Delhi CM Race: दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे लंबा मंथन, गहरी राजनीति और कई बड़े नेताओं की सिफारिशें शामिल थीं. दिल्ली बीजेपी के अंदरखाने में जो मंथन चला, उसे समझना जरूरी है.
Inside Story of Delhi CM Race: दिल्ली सीएम रेस के सस्पेंस को भाजपा ने काफी देर तक बनाए रखा. अंतिम दौर तक यह क्लियर नहीं हो रहा था कि कौन दिल्ली के नए मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल की बैठक में थोड़ी ही देर बाद मीडिया को बाहर कर दिया गया. विधायकों का फोन बंद करा दिया गया. बैठक में शामिल होने आ रहे विधायक साफ तौर पर यह कहते रहे कि नहीं, नहीं मैं सीएम नहीं हूं. सीएम को चुनना पार्टी का फैसला है. विधायक दल की बैठक के दौरान भी पार्टी ने सीएम रेस में शामिल 4 नेताओं के साथ एक अलग मीटिंग की. इससे यह सस्पेंस और बढ़ा. लेकिन अंतिम दौर में रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान किया गया.
आखिरी पलों में कैसे रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी? कौन थे वो लोग, जिन्होंने उनके नाम को आगे बढ़ाया? और पीएम मोदी ने क्यों दिया उनका साथ? आज आपको पूरी इनसाइड स्टोरी बताएंगे-हर एक मोड़, हर एक मीटिंग की पूरी कहानी!
दरअसल दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुनने के पीछे लंबा मंथन, गहरी राजनीति और कई बड़े नेताओं की सिफारिशें शामिल थीं. दिल्ली बीजेपी के अंदरखाने में जो मंथन चला, उसे समझना जरूरी है. अब सवाल ये कि रेखा गुप्ता ही क्यों? कौन-कौन से नाम थे दौड़ में? और आखिरी समय में कैसे उनके नाम पर मोहर लगी? चलिए, पूरा मामला डिटेल में समझते हैं.
सबसे पहले जानिए रेखा गुप्ता कौन हैं?
सबसे पहले जानिए, रेखा गुप्ता कौन हैं और उनका पॉलिटिकल सफर कैसा रहा है? रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा के जींद जिले के जुलाना में हुआ था, लेकिन उनके पिता की नौकरी की वजह से उनका परिवार दिल्ली आ गया. यही वजह है कि उन्होंने अपनी शिक्षा और राजनीति दोनों दिल्ली में ही की. रेखा गुप्ता की राजनीति की जड़ें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से लेकर आज मुख्यमंत्री बनने तक, उन्होंने लंबा सफर तय किया है. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ सचिव भी रह चुकी हैं. इसके बाद उन्होंने दिल्ली नगर निगम (MCD) में पार्षद के तौर पर लंबा वक्त बिताया. एमसीडी की कई महत्वपूर्ण कमेटियों की चेयरमैन भी रहीं.
रेखा गुप्ता का संगठन पर पकड़, प्रशासनिक अनुभव भी तगड़ा
दिल्ली बीजेपी की महामंत्री रहते हुए उन्होंने संगठन में भी बड़ी भूमिका निभाई. पार्टी के बड़े आयोजनों, जैसे कि राष्ट्रीय अधिवेशन, कार्यकारी परिषद की बैठकें, प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेताओं के प्रोग्राम—इन सबकी जिम्मेदारी उन पर रहती थी. यानी, वो संगठन को भी बखूबी समझती हैं और प्रशासनिक अनुभव भी रखती हैं!
रेखा गुप्ता के नाम पर मोहर कैसे लगी?
