लद्दाख के जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 107 रह गई थी.पुनर्गठन अधिनियम में इन सीटों को बढ़ाकर 114 कर दिया गया है.इनमें 90 सीटें जम्मू-कश्मीर के लिए और 24 पीएके के लिए हैं.
केंद्र सरकार ने संसद में विधेयक लाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था.नए केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में विधानसभा सीटें बढ़ाने के बाद राज्य में परिसीमन कराया गया.परिसीमन आयोग का गठन 6 मार्च 2020 को किया गया था.सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई इसकी अध्यक्ष थीं. इस आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्र और उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार इसके सदस्य बनाए गए थे. परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में सात नई विधानसभा सीटें अस्तित्व में आईं.परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई सीटों का नाम इस प्रकार है- त्रेहगाम, लाल चौक, अनंतनाग पश्चिम, पद्दर नागसेनी,डोडा वेस्ट,श्री माता वैष्णो देवी, उधमपुर ईस्ट, जसरोटा, रामगढ (एससी). इस विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर पहली बार चुनाव कराए गए.
जम्मू कश्मीर में कितनी विधानसभा सीटें हैं
परिसीमन से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 111 सीटें थीं. इनमें से 46 कश्मीर में, 37 जम्मू में और चार सीटें लद्दाख में थीं. इनके अलावा 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थीं.लद्दाख के जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 107 रह गई थी.पुनर्गठन अधिनियम में इन सीटों को बढ़ाकर 114 कर दिया गया है.इनमें 90 सीटें जम्मू-कश्मीर के लिए और 24 पीएके के लिए हैं.
आयोग ने जम्मू में छह विधानसभा और कश्मीर में एक विधानसभा सीट बढ़ाने की सिफारिश की थी.जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक में दो सीटें कश्मीरी पंडितों और एक सीट पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से आए शरणार्थियों के लिए नामांकित करने की बात कही गई है. दो महिलाओं को नामांकित करने का प्रावधान पहले से ही है.पांच सदस्य नामांकित किए जाने के बाद विधानसभा में कुल सीटों की संख्या बढ़कर 119 हो जाएगी.
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