स्टडी में सोडा पीने वाले हजारों लोगों का अध्ययन किया गया है. और, जिन्हें डायबिटीज हुई है और जिन्हें डायबिटीज नहीं हुई उन्हें कंपेयर भी किया गया. इस स्टडी में जरूर आर्टिफिशियली स्वीटन्ड ड्रिंक पीने वालों और डायबिटीज के बीच लिंक मिला.
Soda Impact On Diabetes: कई बार ऐसा होता है जब किसी शुगर पेशेंट को या डायबिटीज पेशेंट को कोल्ड ड्रिंक ऑफर होती है. तब वो कोल्ड ड्रिंक की जगह सोडा पीना प्रिफर करते हैं. बहुत से शुगर पेशेंट को लगता है कि सोडा उनके लिए सेफ ऑप्शन हैं. चूंकि सोडा का टेस्ट तकरीबन फीका ही होता है. इसलिए भी ये सोच मजबूत हो जाती है. ऐसा सोचने वालों को ये जानकर हैरानी होगी कि सोडा न सिर्फ शुगर पेशेंट को नुकसान पहुंचा सकता है. बल्कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की कैपेसिटी भी कम कर सकता है. कुछ स्टडी के जरिए ये समझने की कोशिश करते हैं कि डायबिटीज पेशेंट पर सोडा पीने का क्या असर पड़ता है.
डायबिटीज पेशेंट पर सोडा का असर | Soda Impact On Diabetes
सोडा और डायबिटीज
साल 2017 में हुई एक रिसर्च के मुताबिक जिन्हें पहले से ही डायबिटीज है, सोडा उन लोगों की ब्लड शुगर कंट्रोल करने की क्षमता को घटा सकता है.
साल 2010 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक जो लोग एक या एक से ज्यादा शुगरी ड्रिंक एक ही दिन में कंज्यूम करते हैं उन्हें डायबिटीज होने की संभावना 26 परसेंट तक बढ़ जाती है.
इतना ही नहीं आर्टिफिशियल स्वीटनिंग वाले या डाइट सोडा जैसे शुगर अल्टरनेटिव भी डायबिटीज के खतरे को कुछ कम नहीं करते हैं. साल 2018 की एक रिसर्च के कंक्लूजन के मुताबिक आर्टिफिशियल स्वीटन्स बिवरजेस से डायबिटीज के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
इन्सुलिन रजिस्टेंस की वजह से टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ता है. ऐसा तब होता है जब शरीर के सेल्स बल्ड स्ट्रीम में ज्यादा शुगर होने के आदि हो जाते हैं. उसके बाद वो इंसुलिन को रिस्पॉन्ड करना बंद कर देते हैं. जिसका नतीजा ये होता है कि शरीर में शुगर बढ़ने लगती है.
साल 2016 की एक स्टडी के मुताबिक शुगरी कंटेंट वाले बिवरेजस सेल्स को ज्यादा इंसुलिन रजिस्टेंट बनाते हैं.
डायबिटीज पर मीठे ड्रिंक्स का असर
शक्कर से बने या स्वाद में मीठे ड्रिंक्स पीने का मतलब है कि शरीर में ज्यादा एनर्जी बनना. जो फैट के फॉर्म में ही स्टोर होती है. जिसकी वजह से सोडा और इस तरह के ड्रिंक आपको ओवरवेट बना सकते हैं या फिर ओबेसिटी का कारण हो सकते हैं.
रिसर्च से ये भी पता चलता है कि ओवरवेट होना या ओबेसिटी होना भी टाइप 2 डायबिटीज का एक कारण है.
साल 2010 में अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में एक स्टडी पब्लिश हुई. इस स्टडी के तहत 91,249 फीमेल नर्स में डाइट और हेल्थ को स्टडी किया गया. करीब आठ साल तक चली इस स्टडी में ये पाया गया कि डाइ और हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) के बीच कुछ लिंक जरूर है. साथ ही बहुत जल्दी डाइजेस्ट होने वाले फूड और ड्रिंक ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं और टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ाते हैं.
