बताते हुए भगवंत मान ने कहा कि अगर 30 राज्यपाल और एक प्रधानमंत्री देश चलाना चाहते हैं तो चुनाव पर इतना खर्च क्यों करते हैं? अगर उपराज्यपाल का मतलब सरकार है तो करोड़ों लोग चुनाव में मतदान क्यों कर रहे हैं?
केजरीवाल बोले-यह सबकी लड़ाई है…
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह नियंत्रण की लड़ाई केवल दिल्ली के बारे में नहीं है। यहां तक कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी यही काम करते हैं। यहां तक कि (भगवंत) मान भी यही आरोप लगा रहे हैं कि उनके यहां सरकार को परेशान किया जा रहा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने मुझे बताया कि राज्यपाल बहुत सारे बिलों पर बैठे हैं।
क्या है दिल्ली में नौकरशाही के नियंत्रण को लेकर पूरा विवाद?
दरअसल, दिल्ली में उपराज्यपाल और राज्य सरकार के बीच हमेशा से प्रशासन पर नियंत्रण को लेकर ठनी रहती थी। राज्य सरकार कोई भी आदेश देते तो उप राज्यपाल प्रशासन को आदेश देकर उसे डिले या रोक देते। तमाम बार दिल्ली की आप सरकार और उप राज्यपाल में इस तरह के टकराव सामने आए। इसको लेकर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि चुनी हुई राज्य सरकार नौकरशाहों के नियंत्रण के मामले में दिल्ली की बॉस है। ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि आप सरकार का प्रशासनिक नियंत्रण होगा न कि उप राज्यपाल का। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार की देर शाम को एक अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
केंद्र सरकार ने बना लिया राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण
केंद्र सरकार ने अध्यादेश में एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बना दिया। इस प्राधिकरण के अधीन ही दिल्ली में सेवारत नौकरशाहों की पोस्टिंग और स्थानांतरण का काम सौंप दिया गया है। प्राधिकरण के सदस्य मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव को बना दिया गया। अगर प्राधिकरण वोटिंग से फैसले नहीं ले सकता तो फैसला लेने का अधिकार उप राज्यपाल के पास होगा। यानी पुन: उपराज्यपाल को सर्वेसर्वा बना दिया गया और दिल्ली सरकार के अधिकार समाप्त कर दिए गए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला, 2015 में सेवा विभाग को उपराज्यपाल के नियंत्रण में रखने के केंद्र के फैसले के बाद, केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच आठ साल के संघर्ष के बाद दिया। उधर, सुप्रीम कोर्ट में छुट्टियां हो जाने की वजह से आप सरकार की सुनवाई में देर है।
अब राज्यसभा में बिल रोकने के लिए प्रयासरत हैं केजरीवाल
आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल,अब इस प्रयास में हैं कि केंद्र सरकार अध्यादेश को राज्यसभा में पास न करा सके। दरअसल, बीजेपी की राज्यसभा में बहुमत नहीं है। अगर उसे कोई बिल राज्यसभा में पास कराना होगा तो दूसरे दलों का सहारा लेना होगा। ऐसे में केजरीवाल प्रमुख विपक्षी दलों को साधने के साथ सभी गैर बीजेपी दलों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं।
इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं। उनके राज्यसभा में अध्यादेश को रोकने की योजना पर चर्चा करने के लिए मुंबई में 24 और 25 मई को शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने की उम्मीद है। इसके पहले वह मंगलवार को ममता बनर्जी से मिले। तृणमूल कांग्रेस के 12 राज्यसभा सांसद हैं। पवार की पार्टी के चार तो शिवसेना यूबीटी के तीन राज्यसभा सांसद हैं।
मानसून सत्र में अध्यादेश को संसद में पेश कर सकती है बीजेपी
माना जा रहा है कि बीजेपी जुलाई में प्रस्तावित मानसून सत्र में अध्यादेश को संसद के सामने रखेगी और दोनों सदनों में पास कराने की कोशिश करेगी। राज्यसभा में फिलहाल 238 सदस्य हैं। बहुमत के लिए 119 सदस्यों का समर्थन चाहिए। एनडीए के पास 8 सांसदों की संख्या कम है।