Parenting Tips: बच्चे बड़े होकर बेहतर इंसान तभी बनते हैं जब बचपन में माता-पिता उन्हें अच्छे संस्कार देते हैं. इसलिए बच्चों को अभी से कुछ अच्छी आदतें सिखाकर आप उनका भविष्य संवार सकते हैं.
Parenting Tips: कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनसे मिलकर लोग उनकी तारीफ करने लगते हैं. उनकी आदतों और संस्कारों की मिसाल देते हैं. ऐसे बच्चों को मिसाल बनाने में सबसे अहम योगदान उनके पेरेंट्स का होता है. दरअसल, माता-पिता बच्चों को जो छोटी-छोटी चीजें सिखाते हैं, उनका उनकी पर्सनालिटी पर बहुत असर होता है. इसलिए कहा जाता है कि बचपन के संस्कार ताउम्र साथ रहते हैं. इसकी शुरुआत होती है बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने से. इन आदतों से न सिर्फ बच्चे पर्सनल बल्कि प्रोफेशनल ग्रोथ भी कर पाते हैं. इसलिए जरूरी है कि बच्चों को कम उम्र से अच्छी आदतें सिखाई जाएं. इस लेख में जानें ऐसी ही आदतों के बारे में.
भविष्य तय करती हैं बचपन की आदतें- एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अच्छी आदतें ना केवल बच्चे का भविष्य बनाती हैं बल्कि उसकी पर्सनालिटी को भी विकसित करने में मददगार साबित होती हैं. इन आदतों को सीखने के लिए यह जरूरी नहीं कि बच्चा बड़ा हो. कम उम्र में भी इन्हें सिखाने की शुरुआत की जा सकती है. क्योंकि छोटे बच्चे को जो सिखाया जाता है वो उसके डेली रूटीन का हिस्सा बन जाता है. बच्चे में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है.
बच्चों को सिखाएं ये गुड मैनर्स | Teach These Good Manners To Kids
– बच्चों को टाइम मैनेजमेंट सिखाना चाहिए. उसे रोजमर्रा के कामों को समय पर पूरा करने के लिए प्रेरित करें. टाइम टेबल से ना केवल पढ़ाई हो बल्कि खेलने, सोने, खाने आदि का भी समय निश्चित हो.
– बच्चे को आउटडोर एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें. उसे योग, डांस, एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित करें.
– बच्चे को अपनी गलती स्वीकार करना सिखाना चाहिए. हालांकि किसी गलती पर बच्चे को बार-बार टोकने से बचना चाहिए.
– बड़ों का सम्मान करना सिखाना चाहिए. जब भी बच्चे किसी बुजुर्ग को देखें तो उनकी मदद करें, उनका अभिवादन करें.
– बच्चे को धन्यवाद, प्लीज, सॉरी, एक्सक्यूज मी जैसे शब्दों का महत्व पता होना चाहिए.
– अगर बच्चे कोई गलत शब्द बोल रहा है, तो उसे रोकें और बताएं कि इससे उसकी भाषा खराब होगी. ये काम सहजता से करें.
– बच्चे को अच्छा व्यवहार करने का महत्व समझाएं.
– गलती करने पर माफी मांगना एक अच्छा संस्कार है. इसलिए बच्चे को समझाएं कि अगर उससे गलती होती है तो वो सॉरी बोले. बच्चों को बताएं कि किस जगह और कौन सी गलती के बाद सॉरी बोलना चाहिए.
– बच्चे को छोटी-छोटी चीजें सिखाएं. जैसे किसी के घर जाएं तो कैसा बिहेव करें. किसी के घर के अंदर जाएं तो पहले दरवाजा नॉक करें या बेल बजाएं. किसी के घर जाकर वहां गंदगी ना फैलाएं. जूते बाहर उतारकर ही अंदर जाना चाहिए आदि.
– बच्चे को समझाएं कि किसी का मजाक उड़ाना अच्छी बात नहीं. पहनावे, खानपान या रंग, भाषा को लेकर मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. किसी की शारीरिक स्थिति या मानसिक स्थिति का भी मजाक नहीं उड़ाना चाहिए.
पेरेंट्स की जिम्मेदारी- यह याद रखें कि बच्चे को कुछ भी सिखाना है तो पहले आपको वो आदतें अपनानी होंगी. बच्चे देखकर ही काफी कुछ सीख जाते हैं. उनके ऊपर सबसे ज्यादा असर माता-पिता का होता है. बच्चे जो देखते हैं, वही करने लगते हैं. जैसे अगर आप बच्चे को कहते हैं कि वो दो बार ब्रश करें, तो पहले आपको ये करना शुरू करना होगा. इसके बाद आपको बच्चे को ये सिखाने के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा. अगर बच्चा आपकी बात मानता है और अच्छा व्यवहार करता है तो इसके लिए उसे रिवॉर्ड दें. जिससे उसे प्रेरणा मिल सके.
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