पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हो गए हैं. अब चीन की सेना उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था.
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने पर सहमति बनी है. भारत का कहना है कि इसके लिए सबसे पहले दोनों देशों को भरोसा पैदा करना होगा. इसके लिए सैनिकों का एक-दूसरे को देखना और बातचीत करना जरूरी है। पेट्रोलिंग के जरिए इसके लिए सही माहौल मिलेगा. LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौते पर बनी सहमति के बाद चीन का बयान भी सामने आया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपना सीमा विवाद मिलकर सुलझाएंगे.
आइए समझते हैं कि भारत और चीन के बीच हुए समझौते में क्या खास है? ये समझौता कितना अहम है? LAC पर कहां-कहां पेट्रोलिंग शुरू हो सकेगी:-
पहले समझिए क्या है विवाद?
-पूर्वी लद्दाख में 7 ऐसे पॉइंट हैं, जहां चीन के साथ टकराव की स्थिति रहती है. ये हैं पेट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी गलवान, 15 यानी हॉट स्प्रिंग, 17A यानी गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक में चारदिंग नाला हैं, जहां तनाव रहता है.
-अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था. 2022 तक 4 इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई. दौलत बेग ओल्डी और डेमचॉक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी.
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-अप्रैल 2020 से पहले सैन्य अभ्यास के नाम पर चीनी सेना हजारों की तादाद में सीमा पर जमा हो गई. जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी तैनाती की. जून 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प हुई. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए. जबकि चीन के इससे भी दोगुनी संख्या में सैनिक मारे गए थे. हालांकि, चीन ने सिर्फ 3 सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी.
-फिर कई दौर की बातचीत के बाद सितंबर 2022 में गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर डिसएंगेजमेंट की सहमति बन चुकी थी, जिसके तहत चीन की सेना वहां से पीछे हट गई थी. फिर दो अहम पॉइंट डेपसांग, डेमचॉक बचे रह गए थे. इनपर 21 अक्टूबर को डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है.
LAC पर तनाव कम करने के लिए कितने दौर की हुई बातचीत?
LAC पर तनाव कम करने के लिए कोर कमांडर लेवल की 21 दौर की बातचीत हुई. 2020 में 8, 2021 में 5, 2022 में 4, 2023 में 3 और 2024 में फरवरी में वार्ता हुई थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई. फिर जुलाई और अगस्त में इस साल दो बार दोनों नेता मिले. सितंबर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और वांग की भी मुलाकात हुई. अब इन बैठकों का सकारात्मक नतीजा सबके सामने है.
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है. इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे.
इस सहमति का क्या है मतलब?
इस सहमति का मतलब ये है कि बातचीत के दौरान पहले जिसे बफर जोन की तरह छोड़ दिया गया था, वहां भी अब गश्त हो सकेगी. हालांकि, इस समझौते की डिटेल आनी बाकी है. डिटेल मिलने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी.
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जयशंकर ने बताया कैसे बनी सहमति?
NDTV वर्ल्ड समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ये प्रक्रिया बहुत धीरज के साथ पूरी की गई, जिसमें भारत की नई हैसियत भी दिखती है. जयशंकर ने कहा, “वैसे ये समझौता आसान नहीं था. कूटनीति की मेज पर बातचीत तब कामयाब रही, जब चीन को एहसास हो गया कि इस बदले हुए दौर में भारत की सुननी होगी. भारतीय सेना के लिए भी इससे तनाव कम हुआ है.”
आर्मी चीफ ने क्या कहा?
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी कहते हैं, “जहां तक हमारा सवाल है, तो हम अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर वापस जाना चाहते हैं. उसके बाद हम वास्तविक नियंत्रण रेखा के विघटन, सामान्य प्रबंधन पर विचार करेंगे. पहले हम विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. यह तब बहाल होगा, जब हम एक-दूसरे को देखने में सक्षम होंगे. हम एक-दूसरे को समझाने में सक्षम होंगे. बफर जोन देखें जो वहां बनाए गए हैं, हम रेंग नहीं रहे हैं और दोनों को ऐसा करना होगा एक-दूसरे को आश्वस्त करें कि गश्त करने से आपको उस तरह का लाभ मिलता है. इसलिए यही कुछ है जो शुरू हो रहा है और जैसे ही हम विश्वास बहाल करते हैं, तो अन्य चरण भी आगे बढ़ेंगे.”
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बफर जोन कहां हैं?
दो साल पहले पैंगोग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान के पीपी-14 से डिसइंगेजमेंट हुआ. फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे और फिर हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से. पीपी यानी पेट्रोलिंग पॉइंट. यहां अभी बफर जोन बने हैं. उनमें न तो भारत के सैनिक पेट्रोलिंग कर रहे हैं ना चीन के. सूत्रों के मुताबिक, इन पेट्रोलिंग पॉइट पर भी फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर बातचीत चल रही है.
फिंगर एरिया में क्यों नहीं आती दोनों देशों की सेनाएं?
लद्दाख में झील के उत्तरी किनारे की रिजलाइन पर, जहां पर भारतीय सेना पेट्रोलिंग करती है, वहां से झील को देखने पर ये उभार हाथ की उंगलियों जैसे दिखते हैं. ये उभार आठ उंगलियों जैसे दिखते हैं. यही वजह है कि इनका नाम 1 से 8 फिंगर्स है. फिंगर 4 तक हमारी फौजों की सड़क है. चीनी सेना की सड़क फिंगर 8 तक है. फिंगर 4 से 8 के बीच का इलाका जीप वाला है. हालांकि, विवाद होने की वजह से दोनों देशों की सेनाएं इस इलाके में नहीं आती हैं. दोनों देश इस फिंगर एरिया बताते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
इस पूरे मामले पर डेप्लोमेटिक एक्सपर्ट ब्रह्म चेलानी कहते हैं, “भारत-चीन के मौजूदा रिश्ते को देखें, तो तनाव कम करने की दिशा में यह एक छोटा सा ही कदम है. LAC में पेट्रोलिंग पर समझौते की डिटेल अभी सामने नहीं आई है. अभी मामले में बहुत सारी अनिश्चितताएं भी हैं.” उन्होंने कहा, “सवाल उठता है कि इस पेट्रोलिंग एग्रीमेंट से दोनों देशों को क्या हासिल होगा. अभी जो मिलिट्री स्टैंडऑफ है, इसे खत्म करने के लिए कई कदम उठाने पड़ेंगे. ये पहला कदम ही है. डिस-एंगेजमेंट (सेनाओं का पीछे हटना) के बाद डि-एस्केलेशन (तनाव कम करने की कोशिश) होगा. सेनाओं को वापस लेना एक बड़ा कदम होगा. इसमें वक्त लगेगा.”
डेप्लोमेटिक एक्सपर्ट अजय बिसारिया ने कहा, “पिछले चार साल से सरहद पर स्थिति काफी गंभीर थी. यह एक बहुत महत्वपूर्ण डेप्लोमेटिक डेवलपमेंट है. स्थिति नॉर्मल तो नहीं है, लेकिन स्टेबल यानी स्थिर जरूर होगी. भारत और चीन दोनों ऐसी शक्तियां हैं, जो तेजी से विकास कर रहे हैं. यह एक सफलता का उद्धारण है, जिसे हमने कूटनीति से जीता.”
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