November 23, 2024
Chhath Puja 2024: खरना पर किन चीजों का बनता है प्रसाद और किस समय की जाएगी पूजा, जानें यहां

Chhath Puja 2024: खरना पर किन चीजों का बनता है प्रसाद और किस समय की जाएगी पूजा, जानें यहां​

Chhath Puja Vidhi: छठ पूजा पर मान्यतानुसार किस तरह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है जानें यहां. मिलती है भगवान सूर्य और छठी मैया की कृपा.

Chhath Puja Vidhi: छठ पूजा पर मान्यतानुसार किस तरह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है जानें यहां. मिलती है भगवान सूर्य और छठी मैया की कृपा.

Chhath Puja 2024: आस्था के महापर्व छठ की विशेष धार्मिक मान्यता है. 5 नवंबर से शुरू हुआ यह पर्व 8 नवंबर तक चलने वाला है. कल नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत हुई थी और आज 6 नवंबर, बुधवार के दिन दूसरा दिन यानी खरना (Kharna) मनाया जा रहा है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना मनाया जाता है. खरना के दिन उपवास रखकर शाम के समय प्रसाद तैयार किया जाता है. प्रसाद बनाने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें यह प्रसाद चढ़ाते हैं. ऐसे में जानिए आज खरना का शुभ मुहूर्त क्या है और किस तरह तैयार किया जाता है खरना का प्रसाद.

छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाए जाते हैं ये खास प्रसाद, जानिए इन प्रसाद का क्या है महत्व

खरना का शुभ मुहूर्त और प्रसाद | Kharna Shubh Muhurt And Prasad

खरना का शुभ मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में खरना की पूजा (Kharna Puja) संपन्न की जा सकती है.

खरना का प्रसाद (Kharna Prasad) बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा तैयार करने की परंपरा है. इस दिन चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाई जाती है. इसके बाद गुड़ और चावल की खीर तैयार की जाती है. खीर बनाने के साथ ही गेंहू के आटे की रोटी बनती है. छठी मैया को भोग लगाने के बाद इस गुड़ की खीर और रोटी को खाया जाता है और खरना की पूजा संपन्न की जाती है.

कैसे देते हैं सूर्य देव को अर्घ्य

छठ पूजा में भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देते समय कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. भगवन सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लौटे में नदी का पवित्र जल लिया जाता है. इस जल में कुछ बूंदे दूध की, लाल चंदन, अक्षत, फूल और कुश मिलाया जाता है. इसके बाद सूर्य देव के मंत्र का जाप करते हैं.

ॐ सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ नमो भास्कराय नमः

भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हुए अपरोक्त मंत्रों का जाप किया जा सकता है. इसके बाद लौटे के जल को सूर्य देव के समक्ष लाकर जल में प्रवाहित करते हैं और अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के दौरान ही व्रती फलों और प्रसाद की टौकरी को भगवान सूर्य के आशीर्वाद के लिए सामने रखते हैं. इसके बाद शाम के समय अंतिम किरण को अर्घ्य देकर शाम की पूजा पूरी होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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