January 18, 2025
Exclusive: विकसित देश बनने के लिए भारत को सफर कितना लंबा? 23 साल में क्या क्या करना होगा हासिल

Exclusive: विकसित देश बनने के लिए भारत को सफर कितना लंबा? 23 साल में क्या-क्या करना होगा हासिल​

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविन्द पानगड़िया ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, "भारत अगले 20-25 साल के बारे में सोच रहा है. 2047 तक देश को अगर डेवलप कंट्री बनाना है, तो हमें GDP ग्रोथ रेट को बढ़ाना होगा. 2047 तक आबादी में बढ़ोतरी बहुत ज्यादा नहीं होने वाली है. 2047 तक देश की जनसंख्या में ज्यादा से ज्यादा 0.5% या 0.6% बढ़ेगी."

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविन्द पानगड़िया ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, “भारत अगले 20-25 साल के बारे में सोच रहा है. 2047 तक देश को अगर डेवलप कंट्री बनाना है, तो हमें GDP ग्रोथ रेट को बढ़ाना होगा. 2047 तक आबादी में बढ़ोतरी बहुत ज्यादा नहीं होने वाली है. 2047 तक देश की जनसंख्या में ज्यादा से ज्यादा 0.5% या 0.6% बढ़ेगी.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 15 अगस्त 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर देश को 2047 तक विकासशील से विकसित बनाने का ऐलान किया था. विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने के लिए भारत बुलंद इरादों के साथ जुट चुका है. देश को आत्मनिर्भर बनाने, विकास की रफ्तार तेज करने के लिए उठाए गए कदमों के नतीजे दिखने लगे हैं. दुनिया में कई क्षेत्रों में भारत की धमक बढ़ी है. लेकिन, अभी लंबा सफर तय करना है. इस बीच NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविन्द पानगड़िया और वित्त आयोग के ही पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने बताया कि भारत अभी कहां खड़ा है और इसे विकसित देश बनने के लिए कितना लंबा सफर तय करना है.

प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाना होगा
विकसित देशों की मौजूदा परिभाषा के मुताबिक, प्रति व्यक्ति आय 9.5 लाख रुपये से 12 लाख रुपये सालाना होनी चाहिए. अरविन्द पानगड़िया ने बताया, “विकसित भारत बनने के लिए हमारी प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) करीब 12 हजार 800 या 12 हजार 900 अमेरिकी डॉलर के आसपास होनी चाहिए. अगर हम 2022-2023 की प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा लेकर चलते हैं, तो ये 2 हजार 500 डॉलर था. इसे करीब 13 हजार और उससे ज्यादा तक पहुंचाने के लिए हमें करीब 7.6% GDP (Gross Domestic Product) ग्रोथ रेट की जरूरत है.”

उन्होंने बताया, “अगर हम GDP ग्रोथ रेट को रियल डॉलर में देखें, तो ये 7.9% रही है. बेशक भारतीय रुपये में हमारी GDP ग्रोथ रेट थोड़ी कम है, लेकिन जब रुपये को डॉलर में मापा जाता है, तो रुपये की वैल्यू बढ़ती जा रही है. पिछले 20 साल में ये जो ग्रोथ हुई है, जब इसे रुपये में मापते हैं, तो उसकी वैल्यू कम होने के बावजूद बढ़ी है. क्योंकि रुपये की वैल्यू डॉलर में बढ़ गई है.”

बता दें कि सिर्फ ज्यादा प्रति व्यक्ति आय ही किसी देश के विकसित होने का पैमाना नहीं होता है. 2021 में कतर की प्रति व्यक्ति आय करीब 62 हजार डॉलर (करीब 50 लाख रुपये) सालाना थी. इसके बावजूद UN ने उसे विकासशील देश माना था.

8.2% GDP ग्रोथ चाहिए
पानगड़िया बताते हैं, “भारत अगले 20-25 साल के बारे में सोच रहा है. 2047 तक देश को अगर डेवलप कंट्री बनाना है, तो हमें GDP ग्रोथ रेट को बढ़ाना होगा. 2047 तक आबादी में बढ़ोतरी बहुत ज्यादा नहीं होने वाली है. 2047 तक देश की जनसंख्या में ज्यादा से ज्यादा 0.5% या 0.6% बढ़ेगी. ऐसे में अगर 7.6% Per Capita Income ग्रोथ चाहिए, तो जनसंख्या वृद्धि को जोड़ते हुए हमें करीब 8.2% GDP ग्रोथ लाना होगा. 7.9% का GDP ग्रोथ तो हमने पिछले 20 साल में हासिल किया है.”

उन्होंने कहा, “देश में जो रिफॉर्म हो चुके हैं… चाहे वो GST का हो, बैंकरप्टसी का हो, इंफ्रास्ट्रक्चर का हो, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का हो या AI फ्रंट का हो… ये बहुत अहम हैं. आने वाले सालों में सरकार जो-जो रिफॉर्म्स करेगी… इन सबको मिलाकर देखा जाए, तो 2047 में विकसित भारत बनने का लक्ष्य हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं है. पिछले 20 साल में हमने 7.9% की ग्रोथ हासिल कर ली है, तो इसे आगे लेकर जाकर हम 8.2% GDP ग्रोथ तक ले जा सकते हैं.”

World Bank की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत की GDP 3.17 ट्रिलियन डॉलर थी. वह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. अभी भारत दुनिया की पांचवीं इकोनॉमी है. 2030 तक भारत के 8.4 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ अमेरिका-चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का अनुमान है.

