November 24, 2024
Karwa Chauth 2024: कब है करवा चौथ, क्या इस बार भी देर से निकलेगा चांद, जानें कब रखा जागा व्रत

Karwa Chauth 2024: कब है करवा चौथ, क्या इस बार भी देर से निकलेगा चांद, जानें कब रखा जागा व्रत​

करवा चौथ कब है और क्या इस बार भी चांद का समय आगे पीछे होगा, जानें करवा चौथ का महत्व और पूजा विधि के बारे में.

करवा चौथ कब है और क्या इस बार भी चांद का समय आगे पीछे होगा, जानें करवा चौथ का महत्व और पूजा विधि के बारे में.

Karwa Chauth 2024 Kab Hai:साल 2024 के करवा चौथ के दिन नजदीक आ रहे हैं. इस दिन सुहागन अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रख उसका सम्मान करती हैं. इस दिन महिलाएं एक दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार करती हैं. करवा चौथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है. करवा चौथ महिलाओं के लिए सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन वह करवा चौथ माता के साथ-साथ गणपति की भी पूजा करती हैं. आइए जानते है इस बार कब है करवा चौथ का त्योहार.

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करवा चौथ की पूजा में क्या होता है? (What is Karwa Chauth Puja?)
करवा चौथ के दिन सुहागन महिलाएं सज-संवरकर करवा चौथ की कथा पढ़ती हैं. फिर चांद निकलने का इंतजार करती हैं. करवा चौथ को करक चतुर्दशी भी कहते हैं. करक यानि मिट्टी का बर्तन, जिससे चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है. करवा चौथ सिर्फ उत्तर भारत में ही मनाया जाता है, साउथ इंडिया में इसका कोई चलन नहीं है. करवा चौथ के चौथे दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है, जिसमें महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

कब है करवा चौथ? (When is Karwa Chauth)

मौजूदा साल 2024 में करवा चौथ आगामी 20 अक्टूबर (रविवार) को है. यह चतुर्थी तिथि है, जो 20 अक्टूबर की सुबह 6.46 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर सोमवार सुबह 4.16 बजे तक रहेगी. इस समय के बीच में सुहागन करवा चौथ की पूजा का इंतजाम करेंगी.

करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja)

करवा चौथ के दिन छलनी में दीपक रख पहले चांद को देख पूजा की जाती है. इस दिन चांद की पहले पूजा की जाती है और फिर उसे करक से जल चढ़ाया जाता है. इसके बाद सुहागन छलनी में अपने पति को देखती हैं और मन ही मन में विशेष मंत्र का जाप कर अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. फिर पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर उसका व्रत खोलता है.

इस त्योहार के पीछे का लॉजिक एक वीरवती नाम की महिला से जुड़ा है, जिसने करवा चौथ का व्रत रखा और जब वह भूख से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो उसके 7 भाईयों में से एक ने छलनी में दीपक रख पेड़ पर चढ़ गया और उसकी बहन ने उस दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और दूसरी ओर उसके पति की मौत हो गई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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