NewsClick के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और HR Head अमित चक्रवर्ती को Delhi Police ने किया अरेस्ट

NewsClick raid: न्यूज़क्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को मंगलवार की देर शाम को अरेस्ट कर लिया गया। ऑनलाइन पोर्टल न्यूज़क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों और कर्मचारियों के आवासों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की थी। इसके बाद कई पत्रकारों को पुलिस स्टेशन्स पर पूछताछ के लिए लाया गया था। पत्रकार प्रबीर पुरकायस्थ (NewsClick owner) को यूएपीए (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि समाचार पोर्टल को चीनी प्रोपगैंडा को बढ़ावा देने वाले फंडिंग मिली थी। एडिटर्स गिल्ड ने इन कार्रवाईयों को प्रेस की स्वतंत्रता पर आपराधिक कानूनों से दबाव बनाने की कोशिश बताया है। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी, असहमति को दबाने की कोशिशें नहीं होनी चाहिए। कोई अपराध किया है तो नियम कानून से जांच हो न कि अनावश्यक दबाव बनाने के लिए कार्रवाई की जाए।

सुबह छह बजे से देश के विभिन्न हिस्सों में दिल्ली पुलिस का रेड

मंगलवार सुबह छह बजे से दिल्ली पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर और मुंबई सहित देश के विभिन्न शहरों में दर्जनों ठिकानों पर रेड (NewsClick raid) किया और न्यूजक्लिक से जुड़े पत्रकारों और कर्मचारियों से पूछताछ की है। पुलिस ने 50 के आसपास पत्रकारों और अन्य लोगों से पूछताछ किया। हालांकि, कुछ जगहों पर पुलिस को प्रतिरोध का भी सामना करना पड़ा जहां कई संगठनों ने प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

NewsClick के चीनी फंडिंग को लेकर पुलिस ने जांच का किया दावा

दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि न्यूज़क्लिक (NewsClick Hindi) को चीन से कथित संबंध वाली संस्थाओं से लगभग 38 करोड़ रुपये मिले। इस फंड्स का उपयोग चीनी प्रोपगैंड़ा को फैलाने के लिए किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक्सपोर्ट सर्विसेस फीस के लिए 29 करोड़ रुपये मिले तो एफडीआई के द्वारा शेयर प्राइज के रूप में 9 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। फंड को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और गौतम नवलखा के साथ भी साझा किए जाने का भी दावा किया जा रहा है।

एडिटर्स गिल्ड ने प्रेस की आजादी को लेकर चिंता जताई

रेड के कुछ घंटों बाद पत्रकारों के गैर-लाभकारी संगठन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने केंद्र सरकार से उचित प्रक्रिया का पालन करने का आग्रह किया। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि पत्रकारों को धमकाने के लिए कठोर आपराधिक कानूनों को उपकरण नहीं बनाया जाना चाहिए। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि ईजीआई चिंतित है कि ये रेड मीडिया को दबाने का एक और प्रयास है। हालांकि, हम मानते हैं कि यदि वास्तविक अपराध शामिल हैं तो कानून को अपना काम करना चाहिए। लेकिन उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति और आलोचनात्मक आवाज़ों को उठाने पर कठोर कानूनों की छाया के तहत डर का माहौल नहीं बनाया जाना चाहिए।