January 6, 2025
Photos : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के नाम पर भारत में है गांव, कार्टरपुरी के लोगों ने उन्हें ऐसे किया याद

Photos : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के नाम पर भारत में है गांव, कार्टरपुरी के लोगों ने उन्हें ऐसे किया याद​

जिमी कार्टर अमेरिका के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति रहे थे. अपनी मां के कहने के बाद वह अपने जन्मस्थान को देखने के लिए साल 1978 में गुड़गांव आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दौलतपुर नसीराबाद का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया था.

जिमी कार्टर अमेरिका के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति रहे थे. अपनी मां के कहने के बाद वह अपने जन्मस्थान को देखने के लिए साल 1978 में गुड़गांव आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दौलतपुर नसीराबाद का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया था.

गुरुग्राम के गांव दौलतपुर नसीराबाद में जन्में और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन हो गया. वह 100 वर्ष के थे. उनका निधन होने के बाद गुरुग्राम के कार्टरपुरी में रहने वाले लोगों ने उन्हें याद किया और अपनी खट्टी मीठी यादें ताजा की.

1978 में कार्ट जब गुरुग्राम आए तो उनके नाम पर दौलतपुर नसीराबाद का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया गया. उनके निधन से कार्टरपुरी गांव में शोक का माहौल है.

ग्रामीणों की मानें तो जिस दिन जिमी कार्टर गुरुग्राम आए वह दिन कार्टरपुरी निवासियों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं था. उनके आने से पहले कच्ची सड़कें पक्की कर दी गई. गांव को दुल्हन की तरह सजा दिया गया उनका स्वागत ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से किया.

ग्रामीणों की मानें तो अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जिमी कार्टर की माता मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थी. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वह फौजियों की सेवा करने के लिए गुड़गांव के गांव दौलतपुर नसीराबाद आई थी. यहां जेलदार की हवेली में वह रहती थी और इसी स्थान पर ही जिमी कार्टर का जन्म हुआ.

जिमी कार्टर अमेरिका के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति रहे थे. अपनी मां के कहने के बाद वह अपने जन्मस्थान को देखने के लिए साल 1978 में गुड़गांव आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने दौलतपुर नसीराबाद का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया था. आज जिमी कार्टर की यादों को साझा करते हुए ग्रामीणों की आंखे नम हो गई.

ग्रामीणों ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जिमी कार्टर की माता मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थी. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वह फौजियों की सेवा करने के लिए गुड़गांव के गांव दौलतपुर नसीराबाद आई थी. यहां जेलदार की हवेली में वह रहती थी और इसी स्थान पर ही जिमी कार्टर का जन्म हुआ.

सबसे लंबे समय तक जीवित रहे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति कार्टर ने 1977 से 1981 तक इस पद पर सेवाएं दी थीं. मूंगफली की खेती करने वाले कार्टर ने ‘वाटरगेट’ घोटाले और वियतनाम युद्ध के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था.

कार्टर के परिवार में उनके बच्चे- जैक, चिप, जेफ एवं एमी, 11 पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोतियां हैं. उनकी पत्नी रोजलिन और उनके एक पोते का निधन हो चुका है.

कार्टर ने दो जनवरी, 1978 को कहा था कि भारत की कठिनाइयां, जिनका हम अक्सर स्वयं अनुभव करते हैं और जिनका विशेष रूप से विकासशील देशों को सामना करना पड़ता है, वे हमें भविष्य की जिम्मेदारियों की याद दिलाती हैं। सत्तावादी तरीके की नहीं.

कार्टर का करियर
किसान और नर्स के बेटे कार्टर का सार्वजनिक सेवा में करियर 1943 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडमी में कैडेट के रूप में शुरू हुआ और फिर उन्होंने अटलांटिक और प्रशांत दोनों बेड़े में सेवा की. बाद में उन्हें विशिष्ट परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चुना गया. कार्टर 1962 में राज्य सीनेटर और 1970 में जॉर्जिया के 76वें गवर्नर चुने गए. कार्टर ने 1974 में राष्ट्रपति पद के लिए अपना अभियान शुरू किया था, जब अमेरिका राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के प्रशासन से जुड़े वाटरगेट घोटाले से उबर नहीं पाया था. इस घोटाले के कारण 1974 में निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था. 1980 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें रिपब्लिकन रोनाल्ड रीगन ने हराया था.

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