लालू प्रसाद यादव को मिल गई जमानत, ‘पिंजरे में बंद तोता’ करता रह गया विरोध

आखिरकार साढ़े तीन साल बाद राजद प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जमानत (Lalu Yadav got bail) मिल गई। चारा घोटाले के दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने लालू यादव को जमानत दी है। राजद प्रमुख ने आधी सजा काटने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के आधार पर जमानत मांगी थी। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की बेंच ने अदालत की कुछ शर्ताें के साथ जमानत दे दी। पूर्व मुख्यमंत्री फिलहाल एम्स में भर्ती हैं। जमानत की जानकारी देते हुए बिहार के नेता प्रतिपक्ष व उनके पुत्र तेजस्वी यादव ने बताया कि राजद प्रमुख का इलाज एम्स में चल रहा है। उनको नियमित जमानत मिल गई है। अभी उनको कई तकलीफें हैं, इसलिए अस्पताल में ही रहेंगे।

किन शर्ताें में अदालत ने दी जमानत

लालू प्रसाद के खिलाफ झारखंड में पांच मामले चल रहे थे। अबतक तीन मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है। शनिवार को चैथे मामले में भी उन्हें नियमित जमानत मिल गयी है। अब कुल चार मामलों में लालू यादव को जमानत मिल चुकी है (Lalu Yadav got bail)। पांचवा मामला डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित है जिसपर सीबीआई कोर्ट में सुनवाई अभी चल रही है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू प्रसाद को एक लाख के निजी मुचलके, दस लाख जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया है। लालू प्रसाद को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। बिना कोर्ट की अनुमति के वे विदेश नहीं जा सकेंगे। उन्हें अपना मोबाइल नंबर और पता भी नहीं बदलने का निर्देश अदालत ने दिया है।

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने की जिरह

लालू की ओर से पक्ष रखते हुए देश के जाने माने एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनायी है। छह अप्रैल को ही 42 माह जेल में बीत चुके हैं। उनकी आधी सजा पूरी हो गयी है। इस कारण उन्हें जमानत प्रदान की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी आधी सजा पूरी करने के बाद जमानत प्रदान करने का कई मामलों में आदेश दिया है।

सीबीआई ने किया विरोध रोक न सके जमानत

सीबीआई की ओर से लालू प्रसाद को जमानत का विरोध किया गया। सीबीआई का कहना था कि दुमका कोषागार में लालू प्रसाद को सीबीआई कोर्ट ने आईपीसी में सात और पीसी एक्ट के तहत सात साल की सजा सुनायी है। कोर्ट ने दोनों सजा अलग-अलग चलाने का आदेश दिया है। ऐसे में लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी में कुल 14 साल की सजा मिली है। सात साल जेल में बिताने के बाद ही उनकी आधी सजा पूरी होगी। इस तरह उनकी आधी सजा पूरी नहीं हुई है। इसलिए वह जमानत के हकदार नहीं है।

CBI की इस दलील का कपिल सिब्बल ने विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में कई और अन्य आरोपियों को सात साल की सजा मान कर ही जमानत प्रदान की गयी है। उन मामलों में सीबीआई ने यह दलील नहीं दी थी, फिर लालू प्रसाद के मामले में यह नयी दलील नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने भी सीबीआई के इस दलील को नहीं माना और लालू प्रसाद को कुछ शर्तों के साथ जमानत प्रदान कर दी (Lalu Yadav got bail)।

दुमका कोषागार केस के बारे में जानिए

विभाजन के पूर्व बिहार (बिहार और झारखंड) में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव के कार्यकाल में दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में सीबीआइ ने केस दर्ज कर मामले में राजद नेता लालू प्रसाद यादव सहित 31 लोगों को आरोपी बनाया था। कोर्ट ट्रायल के अनुसार लालू यादव पर दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से फर्जी वाउचर के जरिये 3.76 करोड़ की अवैध निकासी करने-कराने का दोष सिद्ध हुआ। ये अवैध निकासी जानवरों का चारा, कृषि उपकरण के नाम और दवा के नाम पर ट्रेजरी से निकाले गए थे। सीबीआइ कोर्ट ने मामले में सजा का एलान किया था।

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