रिटायर न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इतिहास की 9 वीं महिला जज रही हैं. वे दिल्ली हाईकोर्ट से आईं सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज हैं. वे कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहीं हैं. महिला अधिकारों की पक्षधर रहीं जस्टिस हिमा कोहली को ‘टफ’ जज कहा जाता है. वे 18 साल तक जज रही हैं. महिला अधिकारों को लेकर हमेशा से मुखर और एक ‘ टफ’ जज मानी जाने वालीं सुप्रीम कोर्ट से हाल ही में रिटायर हुईं जस्टिस हिमा कोहली ने NDTV के सीनियर एडिटर लीगल न्यूज आशीष भार्गव से कई मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बातचीत की.
रिटायर न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इतिहास की 9 वीं महिला जज रही हैं. वे दिल्ली हाईकोर्ट से आईं सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज हैं. वे कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहीं हैं. महिला अधिकारों की पक्षधर रहीं जस्टिस हिमा कोहली को ‘टफ’ जज कहा जाता है. वे 18 साल तक जज रही हैं. महिला अधिकारों को लेकर हमेशा से मुखर और एक ‘ टफ’ जज मानी जाने वालीं सुप्रीम कोर्ट से हाल ही में रिटायर हुईं जस्टिस हिमा कोहली ने NDTV के सीनियर एडिटर लीगल न्यूज आशीष भार्गव से कई मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बातचीत की.
जस्टिस हिमा कोहली ने NDTV से कहा, ”महिला जज को ‘टफ’ होना चाहिए. न्यायपालिका में महिलाओं को ज्यादा मुश्किलें हैं. सन 1980 के दशक में महिला जज बनना बहुत मुश्किल था. वकालत में भी महिलाओं को कई दिक्कतें होती थीं. परिवार, बच्चों को भी संभालना होता है. अभी भी महिलाओं की राह में कई मुश्किलें हैं.”
महिला जज सिर्फ फैमिली कोर्ट ही क्यों चलाएं?
उन्होंने कहा कि, ”महिला जज सिर्फ फैमिली कोर्ट ही क्यों चलाएं? महिला जजों को आईटी (IT) जैसे क्षेत्राधिकार मिलें. आपराधिक मामलों में महिला वकीलों को ज्यादा दिक्कतें हैं. उनके पास ज्यादा मौके नहीं हैं. पहली पीढ़ी के वकीलों के सामने बड़ी चुनौतियां होती हैं. उनके पास कोई संसाधन नहीं होते, न दफ्तर न फाइलें संभालने वाला.”
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि, ”सुप्रीम कोर्ट पर आम नागरिक भरोसा रखें. सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है. विवादित मामले कुछ ही होते हैं. जमीन अधिग्रहण जैसे मामले आम लोगों से जुड़े हैं. जज अपनी अंतरात्मा की बात सुनते हैं. लोग भरोसा रखें, कानून का शासन बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय है. जज भी इंसान हैं, कभी-कभी गलती हो जाती हैं.”
वर्चुअल सुनवाई से न्याय आम लोगों के घर तक पहुंचा
जस्टिस कोहली ने कहा कि, ”वर्चुअल सुनवाई से न्याय आम लोगों के घर तक पहुंचा है. जजों को भी तकनीक का फायदा मिला है. जज के तौर पर हमें सबको एक समान देखना जरूरी है. बाहर किसी से कैसा भी संबंध हों, लेकिन लाइन क्रास नहीं करनी चाहिए. आपसी संबंध काम के बीच में ना आएं. जज के तौर पर सिर्फ मामले को देखते हैं. चेहरे पर नहीं, बल्कि केस को मेरिट की नजर में देखते हैं.”
उन्होंने कहा कि, ”जज आज की दुनिया से कट नहीं सकते. हम आइवरी टावर वाले जमाने में नहीं हैं. आम लोगों की दिक्कतें जजों को पता हों. हम जज सोशल मीडिया पर नहीं हैं, लेकिन चारों ओर देखना जरूरी है.”
युवा वकीलों को नसीहत
जस्टिस हिमा कोहली ने युवा वकीलों को नसीहत दी. उन्होंने कहा कि, ”युवा वकील खाली वक्त में कोर्ट में बैठें. फ्री समय में कैंटीन नहीं लाइब्रेरी जाईए. केस नहीं है तो घर पर मत बैठिए.”
जस्टिस हिमा कोहली ने बताया कि वे ‘क्विक’ कुकिंग पसंद करती हैं. उन्होंने कहा कि, ”जज बनी तो कई चीजें छूट गईं. कविता लिखने का शौक रहा, लेकिन जज बनने के बाद फैसले लिखने पड़े. बहन से बागवानी सीखी. म्युजिक में रुझान था, जज बनने के बाद संगीत से नाता टूट गया. गाने सुनने का शौक है लेकिन गाड़ी में भी संगीत नहीं सुन पाती थी.”
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