Jammu Kashmir Assembly Elections 2024 Phase 3 voting: जम्मू कश्मीर चुनाव की 10 सबसे महत्वपूर्ण और रोचक बातें
October 1, 2024
Jammu and Kashmir Election 2024 3rd Phase Voting: भारत की सबसे बड़ी ताकत और खूबसूरती इसका लोकतंत्र है. यही कारण है कि कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव में इस बात आतंकवाद और अलगाववाद के समर्थक भी बंदूक को छोड़कर बैलेट के लिए लड़ रहे हैं....
Jammu and Kashmir Election 2024 3rd Phase Voting: भारत की सबसे बड़ी ताकत और खूबसूरती इसका लोकतंत्र है. यही कारण है कि कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव में इस बात आतंकवाद और अलगाववाद के समर्थक भी बंदूक को छोड़कर बैलेट के लिए लड़ रहे हैं….
Jammu Kashmir Elections 2024 Phase 3 Voting: जम्मू-कश्मीर में आज विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान है. मतगणना 8 अक्तूबर को होगी. साल 2019 में धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन घाटी का राजनीति समीकरण अब पूरी तरह से बदल चुका है. धारा 370 हटने से पहले तक जम्मू-कश्मीर राज्य था, लेकिन अब वह केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. साथ ही राजनीति के लिहाज से भी वहां काफी बदलाव हुआ है. जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में 42.6 लाख महिलाओं सहित कुल 87.09 लाख मतदाता हैं. सबसे खात बात ये है कि लंबे समय तक जम्मू कश्मीर में चुनाव का बहिष्कार करने वाला जमात-ए-इस्लामी भी लोकतंत्र में हिस्सेदार बन रहा है. उसके कई सदस्य निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इस संगठन ने अंतिम बार साल 1987 के विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में हिस्सा लिया था. उसके बाद से लगातार इसके तरफ से चुनाव का बहिष्कार होता रहा है. साल 2019 में देश विरोध गतिविधियों के कारण केंद्र सरकार ने इस संगठन पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत की पुरानी संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमला हुआ था. इसे पांच आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. इसमें इसमें नौ लोगों की जान गई थी. सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में सभी हमलावरों को मार गिराया था. सुरक्षा एजेंसियों ने मामले की जांच के दौरान 15 दिसंबर को श्रीनगर से अफजल गुरु नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया था. नौ फरवरी 2013 को अफजल को दिल्ली की तिहाड़ जेल में अफजल को फांसी दे दी गई. भारत के लोकतंत्र की ताकत देखिए कि इसी अफजल के बड़े भाई एजाज अहमद जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ रहे हैं.वो सोपोर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं.जम्मू-कश्मीर में जारी विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के कुल 1,263 उल्लंघनों की सूचना मिली और 130 करोड़ रुपये की नकदी तथा अन्य सामग्री जब्त की गई. निर्वाचन अधिकारियों ने यह जानकारी दी. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पी के पोल ने बताया कि पुलिस विभाग ने सबसे अधिक 107.50 करोड़ रुपये जब्त किए हैं.रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का एक बयान पाकिस्तान तक में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग उनकी बात से सहमत तक दिख रहे हैं. राजनाथ सिंह ने कश्मीर के चुनाव प्रचार में कई बार कहा कि यदि पड़ोसी देश ने भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाकर रखे होते तो भारत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मांगे गए पैकेज से भी बड़ा राहत पैकेज देता. जम्मू-कश्मीर के जसरोटा में चुनाव प्रचार के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे अचानक बीमार पड़ गये. मंच पर भाषण देते हुए एकाएक कांग्रेस अध्यक्ष की तबीयत बिगड़ गई. जैसे-तैसे उन्होंने खुद को संभाला. इसके बाद अन्य नेता भी उनकी मदद के लिए आगे आए. उन्हें सोफे पर बिठाकर कुछ लोग उन्हें हवा करने लगे. उनके जूते भी खोल दिए गए. बाद में उनकी हालत स्थिर हुई, तो उन्होंने मोदी सरकार पर जुबानी हमला बोला. उन्होंने कहा, “जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर न कर दूं, तब तक मैं नहीं मरूंगा.” वहीं इस टिप्पणी के बाद भी पीएम मोदी ने खुद फोन कर मल्लिकार्जुन खरगे की तबीयत का हाल जाना.पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने जम्मू कश्मीर चुनाव के दौरान एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A बहाल करने के लिए पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन एक साथ हैं. इस बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का आर्टिकल 370 और 35A पर कांग्रेस और NC के समर्थन की बात ने एक बार फिर कांग्रेस को एक्सपोज कर दिया है. इस बयान ने पुनः यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी.गृह मंत्री ने साथ ही कहा कि पिछले कुछ वर्षों से राहुल गांधी देशवासियों की भावनाओं को आहत करते हुए हर एक भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े रहे हैं. एयर स्ट्राइक व सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने हों, या भारतीय सेना के बारे में आपत्तिजनक बातें करना हो, राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान के सुर हमेशा एक रहे हैं और कांग्रेस का हाथ हमेशा देशविरोधी शक्तियों के साथ रहा है. लेकिन, कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान यह भूल जाते हैं कि केंद्र में मोदी सरकार है, इसलिए कश्मीर में न तो आर्टिकल 370 वापस आने वाला है और न ही आतंकवाद.जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज नेता फारूक अब्दुल्ला ने चुनाव के दौरान एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि जो भी कश्मीर की सत्ता में रहा, दिल्ली ने उस पर कभी भरोसा नहीं किया. दिल्ली ने कभी भी कश्मीरियों की आकांक्षाएं नहीं समझीं. मुझे आशा है कि भविष्य में वे भरोसा करना चाहेंगे. मुसलमानों पर भी उतना ही भरोसा करो, जितना अच्छे भारतीयों पर करते हो. यही एक तथ्य है. इस राज्य की त्रासदियों के पीछे कोई अन्य कारण जिम्मेदार नहीं है.आतंकवाद वित्त पोषण यानी टेरर फंडिंग के मामले में आरोपी इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अदालत ने अंतरिम जमानत दी तो नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में खलबली मच गई. इंजीनियर राशिद ने बारामूला सीट पर लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हरा दिया था. वे निर्दलीय सांसद बने. अब विधानसभा चुनाव में वे अपने राजनीतिक दल अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के लिए जमकर प्रचार कर रहे हैं. महबूबा और उमर अब्दुल्ला उन्हें भी भाजपा की बी टीम बता रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में एक रैली में कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बारे में बताते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर की अवाम को उनके जायज हक से महरूम रखना ही इन ‘तीन खानदानों’ का सियासी एजेंडा रहा है. आज देखिए, पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल-कॉलेज आराम से चल रहे हैं. बच्चों के हाथ में कलम, किताबें और लैपटॉप हैं.प्रधानमंत्री ने इस पूर्ववर्ती प्रदेश के लोगों को भरोसा दिलाया कि जम्मू-कश्मीर फिर से राज्य बनेगा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही इस प्रतिबद्धता को पूरा करेगी.आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए निर्वाचन आयोग ने सेना के एक कर्नल को एसएसपी (प्रशिक्षण एवं विशेष अभियान) नियुक्त करने के जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी है. जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को भेजे आदेश में आयोग ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण चुनाव से जुड़े अधिकारियों के स्थानांतरण पर रोक है.आयोग ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को एक अक्टूबर को पूर्वाह्न 11 बजे तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. साथ ही आयोग से आवश्यक मंजूरी प्राप्त किए बिना आदेश जारी करने के औचित्य पर विस्तृत स्पष्टीकरण भी देना होगा.
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