NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविन्द पानगड़िया और 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन रहे एनके सिंह ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लिए टैक्स, न्यायिक, भूमि और श्रम सुधार करने होंगे.
मोदी सरकार (Modi Government) अपने तीसरे टर्म का पहला फुल बजट यानी आम बजट (Union Budget 2025) 1 फरवरी को संसद में पेश करने जा रही है. इस बजट में कई इकोनॉमिक रिफॉर्म्स को शामिल किया जा सकता है. बजट पेश होने से पहले NDTV ने अर्थशास्त्र के दो बड़े शिल्पकारों का इंटरव्यू लिया है. ये शिल्पकार हैं- 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविन्द पानगड़िया और 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन रहे एनके सिंह. दोनों ने इकोनॉमी को रिवाइव करने में 10 साल से ज्यादा का योगदान दिया है. इंटरव्यू में अरविन्द पानगड़िया और एनके सिंह ने PM मोदी के 2047 तक देश को विकसित बनाने के लक्ष्य, इकोनॉमिक रिफॉर्म और इलेक्टोरल रिफॉर्म्स पर विस्तार से बात की है. पढ़िए इंटरव्यू की 10 बातें:-
1. लेबर लॉ को लागू करना होगा
अरविन्द पानगड़िया ने कहा, “सरकार को अगले 10 साल में सबसे पहला रिफॉर्म लेबर लॉ को लेकर करना होगा. इस लॉ को 2019-2020 में पास किया गया था. इसे लागू करना बड़ा रिफॉर्म होगा. इसका मुश्किल काम पूरा हो चुका है. ये बिल पार्लियामेंट से पास हो चुका है. इसलिए इसे लागू करने में दिक्कत नहीं आनी चाहिए.”
2. GST और इनकम टैक्स को कुछ आसान बनाने की जरूरत
पानगड़िया ने कहा, “सरकार को टेक्नोलॉजी एरिया में GST को सिम्प्लिफाई यानी आसान करने की जरूरत है.
GST से पहले का युग VAT, Service Tax और एक्साइज ड्यूटी जैसे टैक्स से भरा हुआ था. इसका व्यापक असर हुआ और कॉस्ट बढ़ गई. GST ने एक समान टैक्स लागू करके इसे खत्म करने की कोशिश की. इससे IT सेक्टर में टैक्स स्ट्रक्चर कुछ आसान हो गया, लेकिन इसे और आसान बनाना होगा. इसी तरह पर्सनल इनकम टैक्स को सिंप्लिफाई करना होगा.”
3. विकसित भारत 2047 मुमकिन
उन्होंने कहा, “विकसित भारत बनने के लिए हमारी प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) करीब 12 हजार 800 या 12 हजार 900 अमेरिकी डॉलर के आसपास होनी चाहिए. अगर हम 2022-2023 की प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा लेकर चलते हैं, तो ये 2 हजार 500 डॉलर था. इसे करीब 13 हजार और उससे ज्यादा तक पहुंचाने के लिए हमें करीब करीब 8.2% GDP ग्रोथ चाहिए.”
4. भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार की जरूरत
अरविन्द पानगड़िया के मुताबिक, लैंड एरिया को लेकर बड़े रिफॉर्म करने होंगे. हमने जो भूमि अधिग्रहण कानून (Land Acquisition Act) पास किया था, उसकी वजह से जमीन की कीमत काफी ज्यादा हो गई हैं. उससे पब्लिक प्रोजेक्ट में दिक्कत आती है. जमीन महंगी होने से उद्योग लगाने में दिक्कत होती है.”
5. उच्च शिक्षा क्षेत्र में सुधार की जरूरत
एनके सिंह ने कहा, “एजुकेशन रिफॉर्म को मैं दूसरे नजरिए से देखता हूं. हम टेक्नोलॉजी तो हासिल कर रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन क्या इससे रोजगार का फायदा होगा? नई नौकरियां पैदा होंगी? ये दोनों चीजें हों, इसके लिए हमें पहले मौजूदा एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करके इसे एजुकेशन, टेक्नोलॉजी और गेनफुल एम्पॉल्यमेंट यानी लाभकारी रोजगार में बदलना होगा.”
