NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने 16वें वित्त आयोग के मौजूदा चेयरमैन डॉ. अरविन्द पानगड़िया और पूर्व चेयरमैन एनके सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत की है. इस दौरान वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने समझाया कि विकसित भारत का सपना हकीकत में बदलने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितना मददगार साबित हो सकता है.
बीते कुछ सालों में टेक्नोलॉजी ने काफी तरक्की की है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब स्मार्ट टेक्नोलॉजी के रूप में दुनिया भर में छा रहा है. टेक्नोलॉजी से निकला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब वॉयस असिस्टेंट के तौर पर हमारे घरों में और ऑटोमेटिक कारों के तौर पर सड़कों पर मौजूद है. AI के रूप में सोशल मीडिया के बाद सबसे अहम टेक्नोलॉजी रिफॉर्म हुआ है. PM नरेंद्र मोदी अक्सर टेक्नोलॉजी में रिफॉर्म और AI को अपनाने की बात करते हैं. उन्होंने कहा है कि दुनिया का वर्तमान और भविष्य AI से जुड़ा हुआ है. ऐसे में सवाल है कि PM मोदी के 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लक्ष्य में AI कितना जरूरी है? इस लक्ष्य को हासिल करने में ये कैसे मदद कर सकता है? NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने इन सवालों का जवाब दिया है.
NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने 16वें वित्त आयोग के मौजूदा चेयरमैन डॉ. अरविन्द पानगड़िया और पूर्व चेयरमैन एनके सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत की है. इस दौरान वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह ने कहा, “टेक्नोलॉजी को लेकर PM मोदी का एक अलग माइंडसेट है. हम अभी सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी एरा में हैं. आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक साधरण स्टूडेंट भी पढ़ता है. उसको किस रूप से गवर्नेंस, एजुकेशन, हेल्थ में इस्तेमाल किया जाए… इसपर सोचने की जरूरत है.”
रिफॉर्म से ही निकलेगा तरक्की का रास्ता
उन्होंने कहा, “भारत को विकसित बनाने की दिशा में आने वाले दिनों में इन सब विषयों पर काम करना होगा. अगर इन मामलों में सुधार कर लिए गए, तो आने वाले दिनों में भारत की तरक्की निश्चित है. साथ ही इन कोशिशों में 2047 में देश के विकसित भारत बनने की दिशा में भी एक रफ्तार आएगी.”
बनाने होंगे गेनफुल एम्पॉल्यमेंट के मौके
एनके सिंह ने कहा, “एजुकेशन रिफॉर्म को मैं दूसरे नजरिए से देखता हूं. हम टेक्नोलॉजी तो हासिल कर रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन क्या इससे रोजगार का फायदा होगा? नई नौकरियां पैदा होंगी? ये दोनों चीजें हों, इसके लिए हमें पहले मौजूदा एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करके इसे एजुकेशन, टेक्नोलॉजी और गेनफुल एम्पॉल्यमेंट यानी लाभकारी रोजगार में बदलना होगा.”
वह आगे कहते हैं, “हम देख रहे हैं AI ऐसे काम कर रहा है, जों पहले साधारण लोग करते थे. ऐसे में हमें ये सोचने की जरूरत है कि ये लोग और कौन-कौन से काम करें, जो देश के लिए, उनकी अपनी इनकम के लिए निश्चित रूप से लाभदायक हो.”
डेमोग्रैफिक मैनेजमेंट में सुधार समय की मांग
एनके सिंह ने कहा, “मैं मानता हूं कि डेमोग्रैफिक मैनेजमेंट में कमी और आबादी में बढ़ोतरी को हम आने वाले दिनों में रिप्लेसमेंट रेट में बदलेंगे. ये समय की मांग हैं. मौजूदा रेशियो को देखते हुए ये जरूरी है कि हर साल ग्रोथ रेट के साथ-साथ नई नौकरियों के मौके पैदा हो. ऐसे रोजगार के मौके, जो गेनफुल हो.”
AI से नौकरियां भी होंगी जेनरेट
उन्होंने बताया, “AI के साथ आज की एडवांस टेक्नोलॉजी में गेनफुल एम्प्लॉयमेंट जेनरेट करना बहुत बड़ी चुनौती है. इसके ऊपर एजुकेशन, हेल्थ, एग्रीकल्चर रिफॉर्म निर्भर करता है. अगर हम इन चीजों को फोकस में रखते हुए रिफॉर्म करते हैं, तो ये सभी एक को-ऑर्डिनेशन में आ सकती हैं. साथ ही नौकरियां भी जेनरेट होंगी.”
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