हरियाणा विधानसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का जादू जमकर चला है. हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जो रणनीति बनाई थी, लगता है कि वह रणनीति काम कर गई है और राज्य में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनाने जा रही है. आइए जानते हैं कि क्या थी बीजेपी की रणनीति.
हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम करीब-करीब साफ हो चुका है. राज्य में बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. यह पहली बार होगा कि राज्य में कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाएगी. हरियाणा के इस चुनाव परिणाम से यह पता चलता है कि हरियाणा में इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का जादू किस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है. हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जो रणनीति बनाई थी, लगता है कि उसकी वह रणनीति काम कर गई है और राज्य में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनाने जा रही है. आइए देखते हैं कि हरियाणा में बीजेपी ने यह कारनामा कैसे कर दिखाया.
बीजेपी के साथ कौन सी जातियां खड़ी हैं
बीजेपी 2014 में पहली बार हरियाणा की सत्ता पर काबिज हुई.लोगों को उम्मीद थी कि किसी जाट को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी, क्योंकि पिछले कई दशक से हरियाणा का मुख्यमंत्री जाट ही बन रहा था, भले ही वो किसी भी दल का हो.लेकिन बीजेपी ने पंजाबी समाज के मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया. पहली बार विधायक बने खट्टर को पीएम नरेंद्र मोदी की पसंद बताया गया.खट्टर को सीएम बनाने के बाद ही यह चर्चा चल उठी कि बीजेपी जाट राजनीति को खत्म करने की कोशिश कर रही है. बीजेपी से जाटों की नाराजगी यहीं से शुरू हुई. बीजेपी कभी जाटों को मनाने की कोशिश करती हुई नजर नहीं आई.उसने पंजाबी, ओबीसी और दलित वोटों को एकजुट रखने की कोशिशें जारी रखीं.मनोहर लाल खट्टर को लेकर लोगों में नाराजगी नजर आई तो बीजेपी ने उन्हें हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया. सैनी की माली जाति हरियाणा की बड़ी और ताकतवर ओबीसी जाति है.यानी कि बीजेपी की गैर जाट जातियों को जोड़ने का फार्मूला एक बार फिर काम कर गया है.हरियाणा में गैर जाट जातियां आज भी बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ी नजर आ रही हैं.
क्या जाटों ने बीजेपी का समर्थन किया है
ऐसा नहीं है कि जाट बीजेपी से नाराज ही हैं. हम यह इसलिए कह रहे हैं कि इस बार के चुनाव में बीजेपी ने जाट बहुल सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है.बीजेपी ने 2019 के चुनाव में 30 फीसद जाट बहुल सीटें जीत ली थीं. वहीं 2024 के चुनाव में उसने 51 फीसदी जाट बहुल सीटों पर बढ़त बनाई है. इसका मतलब यह हुआ कि जाट बीजेपी से बहुत नाराज नहीं हैं. हालांकि हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को मिले वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है. चुनाव आयोग के मुताबिक बीजेपी ने अभी तक 39.98 फीसदी और कांग्रेस ने 39.13 फीसदी वोट हासिल किए हैं, यानी की दोनों के वोट शेयर में मात्र 0.85 फीसदी की ही अंतर है.
क्या अभी भी मिर्चपुर कांड ओर गोहाना कांड से डरे हुए हैं दलित
इस साल के चुनाव प्रचार में बीजेपी मिर्चपुर कांड ओर गोहाना कांड को जोर-शोर से उठाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन दोनों कांडों का इस्तेमाल अपने चुनाव भाषणों में किया.दरअसल मिर्चपुर हरियाणा के हिसार जिले का एक गांव है. वहां 21 अप्रैल 2010 को वाल्मीकि समुदाय के लोगों के दर्जनों घर को जमींदोज कर दिया गया था.प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था हमलावर भीड़ की ओर ले लगाई गई आग में एक बुजुर्ग और उनकी विकलांग बेटी की जलकर मौत हो गई थी. इसका आरोप जाट जाति के लोगों पर लगा था. यह मामला अदालत तक पहुंचा था.अदालत ने इस मामले के 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत का फैसला आने से पहले ही मिर्चपुर गांव से 125 से अधिक दलित परिवार पलायन कर गए. वो आज तक वापस नहीं लौटे हैं. वहीं सोनीपत के गोहाना में 2005 में दलितों के 50 घर जला दिए गए थे. इसकी शुरुआत तब हुई जब गांव के एक दलित पर ऊंची जाति के व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा.ये दोनों कांड जब हरियाणा में हुए तो वहां बीजेपी की सरकार थी. और भूपेंद्र सिंह हुड्डा वहां के मुख्यमंत्री थे. हुड्डा पर इन दोनों कांड के आरोपियों के साथ नरमी बरतने के आरोप लगे थे.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप क्या थे
बीजेपी ने मिर्चपुर कांड ओर गोहाना कांड उठाकर दलितों के मन में कांग्रेस और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर डर बिठाने की कोशिश की. वह इसमें कामयाब भी हो गई. चुनाव की मतगणना के रूझानों को देखते हुए लगता है कि दलितों ने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट किया है. इसका परिणाम यह नजर आ रहा है कि 2019 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 29 फीसदी सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 2024 में 52 फीसदी एससी सीटों पर बढ़त बनाई है.
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