6. विकसित भारत बनने के लिए AI जरूरी
15वें वित्त आयोग के चेयरमैन रहे एनके सिंह ने कहा, “टेक्नोलॉजी को लेकर PM मोदी का एक अलग माइंडसेट है. हम अभी सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी एरा में हैं. आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक साधरण स्टूडेंट भी पढ़ता है. उसको किस रूप से गवर्नेंस, एजुकेशन, हेल्थ में इस्तेमाल किया जाए… इसपर सोचने की जरूरत है. हम देख रहे हैं AI ऐसे काम कर रहा है, जों पहले साधारण लोग करते थे. ऐसे में हमें ये सोचने की जरूरत है कि ये लोग और कौन-कौन से काम करें, जो देश के लिए, उनकी अपनी इनकम के लिए निश्चित रूप से लाभदायक हो.”
7. पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी को बूस्ट करना
पानगड़िया कहते हैं, “विकसित भारत के टारगेट को हासिल करने के लिए पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी को बूस्ट करना होगा. दूसरे टर्म में मोदी सरकार ने पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी जारी की थी. इसे तीसरे टर्म में आगे बढ़ाना है.”
8. कृषि क्षेत्र में सुधार जरूरी
एनके सिंह ने कहा, “बदलते वक्त के साथ फसलों को बदलना जरूरी है. जैसे पीएम मोदी ने मिलेट्स यानी ‘श्रीअन्न’ को लेकर पहल की थी. कृषि के क्षेत्र में सुधार की बहुत जरूरत है. इस क्षेत्र में अब तक बहुत सीमित बदलाव हुआ है. मौजूदा समय में कृषि का पैटर्न उतना प्रभावी नहीं है. हमें ऐसे पैटर्न की जरूरत है, जिससे किसानों की इनकम में इजाफा हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यही बात करते हैं. PM मोदी ने वादा किया है कि एक किसान की औसत आय में कई गुना बढ़ोतरी की जरूरत है. इसके लिए किसानों के कृषि के पैटर्न में बदलाव की जरूरत है.”
9. इकोनॉमिक रिफॉर्म के लिए वन नेशन वन इलेक्शन जरूरी
16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविन्द पानगड़िया बताते हैं, “इकोनॉमिक रिफॉर्म के रास्ते में वन नेशन वन इलेक्शन बहुत अहम है. इसके फायदे लॉन्ग टर्म में हैं. इकोनॉमिक रिफॉर्म्स के नजरिए से देखें, तो जब इलेक्शन 5 साल में एक बार होने लगेंगे; तो सरकारों को रिफॉर्म करने के लिए बड़ा विंडो और ज्यादा वक्त मिलेगा. अभी ऐसा रिफॉर्म करना सरकार के लिए बहुत मुश्किल है. इसलिए अगर केंद्र और राज्य सरकारों के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो हमें उसका बड़ा रिटर्न मिलेगा.”
10.सरकार की डिलिवरी देखती है इलेक्टोरेट
पानगड़िया बताते हैं, “वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बेशक राज्य सरकारों में भी जागरुकता है. क्योंकि जो सरकारें काम नहीं कर पाती, इलेक्टोरेट उन्हें बदल देती है. इसके कई उदाहरण हैं. राजस्थान में सरकार बदल गई. आंध्र प्रदेश में भी यही हुआ. लेकिन जहां सरकारों की डिलिवरी अच्छी है, वो वापस आती हैं. जैसे ओडिशा में नवीन पटनायक 20 साल तक CM रहे. खुद PM मोदी गुजरात में लंबे समय तक CM रह चुके हैं. यानी जहां-जहां सरकारों ने डिलिवरी अच्छी दी है, इलेक्टोरेट उसका साथ देता है.”
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