Tiranga hoisting at Lal Quila: 15 अगस्त को लाल किला की प्राचीर से प्रधानमंत्री देश को संबोधित करता है। देश के प्रधानमंत्री यहां तिरंगा फहराते हैं और इसके बाद पूरे देश में झंडा फहराया जाता है। लेकिन आजाद भारत में दो ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिनको लाल किला पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य नहीं मिल सका।
1947 में 14 और 15 अगस्त की आधी रात थी जब 200 साल की अंग्रेजों की गुलामी से देश आजाद हुआ था। उस साल 15 अगस्त के एक दिन पहले सूरज डूबने के साथ ही 200 साल तक अंग्रेजी हुकूमत की निशानी रहे युनियन जैक झंडे को उतारा गया और तिरंगा लहराया।
जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार आजाद भारत में तिरंगा फहराया
15 अगस्त 1947 को प्रिंसेस पार्क में जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार आजाद भारत का तिरंगा फहराया। इसके बाद 16 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर पर भारत का झंडा लहराया गया। वह साल इतिहास में इकलौता था जब 15 अगस्त को लाल किले पर तिरंगा नहीं फहराया गया था।
1947 के बाद हर 15 अगस्त को लाल किला पर फहराया तिरंगा
1947 के बाद हर साल आजादी की सालगिरह पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं।
पंडित नेहरू सबसे अधिक बार लहरा चुके हैं तिरंगा
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला पर अबतक सबसे अधिक बार झंडा फहराया है। नेहरू जी ने 17 बार लाल किला पर तिरंगा फहराया है। नरेंद्र मोदी 15 अगस्त 2024 को लाल किला पर 11वीं बार तिरंगा फहराएंगे।
दो प्रधानमंत्री एक बार भी नहीं फहराए लालकिला पर तिरंगा
देश के दो ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लाल किला पर एक बार भी तिरंगा नहीं फहराया है। लाल किला पर झंडा न फहरा पाने वालों में कार्यकारी प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा और प्रधानमंत्री चंद्रशेखर शामिल हैं। गुलजारीलाल नंदा दो बार 13-13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। पहली बार 27 मई से 9 जून 1964 तक और दूसरी बार 11 जनवरी से 24 जनवरी 1966 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे। चंद्रशेखर 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक 8 महीनों तक प्रधानमंत्री रहे।
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