LAC पर डिसइंग्जेमेंट की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है: असम में बोले राजनाथ सिंह​

 राजनाथ सिंह ने कहा, “जब भी दुनिया में भारत का नाम लिया जाता है, तो भारत के नाम के साथ यह भी जोड़ा जाता है कि यह देश ‘विविधता में एकता’ का उदाहरण है. इस देश में कई भाषाएं, संस्कृतियां और धर्म मौजूद हैं. भारत में जिस तरह की एकता देखने को मिलती है, वह अद्भुत है”.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को तवांग में सरदार वल्लभभाई पटेल की एक प्रतिमा का अनावरण किया और मेजर रालेंगनाओ ‘बॉब’ खटिंग वीरता संग्रहालय का उद्घाटन किया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर कुछ क्षेत्रों में विवादों का समाधान करने के लिए भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य, दोनों ही स्थर पर  बातचीत होती रही है.

LAC पर कुछ क्षेत्रों में, conflicts को resolve करने के लिए, भारत और चीन के बीच,diplomatic और military, दोनों ही levels पर बातचीत होती रही है। अभी हाल की बातचीत के बाद, ground situation को restore करने के लिए, आपस में broad consensus हुई है। यह consensus, equal और mutual security…

— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) October 31, 2024

रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी हाल की बातचीत के बाद, जमीनी हालात को रिस्टोर करने के लिए, आपस में व्यापक सहमति हुई है. यह सहमति, समानता और पारस्परिक सुरक्षा के आधार पर विकसित हुई है. जो सहमति बनी है, उसके अंतर्गत पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और ग्रेजिंग का अधिकार भी शामिल है. इस सहमति के आधार पर, डिसइंग्जेमेंट (Disengagement) की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. हमारा प्रयास होगा, कि बात डिसइंग्जेमेंट (Disengagement) से भी आगे बढ़े, लेकिन उसके लिए, हमें अभी थोड़ी प्रतीक्षा करनी होगी.

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 2020 में LAC पर सीमा गतिरोध शुरू हुआ था, जिसकी शुरुआत चीनी सैन्य कार्रवाइयों से हुई थी. इस घटना के कारण दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव बना रहा और संबंधों में काफी तनाव आया.

राजनाथ सिंह ने कहा, यह देश न जाने कितने ही, नामचीन और अनाम सपूतों का ऋणी है. ऐसे न जाने कितने नाम हैं, जिनको इतिहास के पन्नो में स्थान नहीं मिला, लेकिन इससे उनका बलिदान और उनका महत्व, छोटा नहीं पड़ जाता. हमारा यह कर्तव्य बनता है, कि हम उनके बलिदानों को याद करें, उनके महत्व को समझें, और उन्हें उचित सम्मान दें. इसी क्रम में आज हमने, इन दो स्थानों को राष्ट्र को समर्पित किया है.”

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