एयर पॉल्यूशन के बढ़ने के बाद Graded Response Action Plan (GRAP) लागू की जाती है. ग्रैप का पहला चरण AQI 201 से 300 तक रहता है. प्रशासन की तरफ से जरूरत के अनुसार इसे लागू किया जाता है.
पूरे दिल्ली एनसीआर में ठंड की दस्तक के साथ ही प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. पूरे एनसीआर में धूंध की चादर देखी जा रही है. मंगलवार की सुबह दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया. मंगलवार को एक्यूआई लेवल 217 (Delhi AQI Level) दर्ज किया गया. दशहरे के दिन दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हुई आतिशबाजी के बाद प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली सरकार ने सोमवार को शहर में सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया, जो एक जनवरी, 2025 तक प्रभावी रहेगा.
दिल्ली सरकार की तरफ से ग्रैप (GRAP) लागू कर दिया गया है. Graded Response Action Plan (GRAP) प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए तत्काल उठाए जाने वाले कदम हैं. आइए जानते हैं क्या होता है ग्रैप, इसके तहत क्या-क्या कदम उठाए जाते हैं.
ग्रैप क्या होता है?
एयर पॉल्यूशन के बढ़ने के बाद Graded Response Action Plan (GRAP) लागू की जाती है. ग्रैप का पहला चरण AQI 201 से 300 तक रहता है. दूसरा चरण AQI 301 से 400 तक रहता है. फिर तीसरा चरण AQI 401 से 450 तक रहता है. अगर AQI 450 से ज्यादा हो गया तो ग्रैप-4 लागू हो जाता है.हालांकि इसके अलावा इसे लागू सरकार की तरफ से ही लागू की जाती है. जब तक सरकारी आदेश लागू नहीं होते हैं तब तक इसे लागू नहीं किया जाता है. इसके तहत कई तरह के प्रतिबंध होते हैं.
ग्रैप 1 के तहत होती है क्या-क्या पाबंदी?
ग्रैप 1 के तहत कई तरह की पाबंदियां होती है. हालांकि इसका स्तर प्रारंभिक ही होता है.आमतौर पर ग्रैप-1 तब लागू किया जाता है,जब शहर का एक्यूआई 200 के पार पहुंच जाता है.ग्रैप-1 लागू होने के बाद होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता. क्योंकि इससे निकलने वाले धुआं पर्यावरण को तेजी से प्रभावित करते हैं.पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों (BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल) परिचालन पर पूरी तरह से सख्ती लागू की जाती है.
ग्रैप 2 के तहत होती है क्या-क्या पाबंदी?
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण यानी ग्रैप-2 के तहत कई पाबंदियां लागू की जाती हैं.
औद्योगिक गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है: कई तरह के उद्योगों को बंद करने या उनकी गतिविधियों को सीमित करने के आदेश दिए जाते हैं, खासकर जो अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है: निर्माण कार्य को रोक दिया जाता है, क्योंकि इससे धूल और अन्य कण वायुमंडल में मिलते हैं. जिसका सीधा असर वायु की गुणवक्ता पर होता है.
वाहनों पर प्रतिबंध: निजी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध सरकार लगा् सकती है और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाता है.
कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध: कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स को बंद कर दिया जाता है
कूड़े के निस्तारण को लेकर सख्त नियम लागू किए जाते हैं: कूड़े के खुले में जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया जाता है: बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश भी प्रशासन की तरफ से दी जा सकती है.
ग्रैप 3 के तहत होते हैं ये प्रतिबंध
ग्रैप 3 यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का तीसरा चरण, वायु प्रदूषण के बेहद गंभीर स्तर पर लागू किया जाता है. यह एक कठोर कदम है जो प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन की तरफ से उठाए जाते हैं. ग्रैप 3 के लागू होने का मतलब है कि प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है और तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. इसके बाद सरकार की तरफ से वायु प्रदूषण के स्तर को तेजी से कम करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाते हैं.
ग्रैप 4 के तहत क्या-क्या प्रतिबंध होते हैं
ग्रैप 4 यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का चौथा चरण. यह किसी भी शहर के लिए सबसे खतरनाक स्तर होता है. इसे पर्यावरण के लिए आपातकाल के तौर पर भी देखा जाता है. वायु प्रदूषण के बेहद गंभीर स्तर पर लागू किया जाता है. यह प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे कठोर कदम होता है. ये प्रतिबंध क्षेत्र और प्रदूषण के स्तर के आधार पर बदल सकते हैं.एक बेहद गंभीर स्थिति है और इसका मतलब है कि प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। इसलिए इन प्रतिबंधों का पालन करना बहुत जरूरी है.
इन सबों के साथ ही वो सभी नियम लागू होते हैं जो ग्रैप 1,2,3 के तहत लगाए गए थे.
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