Pakistan Bomb Blast: पड़ोसी देशों में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान खुद भी शिकार हो रहा है। आतंक के जिस भस्मासुर को पाकिस्तान ने पैदा किया अब वह उसे ही तबाह कर रहा। उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में एक राजनीतिक जनसभा के दौरान बड़ा बम धमाका हो गया। इस बम विस्फोट में कम से कम 44 लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों घायल हो गए। विस्फोट कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी की एक राजनीतिक जनसभा में हुआ। विस्फोट में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-एफ (जेयूआई-एफ) पार्टी को निशाना बनाया गया है। यह जनसभा अफगानिस्तान सीमा के पास खार शहर में आयोजित थी जिसमें 400 से अधिक कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे।
हर तरफ खून से लथपथ लोग, बिखरे शव
सोशल मीडिया पर विस्फोट के बाद की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं। विस्फोट स्थल की तस्वीरों में घटनास्थल के चारों ओर बिखरे हुए शव दिखाई दे रहे हैं। वालंटियर्स, खून से लथपथ पीड़ितों को एम्बुलेंस तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वास्थ्य मंत्री रियाज अनवर ने बताया कि अस्पताल में 44 शव हैं। 123 घायल हैं जिनमें 17 मरीज गंभीर हालत में हैं। प्रांतीय गवर्नर हाजी गुलाम अली ने भी मृतकों की संख्या की पुष्टि की।
किसी ने अभी हमले की नहीं ली जिम्मेदारी
इस बम विस्फोट की जिम्मेदारी अभी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है। हालांकि, आईएसआईएस ग्रुप के लोकल चैप्टर ने हाल के दिनों में जेयूआई-एफ के खिलाफ हमले किए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इस हमले में आईएसआईएस का हाथ हो सकता है। पिछले साल ही आईएस ने कहा था कि वह जेयूआई-एफ के धार्मिक विद्वानों के खिलाफ हुए हिंसक हमलों को कराता रहता है। जेयूआई-एफ के पास देश के उत्तर और पश्चिम में मस्जिदों और मदरसों का एक बड़ा नेटवर्क है। आतंकी संगठन लगातार जेयूआई-एफ पर एक धार्मिक इस्लामी समूह होने के पाखंड का आरोप लगाता है।
तालिबान के आते ही पाकिस्तान की तबाही शुरू
2021 में अफगान तालिबान के पड़ोसी अफगानिस्तान में सत्ता में वापस आने के बाद से पाकिस्तान में हमलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। पाकिस्तान के घरेलू तालिबान समूह, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने अपने अभियान को पुलिस अधिकारियों सहित सुरक्षा अधिकारियों के खिलाफ चलाने का आह्वान किया है। जनवरी में पाकिस्तान के तालिबान से जुड़े एक आत्मघाती हमलावर ने पेशावर के उत्तर-पश्चिमी शहर में एक पुलिस परिसर के अंदर एक मस्जिद में खुद को उड़ा लिया जिसमें 80 से अधिक अधिकारी मारे गए।