साल 2013 में इस संबंध में एक और स्टडी हुई. जिसमें शुगरी ड्रिंक्स और डायबिटीज के बीच के संबंध को समझने की कोशिश की गई. साथ ही सोडा पीने वालों की आदत को भी इससे कंपेयर किया गया. इस स्टडी में 11,684 ऐसे लोग शामिल किए गए जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज थी और 15,374 लोग ऐसे शामिल किए गए जिन्हें डायबिटीज नहीं थी.
इस रिसर्च को कंडक्ट करने वाली टीम ने पाया कि जो लोग एक दिन में एक से ज्यादा शुगर स्वीटन्ड ड्रिंक्स पीते हैं वो डायबिटीज होने के हाई रिस्क पर होते हैं. सोडा पीने वालों के नतीजे भी चौंकाने लगे. उनके बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को देखते हुए उनके एनर्जी इनटेक को आंका गया. और, ये पाया गया कि जो लोग सोडा पीते हैं वो भी टाइप 2 डायबिटीज होने के हाई रिस्क पर होते हैं.
क्या डाइट सोडा हेल्दी है?
आर्टिफिशियल स्वीटन्ड सोडा को लेकर मत अलग अलग हैं.
साल 2016 की एक स्टडी के अनुसार शुगर स्वीटडन्ड बिवरेजेस डायबिटीज का रिस्क बढ़ाते हैं जबकि सोडा नहीं बढ़ाता है.
इस संबंध में और स्टडी हुई. इस स्टडी में सोडा पीने वाले हजारों लोगों का अध्ययन किया गया है. और, जिन्हें डायबिटीज हुई है और जिन्हें डायबिटीज नहीं हुई उन्हें कंपेयर भी किया गया. इस स्टडी में जरूर आर्टिफिशियली स्वीटन्ड ड्रिंक पीने वालों और डायबिटीज के बीच लिंक मिला.
इसके बाद भी कुछ ऐनेलिसिस जारी रहे. जिसमें ये पाया या कि ज्यादा डाइट सोडा पीने वालों को या तो पहले से ही डायबिटीज होती है या फिर वो डायबिटीज होने की हाई रिस्क पर होते हैं.
साल 2023 की एक रिपोर्ट में एक रिव्यूअर ने लिखा है कि हाई इंटेंसिटी स्वीटनर के लगातार इनटेक से मेटाबॉलिक इश्यूज यानी पाचन से जुड़े इश्यूज् बहुत ज्यादा बढ़ सकते हैं. जो हार्ट डिसीज का कारण बन सकते हैं या टाइप 2 डायबिटीज और साथ में हाई ब्लड प्रेशर भी बढ़ा सकते हैं.
इन स्टडीज के अनुसार ये माना जा सकता है कि आर्टिफिशियल स्वीटन्ड बिवरेजेस पीने वाल डायबिटिक लोगों के ग्लाइसेमिक कंट्रोल पर काफी असर पड़ता है. आर्टिफिशियल स्वीटन्ड बिवरेजेस उनके लिए शुगर दो सौ गुना ज्यादा असर डाल सकते हैं. इनकी यही एक्स्ट्रा स्वीटनेस ब्रेन को प्रभावित करती है और ब्लड शुगर लेवल को उस वक्त कम करती है. जिसकी वजह से बाद में हाईपोग्लाइसेमिया होने का खतरा बढ़ता है.
इस बारे में इंडियाना के west Lafayette की इंवेस्टिगेटिव बिहेवियर रिसर्च सेंटर ऑफ Purdue यूनिवर्सिटी की ऑर्थर Susane Swithers कहती हैं कि इन सारे निष्कर्षों से ये समझा जा सकता है कि डाइट में किसी भी तरह की स्वीटनिंग को शामिल करते समय सावधानी रखना बहुत जरूरी है. भले ही वो स्वीटनर आपको डायरेक्टली एनर्जी दे रहा हो या नहीं.
कुल मिलाकर ये माना जा सकता है कि इस तरह की चीजों में मॉडरेशन जरूरी है. किसी भी तरह के फूड या ड्रिंक की अति होना सेहत पर बुरा असर डाल सकता है. खासतौर से जब वो हाई लेवल के शुगर कंटेंट वाला हो.
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