मंदिर ट्रस्ट ने प्रसाद की सामग्री तैयार करने में गुणवत्ता मानकों के बारे में एक रिपोर्ट सौंपने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. टीटीडी बोर्ड ने ही हाल के महीनों में लड्डू की गुणवत्ता के बारे में जनता की कई शिकायतों का हवाला देते हुए लैब रिपोर्ट मांगी थी.
आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple) में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला लड्डू, इन दिनों राजनीतिक विवाद का केंद्र बना हुआ है. गुजरात की एक प्रयोगशाला ने लड्डू को बनाने में घी के साथ पशु की चर्बी और फिश ऑयल का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया है. इसके बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर श्रद्धालुओं की भावना को आहत करने का ‘महापाप’ का आरोप लगाया है. वहीं वाईएसआरसीपी (YSRCP) ने पलटवार करते हुए कहा है कि सीएम राजनीतिक लाभ लेने के लिए ‘घृणित आरोप’ लगा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला है क्या और अब तक क्या-क्या हुआ है?
दरअसल सबसे पहले सीएम चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की विधायक दल की बैठक के दौरान दावा किया कि पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि तिरुपति मंदिर ना सिर्फ राज्य के लिए बल्कि देश और दुनिया के हिंदुओं के लिए गौरव का स्थान है.
The lord venkateswara swamy temple at Tirumala is our most sacred temple. I am shocked to learn that the @ysjagan administration used animal fat instead of ghee in the tirupati Prasadam. Shame on @ysjagan and the @ysrcparty government that couldn’t respect the religious… pic.twitter.com/UDFC2WsoLP
— Lokesh Nara (@naralokesh) September 18, 2024
गुजरात के प्रयोगशाला में घी के नमूनों में मिलावट की पुष्टि
टीडीपी ने दावा किया कि प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा उपलब्ध कराए गए घी के नमूनों में गुजरात के पशुधन प्रयोगशाला में मिलावट की पुष्टि हुई है. रिपोर्ट में दिए गए घी के नमूने में ‘पशु की चर्बी’, ‘लार्ड’ (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का दावा किया गया है. घी के नमूने 9 जुलाई 2024 को लिए गए थे और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई को सामने आयी थी.
हालांकि आंध्र प्रदेश सरकार या तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी), जो प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करता है, उसकी ओर से इस प्रयोगशाला रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई.
प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री नारा लोकेश ने कहा, “तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है. मुझे ये जानकर आश्चर्य हुआ कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी प्रशासन ने तिरुपति प्रसादम में घी की जगह पशु चर्बी का इस्तेमाल किया.”
झूठे आरोप से भक्तों की भावनाओं को पहुंची ठेस- वाईएसआरसीपी
रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर वाईएसआरसीपी की भी प्रतिक्रिया सामने आई. पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के झूठे आरोपों से देवता की पवित्र प्रकृति को नुकसान पहुंचा है और भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. ये कहना भी अकल्पनीय है कि भगवान को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद और भक्तों को दिए जाने वाले लड्डुओं में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. पशु चर्बी के इस्तेमाल का आरोप लगाना एक घिनौना प्रयास है.
कहा गया, “यदि सीएम नायडू अपने आरोपों को साबित करने में असफल रहते हैं और सबूत पेश नहीं करते हैं तो वो कानूनी सहारा लेंगे और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए तिरुपति के लड्डुओं पर अपवित्र आरोप लगाए हैं.”
దివ్య క్షేత్రం తిరుమల పవిత్రతను, వందలకోట్లమంది హిందువుల విశ్వాసాలను చంద్రబాబునాయుడు దారుణంగా దెబ్బతీసి పెద్ద పాపమే చేశాడు. తిరుమల ప్రసాదంపై చంద్రబాబు చేసిన వ్యాఖ్యలు అత్యంత దుర్మార్గం. మనిషి పుట్టుక పుట్టినవారెవ్వరూ కూడా ఇలాంటి మాటలు మాట్లాడరు, ఇలాంటి ఆరోపణలు చేయరు.1/2
— Y V Subba Reddy (@yvsubbareddymp) September 18, 2024
वहीं तिरुपति में विश्व प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर के आधिकारिक संरक्षक और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के दो बार अध्यक्ष रह चुके बी. करुणाकर रेड्डी ने भी आरोप लगाया कि चंद्रबाबू नायडू ने विपक्षी पार्टी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी को निशाना बनाने के उद्देश्य से ये घिनौना आरोप लगाया कि स्वामी (देवता) के लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. ये निंदनीय है.
निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो- कांग्रेस
इधर आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाई.एस. शर्मिला ने सीएम नायडू के दावे की पुष्टि के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की है. उन्होंने तिरुपति लड्डू की तैयारी को लेकर ‘घृणित राजनीति’ करने के लिए मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी पर हमला बोला.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि अगर प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की बात सच है, तो इसकी निष्पक्ष जांच हो और इसमें शामिल आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो. लेकिन अगर तिरुपति मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में जानवरों के मांस होने के संबंध में किए गए दावे गलत हुए, तो मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि श्रद्धालु और भक्तगण कभी माफ नहीं करेंगे. ऐसा करके भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
जे.पी. नड्डा
हिंदू समाज अब और अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा- विहिप
विश्व प्रसिद्ध तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद में मिलावट मामले पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. विहिप ने कहा कि हिंदुओं की भावनाओं के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ जान-बूझकर और लंबे समय से किया जा रहा है. इससे पूरे हिंदू समाज में आक्रोश की लहर है. हिंदुओं की आस्था पर बार-बार हो रहे इस प्रकार के हमलों को हिंदू समाज अब और बर्दाश्त नहीं करेगा. भगवान तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जिस प्रकार विभिन्न पशुओं का मांस मिलाया गया, यह अत्यंत घृणित एवं असहनीय कृत्य है.
प्रसाद में मिलावट से साधु-संतों में भी नाराजगी
तिरुपति मंदिर के प्रसाद में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलने की पुष्टि के बाद देश के साधु-संतों में भी रोष देखने को मिल रहा है. अखिल भारतीय संत समिति ने कहा “आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर जो रहस्योद्घाटन किया है, वो बहुत ही गंभीर धार्मिक अपराध है. जगन मोहन रेड्डी की सरकार में प्रसाद में जानवरों की चर्बी से बनी घी का उपयोग किया जा रहा था. अखिल भारतीय संत समिति का मानना है कि मठ, मंदिर चलाना सरकार का काम नहीं है, लेकिन देश के चार लाख मंदिर इनके कब्जे में हैं. प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाना धार्मिक रूप से अक्षम्य और बहुत बड़ा अपराध है. ये षड्यंत्र है.”
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तिरुपति लड्डू विवाद मामला
इधर तिरुपति लड्डू विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पत्र याचिका भेजी गई है. वकील सत्यम सिंह ने मुख्य न्यायाधीश को एक चिट्ठी भेजी है. पत्र याचिका में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ट्रस्ट से संबंधित मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है और आरोप लगाया गया है कि ये कृत्य मौलिक हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन करता है और उन असंख्य भक्तों की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाता है जो प्रसाद को पवित्र आशीर्वाद मानते हैं.
मंदिर ट्रस्ट ने विवाद पर नहीं की है कोई टिप्पणी
प्रदेश में तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर और अन्य का प्रबंधन करने वाले सरकारी ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने अभी तक इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि प्रसाद की सामग्री तैयार करने में गुणवत्ता मानकों के बारे में एक रिपोर्ट सौंपने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. टीटीडी बोर्ड ने ही हाल के महीनों में लड्डू की गुणवत्ता के बारे में जनता की कई शिकायतों का हवाला देते हुए लैब रिपोर्ट मांगी थी.
तिरुपति मंदिर में कैसे बनाया जाता है लड्डू?
लड्डू मंदिर की रसोई में बनाए जाते हैं – जिन्हें ‘पोटू’ के नाम से जाना जाता है. ये दूसरे और तीसरे रास्ते के बीच की जगह ‘संपंगी प्रदक्षिणम’ के अंदर स्थित है. इन्हें बनाने के लिए टीटीडी बोर्ड हर महीने 42,000 किलोग्राम घी और 22,500 किलोग्राम काजू, 15,000 किलोग्राम किशमिश और 6,000 इलायची के साथ-साथ बेसन, चीनी और मिश्री खरीदता है.
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के अनुसार टीटीडी उनसे घी खरीदता था, लेकिन कथित तौर पर प्राइसिंग इशू के कारण चार साल पहले आपूर्ति बंद कर दी गई थी. रिपोर्टों से पता चलता है कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने टीटीडी के लिए कम कीमत पर घी की आपूर्ति करने से मना कर दिया, क्योंकि कर्नाटक सरकार ने दूध की कीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का आदेश दिया था.
इस बीच, रिपोर्टों में कहा गया है कि मंदिर बोर्ड ने तमिलनाडु के डिंडीगुल के एक आपूर्तिकर्ता से संपर्क किया, जिसके घी में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी के अंश थे.
तिरुपति लड्डू में एक ‘भौगोलिक इंडिकेटर’ टैग होता है, जो किसी उत्पाद को किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान से होने की पहचान कराता है. टैग इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट (आईपीआर) का एक रूप है जो उत्पाद की सुरक्षा करता है और ये सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ता ही इस नाम का उपयोग कर सकते हैं.
राष्ट्रीय विकास बोर्ड के तहत सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फुड लैब की रिपोर्ट में हुए खुलासे ने देश में नई बहस को जन्म दे दिया है. घी में बनाए जाने वाले लड्डू का उपयोग ना सिर्फ भगवान को चढ़ाने के लिए किया गया, बल्कि भक्तों के बीच भी इसे बड़े पैमाने पर बांटा जाता है.
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