एक्सपोर्ट मार्केट में शेयर बढ़ाने की जरूरत
अरविंद पानगढ़िया बताते हैं, “अभी हम जिस इकोनॉमी को ऑपरेट कर रहे हैं, इसमें 32 ट्रिलियन का एक्सपोर्ट मार्केट है. ये अपने आप में बहुत बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है. अगर हम चाहे तो इसमें हमारा शेयर बढ़ा सकते हैं. हमारे शेयर अभी Merchandise Export में 2% से कम हैं. इसे 4% किया जा सकता है. जबकि Service Export में हमारा शेयर 4% है. भारत का इसमें मोमेंटम अच्छा है. इसलिए इसमें शेयर बढ़ाया जा सकता है.”

डेमोग्रैफिक मैनेजमेंट जरूरी
वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने बताया, “मैं मानता हूं कि विकसित भारत बनने के लिए डेमोग्रैफिक मैनेजमेंट जरूरी है. इसकी कमी से आबादी में बढ़ोतरी हो रही है. मौजूदा एज डिपेंडेंसी रेशियो को देखते हुए ये जरूरी है कि हर साल ग्रोथ रेट के साथ-साथ नई नौकरियों के मौके पैदा हो. आज की एडवांस टेक्नोलॉजी में गेनफुल एम्प्लॉयमेंट जेनरेट करना बहुत बड़ी चुनौती है. इसके ऊपर एजुकेशन, हेल्थ, एग्रीकल्चर रिफॉर्म निर्भर करता है. अगर हम इन चीजों को फोकस में रखते हुए रिफॉर्म करते हैं, तो ये सभी एक को-ऑर्डिनेशन में आ सकती हैं.”

2047 तक कितनी हो जाएगी देश की आबादी?
वर्ल्डोमीटर के अनुमान के मुताबिक, 2025 के आखिर तक देश की आबादी में 0.89% तक का इजाफा हो जाएगा. भारत की आबादी 1.45 बिलियन से 1.46 बिलियन हो जाएगी. जबकि 2047 तक देश की आबादी बढ़कर 1.61 बिलियन से 1.7 बिलियन तक होने का अनुमान जताया गया है.

ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में ऊपर जाने की जरूरत
यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) की ओर से जारी 2023/24 के ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में भारत को 193 देशों की लिस्ट में 134वां रैंक मिला था. HDI स्कोर में पिछले कई साल में सुधार हुआ है. ज्यादातर विकसित देशों का HDI स्कोर 0.80 से ज्यादा होता है. इस लिहाज से भारत को और आगे जाने की जरूरत है.

क्या भारत के इस लक्ष्य में ग्लोबल मामलों का पड़ेगा असर?
पानगड़िया कहते हैं, “भारत के सामने विकसित देश के लक्ष्य को हासिल करने के रास्ते में ग्लोबल मामले इतनी गहराई से असर डालेंगे… ऐसा मुझे नहीं लगता. कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होती, लेकिन बाकी चीजों पर हम काम कर सकते हैं. एक्सपोर्ट मार्केट में शेयर बढ़ाना इसमें शामिल है.”

उन्होंने कहा, “अमेरिका की बात करें, तो बाइडेन से पहले की सरकार यानी ट्रंप के काल में अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर हुआ. इसके बाद रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई शुरू हो गई. इसकी वजह से रूस पर काफी इंबार्गो (प्रतिबंध) लगे. फिर भी वर्ल्ड इकोनॉमी में ट्रेड ग्रोथ जारी रहा. कोविड के पहले एक्सपोर्ट मार्केट पिक पर था. इसका बिजनेस 25 ट्रिलियन डॉलर का था. इसमें Merchandise Export (माल निर्यात) 19 ट्रिलियन डॉलर और Service Export(सेवा निर्यात) 6 ट्रिलियन डॉलर था.”

पानगड़िया बताते हैं, “कोविड के बाद इन ग्लोबल मामलों के रहते हुए भी Merchandise Export बढ़कर 25 ट्रिलियन हो गया. Service Export भी बढ़कर 7 ट्रिलियन हो गया.”

अब जानिए विकासशील और विकसित कैटेगरी में कितने देश?
-ऐसे देशों को विकासशील की कैटेगरी में रखा जाता है, जहां इंडस्ट्रीज डेवलप हो रही हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप हो रहा है. सोशल और इकोनॉमिक रिफॉर्म्स हो रहे हैं. हालांकि, इन देशों में लाइफ स्टाइल बेहद औसत होता है. मॉडर्न टेक्नोलॉजी की कमी होती है. इन देशों की आमदनी भी कम होती है. लेकिन ये देश तरक्की के रास्ते पर धीरे-धीरे ही सही लेकिन आगे बढ़ रहे होते हैं. यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक, 2020 तक दुनिया के 126 देश विकासशील की लिस्ट में शामिल थे. भारत फिलहाल इसी कैटेगरी में है.

-किसी देश को विकसित तब माना जाता है, जब उस देश के लोगों की इनकम ज्यादा हो. इंडस्ट्री डेवलप हो चुकी हो. वहां मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर हो. क्वॉलिटी ऑफ लाइफ बेहतर से बेहतरीन हो. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान ऐसे ही देश हैं. 2020 में UN ने 36 देशों को विकसित देश माना था. चीन एक अपर-मिडिल इनकम कंट्री है. लेकिन अभी भी इसमें विकासित होने की चुनौतियां हैं. इसलिए UN ने चीन को फिलहाल विकासशील देशों में रखा है.

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