नई दिल्ली। कोरोना ने हाहाकार मचाया हुआ है। इंतजामों की पोल खुल गई है। सरकारी दावे सिर्फ कागजों में नजर आ रहे हैं। अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस में मरीजों का इंतजार, दम तोड़ते मरीज, श्मशान घाटों-कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए 10-12 घंटों का इंतजार, सरकारी झूठ की तस्दीक कर रहे। हजारों-लाखों करोड़ कोविड केयर के नाम पर कहां खर्च हुए यह दूसरी लहर में मचे हाहाकार से तस्दीक हो रहा है। विद्रुप यह कि इतना होने के बाद केंद्र और राज्य एक दूसरे पर आरोप लगाने और छवि सुधारने में ही व्यस्त हैं।
क्या यही है गुजरात माॅडल
गुजरात में कोरोना की लहर ने हिला कर रख दिया है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पतालों के आगे सैकड़ों एंबुलेंस की लाइन है। ये लोग मरीजों को लेकर एडमिट कराने के लिए लाइन में हैं। आक्सीजन की किल्लत से मरीज मर रहे हैं। अहमदाबाद में आक्सीजन की मांग चार गुना बढ़ गई है। आक्सीजन की कालाबाजारी हो रही है और यहां जिम्मेदार यह कह रहे कि आक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है। सूरत का भी हाल बेहाल है। यहां एक ही साथ कई-कई शवों को जलाया जा रहा है। मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। ट्रकों पर लाशों को श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों तक ढोया जा रहा है। यह हाल गुजरात का है जिसके माॅडल पर न जाने कितने राज्यों में सरकारें बन गई।
कौन सच बोल रहा और कौन झूठ
गुजरात के अहमदाबाद की मेडिकल एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष मोना देसाई का कहना है कि अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ने की बजाय कमी हो गई है। आक्सीजन की सबसे अधिक कमी है। कोविड अस्पतालों में दो से तीन गुना मात्रा में आक्सीजन सिलेंडरों की मांग है। हम लोग मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं कि 100 प्रतिशत आक्सीजन को हेल्थ केयर के लिए सप्लाई दिलाई जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। वह बताती हैं कि आक्सीजन मैन्युफैक्चरर हम लोगों को दुगुनी या तीन गुनी कीमत पर आक्सीजन सिलेंडर सप्लाई कर रहे हैं। सरकार ब्लैक मार्केटिंग रोकती तो कुछ राहत होगी।
उधर, आक्सीजन सिलेंडर सप्लायरों का कहना है कि आक्सीजन की डिमांड करीब बीस से पच्चीस प्रतिशत बढ़ा है। हम लोग पहले 100 सिलेंडर एक दिन में उत्पादन करते थे तो अब 1000-1200 सिलेंडर बना रहे हैं। सरकार के आदेश पर शत प्रतिशत आक्सीजन हेल्थ केयर क्षेत्र में ही सप्लाई किया जा रहा है।
यूपी का भी हाल बेहाल
यूपी में कोरोना ने स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है। अस्पताल कम पड़ गए हैं। टेस्ट रिपोर्ट आने में हफ्ता-हफ्ता दिन लग जा रहा। राज्य में पिछले 24 घंटों में सबसे अधिक 114 मौतें और 22439 कोरोना पाॅजिटिव केस सामने आए हैं।
अंतिम संस्कार के लिए दस से 12 घंटें का इंतजार
राजधानी लखनऊ में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए 10-12 घंटें का इंतजार करना पड़ रहा है। कोई भी श्मशान घाट या कब्रिस्तान ऐसा नहीं जहां लंबी-लंबी कतारें न हो।
एमपी में न आक्सीजन और न बेड
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कोरोना की लहर से मध्य प्रदेश की राजधानी से लेकर दूर दराज के शहरों तक में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। हर ओर हाहाकार मचा हुआ है। राजधानी के अधिकतर अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। आक्सीजन की कमी से मरीज दम तोड़ रहे हैं। बेड भी कम पड़ गए हैं। अस्पतालों के बाहर मरीजों से भरे एंबुलेंस की लंबी-लंबी कतारें हैं। अस्पताल प्रशासन परिजन से यह हलफनामा ले रहे हैं कि आक्सीजन के अभाव में अगर मरीज की मौत हुई तो अस्पताल का दोष नहीं माना जाएगा।
महाराष्ट्र में बुरे हुए हालात
महाराष्ट्र में हालात बेकाबू हो चुके हैं। पूरे राज्य में अस्पतालों में आक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे। अस्पतालों में एक भी बेड खाली नहीं है। बेड के अभाव में मरीजों को लेकर अस्पताल-अस्पताल भटक रहे। एंबुलेंस अस्थायी अस्पताल बन चुके हैं। अस्पतालों के बाहर सैकड़ों एंबुलेंस में मरीज अपने भर्ती होने के इंतजार में पल-पल मौत से सामना कर रहे। महाराष्ट्र में आक्सीजन की खपत करीब पांच गुना बढ़ गई है।
छत्तीसगढ़ में अस्पताल परिसर में मरीज जमीन पर लेटे हुए
छत्तीसगढ़ में कोरोना तेजी से बढ़ रहा। यहां के अस्पतालों में भी बेड कम पड़ गए हैं। आक्सीजन की आपूर्ति मांग के अनुसार नहीं है। लोग बेड का इंतजार कर रहे हैं। अस्पताल परिसर में मरीज लेटे हैं। आक्सीजन की कमी से हांफ रहे, दम तोड़ रहे। रायपुर के भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी से गुस्साएं डाॅक्टर्स हड़ताल भी कर चुके हैं लेकिन कोई तब्दीली नहीं हो सकी है। यहां शवों को ट्रकों में रखकर श्मशान घाटों पर ले जा सामूहिक अंतिम संस्कार कराया जा रहा।
दिल्ली में हो रही आक्सीजन की कालाबाजारी
दिल्ली के अस्पताल कोविड मरीजों से फुल हैं। बेड और आक्सीजन की किल्लत चरम पर है। कालाबाजारियों की यहां चांदी हो गई है। आक्सीजन सिलेंडर स्टोर करने की भी सूचनाएं आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार छह लीटर आक्सीजन सिलेंडर की कीमत छह हजार रुपये है। दस लीटर की कीमत 7780 रुपये है। गंभीर कोरोना मरीज चालीस लीटर वाला सिलेंडर ले रहे हैं। इसकी कीमत 16 हजार रुपये है। आक्सीजन की कमी का आलम यह है कि छह हजार रुपये वाला आक्सीजन सिलेंडर नौ हजार रुपये में बिक रहा।
इसी तरह यहां वेंटिलेटर बेड भी कम पड़ गए हैं।
सबसे कारगर इंजेक्शन रेमडेसिविर की भी हर जगह किल्लत है। हालांकि, मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 14 निजी अस्पतालों में बेड रिजर्व किए गए हैं। 15 होटल्स को भी कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया गया है।
श्मशान घाटों व कब्रिस्तानों में लाशों को लेकर लोग इंतजार कर रहे हैं। घंटों-घंटों बाद नंबर आ रहा है। कब्र कम पड़ रहे, जेसीबी से खुदाई की जा रही है।