अब बात करते हैं असली खेल की—आखिरी समय में उनके नाम पर कैसे फाइनल फैसला हुआ? दरअसल, दिल्ली में मुख्यमंत्री की रेस में चार बड़े नाम थे:
रेखा गुप्ताअजय महावरमनजिंदर सिंह सिरसाप्रवेश वर्मा
शुरुआती दौर में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन रही थी. लेकिन रेखा गुप्ता के पक्ष में तीन बड़ी बातें थीं:
(1) महिला फैक्टर और पीएम मोदी की रणनीति
पीएम मोदी पिछले कुछ समय से पार्टी की बैठकों में बार-बार एक बात कह रहे थे—महिलाओं को आगे लाना है. 27 साल पहले भी दिल्ली में बीजेपी सरकार की कमान एक महिला मुख्यमंत्री यानी सुषमा स्वराज के हाथों में थी.पीएम मोदी चाहते थे कि दिल्ली में महिला लीडरशिप को फिर से आगे लाया जाए. इससे महिला वोटर्स को मजबूत संदेश जाएगा और बीजेपी की ‘महिला सशक्तिकरण’ की छवि को फायदा मिलेगा.
(2) RSS और ABVP का सपोर्ट
रेखा गुप्ता की राजनीति आरएसएस की छात्र इकाई ABVP से शुरू हुई थी, और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी. बजरंग लाल (दिल्ली आरएसएस के बड़े नेता) ने बीजेपी नेतृत्व से कहा कि अगर महिला को मौका देना है तो रेखा गुप्ता बेस्ट ऑप्शन हैं. सुनील बंसल, जो पहले यूपी बीजेपी के संगठन महामंत्री थे और अब राष्ट्रीय महामंत्री हैं, उन्होंने भी उनका समर्थन किया. एबीवीपी के पुराने कनेक्शन भी उनके हक में गए. धर्मेंद्र प्रधान, जो अभी केंद्रीय मंत्री हैं, उनकी पत्नी रेखा गुप्ता की अच्छी दोस्त हैं. इसी वजह से धर्मेंद्र प्रधान का भी समर्थन उन्हें मिला.
(3) संगठन में पकड़ और प्रशासनिक अनुभव
रेखा गुप्ता सिर्फ संगठन की नेता नहीं हैं, बल्कि MCD में पार्षद रही हैं, प्रशासनिक कामकाज का अनुभव है और पार्टी की अंदरूनी राजनीति भी समझती हैं. बड़े आयोजनों और रणनीतिक बैठकों में हमेशा उनकी भूमिका रही. पार्टी नेतृत्व को भरोसा था कि वो दिल्ली सरकार को अच्छे से संभाल सकती हैं.
आखिरी कैसे हुआ रेखा गुप्ता को चुनने का फैसला?
जब इतने बड़े दांव लगे हों, तो फैसला लेना आसान नहीं होता. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जब रायशुमारी की तो रेखा गुप्ता का नाम सबसे तेजी से उभरा. केंद्रीय नेतृत्व ने चार नामों की लिस्ट तैयार की—रेखा गुप्ता, अजय महावर, मनजिंदर सिरसा और प्रवेश वर्मा. ये लिस्ट पीएम मोदी के पास गई. और फिर हुआ फैसला! पीएम मोदी ने कहा कि “महिलाओं को आगे लाने का समय है,” और रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगा दी गई.
अगले कदम क्या होंगे?
अब दिल्ली को गुरुवार दोपहर 12 बजे रामलीला मैदान में नई मुख्यमंत्री मिलने जा रही हैं. वो शालीमार बाग सीट से विधायक बनी हैं और अब दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी संभालेंगी. उनके सामने बड़ी चुनौतियां हैं—MCD और दिल्ली सरकार के तालमेल से लेकर, बीजेपी का वोटबेस मजबूत करना.
तो ये थी दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के चयन की पूरी इनसाइड स्टोरी. रेखा गुप्ता को अचानक नहीं चुना गया, बल्कि लंबी प्लानिंग, और हाई-लेवल रणनीति के तहत उनकी ताजपोशी हुई. अब देखना ये होगा कि क्या वो दिल्ली में बीजेपी की पकड़ को और मजबूत कर पाएंगी?
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