Great Earthquake : वाडिया इंस्टिट्यूट के भूकंप वैज्ञानिक डॉ नरेश कुमार ने बताया कि छोटे-छोटे भूकंप धरती के अंदर पड़ी ऊर्जा का संकेत देते हैं, लेकिन यह थ्योरी गलत है कि छोटे भूकंप बड़े भूकंप को रोक सकते हैं.
डरे सहमे लोगों और भूकंप के डरावने अनुभव… दिल्ली और उसके आसपास के शहरों के लोगों की नींद आज सुबह भूकंप के तेज झटके से खुली. एक बार फिर से भूकंप के झटकों ने लोगों के दिलों को दहला दिया है. दिल्ली और बिहार में आए भूकंप के बाद लोग दहशत में हैं. वैज्ञानिक हिमाचल से लेकर नेपाल तक के बीच के क्षेत्र में एक बड़े ‘महाभूकंप’ की आशंका से इनकार नहीं कर रहे हैं. इस क्षेत्र को वैज्ञानिक भाषा में ‘सीस्मिक गैप’ कहा जाता है, जो लगभग 600 किलोमीटर लंबा है.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के अर्थक्वेक डिपार्टमेंट के हेड डॉ नरेश कुमार ने बताया कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ जैसे इलाके में भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स की टकराहट के कारण लगातार भूकंप आते रहते हैं. जनवरी और फरवरी 2025 में उत्तरकाशी के इलाके में अकेले 7 से ज्यादा भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. यह क्षेत्र मेन सेंट्रल ट्रस्ट के नाम से जाना जाता है, जहां दो प्लेट्स की टकराहट के कारण भूकंपीय गतिविधियां अधिक होती हैं.
सीस्मिक गैप… जहां एक बड़ा ‘महाभूकंप’ आ सकता
उत्तराखंड क्षेत्र को सीस्मिक गैप के रूप में पहचाना जाता है, जहां एक बड़ा भूकंप आ सकता है. वैज्ञानिकों की थ्योरी के अनुसार उत्तराखंड का पूरा क्षेत्र इस सीस्मिक गैप में आता है. उत्तराखंड में पहले भी कई बड़े भूकंप आए हैं, जिनमें 1991 में उत्तरकाशी का भूकंप, 1999 में चमोली का भूकंप और पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग में आए अन्य भूकंप शामिल हैं. इसके अलावा, 2015 में नेपाल में आए बड़े भूकंप ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस सीस्मिक गैप में बड़ी मात्रा में ऊर्जा धरती के अंदर जमा है, जो कभी भी बड़े भूकंप का रूप ले सकती है.
वाडिया इंस्टिट्यूट के भूकंप वैज्ञानिक डॉ नरेश कुमार ने बताया कि छोटे-छोटे भूकंप धरती के अंदर पड़ी ऊर्जा का संकेत देते हैं, लेकिन यह थ्योरी गलत है कि छोटे भूकंप ‘महाभूकंप’ को रोक सकते हैं.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वहीं, अर्थ ऑब्जर्वेटरी ऑफ सिंगापुर के पूर्व टेक्निकल डायरेक्टर डॉ परमेश बनर्जी ने बताया कि उत्तराखंड का क्षेत्र हिमालय की हलचल से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है और यहां पर ग्रेट अर्थक्वेक (‘महाभूकंप’) आ सकता है. डॉ बनर्जी ने बताया कि भारतीय प्लेट तिब्बत प्लेट के नीचे घुसती जा रही है, जिससे धरती के अंदर बड़ी मात्रा में ऊर्जा इकट्ठी हो रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 500 सालों से इस क्षेत्र में ग्रेट अर्थक्वेक नहीं आया है. लेकिन यह अर्थक्वेक जरूर आएगा क्योंकि अभी तक उसे लेवल की एनर्जी नहीं निकली है.
दिल्ली और बिहार में भूकंप के बाद क्या बोले विशेषज्ञ? #earthquakeindelhi | #bihar | @RawatKishor3 pic.twitter.com/sZMG5xbvIt
— NDTV India (@ndtvindia) February 17, 2025
क्यों महसूस होते हैं भूकंप के झटके?
भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जो पृथ्वी की सतह के हिलने से होती है. पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों में बंटी हुई है, जो लगातार धीमी गति से चलती रहती हैं. जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, रगड़ती हैं या एक-दूसरे के नीचे खिसकती हैं, तो तनाव पैदा होता है. जब यह तनाव एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है, तो चट्टानें टूट जाती हैं और काफी ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे भूकंप आता है.
तिब्बत से दिल्ली तक 17 घंटों में 10 बार हिली घरती
तिब्बत में 16 फरवरी यानि रविवार को अलग-अलग समय पर भूकंप के कई झटके महसूस किये गए. रविवार को तिब्बत में भूकंप का पहला झटका 3:52 बजे लगा. इसके बाद 8:59 बजे दूसरा, 9:58 पर तीसरा, 11:59 पर चौथा भूकंप का झटका महसूस किया गया. इन भूकंप के झटकों की तीव्रता 3.5 से लेकर 4.5 तक मापी गई. बीते कुछ घंटों में 4 भूकंप के झटके महसूस करने के बाद तिब्बत के लोग दहशत में हैं.
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके:
समय: सुबह 5.36 बजेभूकंप की तीव्रता: 4.0 दर्ज की गईभूकंप का केंद्र: नई दिल्ली के करीब, धौला कुआं बताया जा रहा हैप्रभाव: भूकंप के झटकों के बाद लोग घरों से निकले
भूकंप आने पर क्या करें?
अपना संयम बनाए रखेंहाई-राईज बिल्डिंग के पहले या दूसरे फ्लोर पर हों तो तुरंत बाहर निकलकर खुले स्थान पर आएं
बिल्डिंग के अंदर
बंद दरवाजों के भीतर किसी कमरे में हों तो इमारत के बीच में कहीं दीवार के सहारे खड़े हो जाएंकिसी टेबल या डेस्क के नीचे बैठ जाएंखिड़कियों और बाहर खुलने वाले दरवाजों से दूर रहेंबड़े आइटम जैसे कैबिनेट्स, अलमारी और फ्रिज वगैरह से दूर रहें
बिल्डिंग से बाहर निकलते समय
टूटी-फूटी चीजों को देखते हुए निकलेंटूटे कांच या टूटी बिजली की तारों से बचकर रहें
विशेष सावधानियां
अगर आपके ऊपर सीलिंग टूटकर गिरने लगे या आस-पास इमारत गिरने लगे तो अपने मुंह और नाक को किसी कपड़े, स्कार्फ या रूमाल से ढक लेंअगर आप भूकंप के दौरान किसी सड़क पर हैं तो खुले स्थान पर आने की कोशिश करें और बिल्डिंग, पुल और बिजली के खंबों से दूर रहें अगर आप किसी चलती गाड़ी में हैं तो अपनी स्पीड कम कर लें और रोड के साइड में जहां गाड़ी खड़ी की जा सकती है वहां गाड़ी रोक लें NDTV India – Latest
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