पटना। हर एक राज्य पर अपनी सत्ता होने के लिए सक्रिय बीजेपी (BJP) के हाथ से बुधवार को एक बड़ा हिंदी भाषी राज्य निकल गया। बिहार में सत्ता की भागीदार रही बीजेपी को जदयू ने बेदखल कर विपक्षी दलों को साथ ले लिया है। अब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के समर्थन में 164 विधायक खड़े हैं जो बहुमत के जादुई आंकड़े से काफी अधिक हैं। बुधवार को नीतीश कुमार ने रिकार्ड 8वीं बार बिहार के सीएम पद के रूप में शपथ ली है। राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) महागठबंधन की सरकार में उप मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली। राज्यपाल फागू चौहान (Fagu Chauhan) ने मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
महागठबंधन के मुख्यमंत्री बनते ही नीतीश की पीएम मोदी को चुनौती
शपथ समारोह के बाद बोलते हुए, श्री कुमार ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक चुनौती देते हुए सवाल किया कि क्या वह 2024 में फिर से चुने जाएंगे। नीतीश कुमार ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री पद का इच्छुक नहीं हूं। सवाल यह है कि क्या 2014 में आने वाला व्यक्ति 2024 में जीतेगा।” उन्होंने बार-बार यह भी कहा कि वह “विपक्षी एकता” के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। नीतीश ने अपने संबोधन में कहा, “मैं 2020 के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता था, लेकिन मुझ पर दबाव डाला गया।”
बीजेपी लगा रही नीतीश कुमार पर विश्वासघात का आरोप
भाजपा ने आज पटना में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा ने घोषणा की कि वे जिलों में भी विरोध प्रदर्शन करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार की जनता नीतीश कुमार को कभी माफ नहीं करेगी।
नीतीश कुमार ने बीजेपी को दे दिया है बिहार में झटका
देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को पश्चिम बंगाल के बाद अब बिहार में झटका लगा है। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीट जीतने के बाद भी बीजेपी ने अपने गठबंधन साथी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए थे। लेकिन इसी बीच बीजेपी खुद को संगठन व चुनावी समीकरण को दृष्टिगत रखते हुए मजबूत करने में लगी हुई थी। ऐसा माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह बीजेपी ने जदयू का भी हाल करने का पूरा व्यूह रच दिया था। लेकिन राजनीतिक अनुभवहीन उद्धव ठाकरे के विपरीत अनुभवी राजनीतिज्ञ नीतीश कुमार ने पहले ही झटका दे दिया।
आठवीं बार सीएम बने नीतीश कुमार
मंगलवार को नीतीश कुमार ने जदयू के विधायक व सांसदों की meeting में NDA से अलग होने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। इसके बाद वह सीधे राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंपा। उधर, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद, कांग्रेस समेत सात दलों के विधायकों ने मीटिंग करके नीतीश कुमार को एनडीए छोड़ने की स्थिति में समर्थन का फैसला किया। कुछ ही देर में नीतीश को विधायक दल का नेता चुना गया। फिर सात दलों के नेताओं ने जाकर राज्यपाल से मिलकर 164 विधायकों का नीतीश कुमार के पक्ष में समर्थन पत्र देकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था।