“PM मोदी को UPA से नाजुक अर्थव्यवस्था विरासत में मिली”: NDTV से बोले अरविंद पानगड़िया​

 Arvind Panagariya NDTV Exclusive: 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पानगड़िया ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में यूपीए शासन से मिली चुनौतियों और इनसे कैसे पीएम मोदी निपटे, इसके बारे में विस्तार से बताया…

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पानगड़िया (Dr Arvind Panagariya) ने एनडीटीवी को बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को बहुत ही नाजुक अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, लेकिन फिर भी भारत को विकसित करने के लिए काफी काम किया गया है. इसमें और अधिक काम करने की जरूरत है. अरविंद पानगड़िया ने बताया कि अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर काबू पा लिया गया है. विकसित भारत के लिए 2047 तक लगभग 7.6 प्रतिशत की निरंतर वृद्धि को न्यूनतम माना जाता है. इसे हासिल करना बहुत संभव है. उन्होंने कई रिपोर्ट्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत की जीडीपी 2024/25 में लगभग आठ प्रतिशत बढ़ने की संभावना है.

पीएम मोदी को कैसी चुनौतियां मिलीं

पानगड़िया ने अपनी बात को विस्तार से बताते हुए कहा, “हम भूल जाते हैं कि वास्तव में, पीएम को एक बहुत ही नाजुक अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी. यूपीए शासन के अंत के दो या तीन वर्षों में चीजें वास्तव में खराब हो गई थीं. यह सब कुछ सबसे खराब कानून बनाने के कारण हुआ. हम शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाए, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने की बजाय उसमें बाधा बन गया और हम भूमि अधिग्रहण अधिनियम लाए, जिसने स्पष्ट रूप से यूपीए के बाद आने वाले प्रधानमंत्री के कार्य को शर्तों के मामले में अविश्वसनीय रूप से कठिन बना दिया. क्योंकि जमीनों की कीमत बहुत ज्यादा कर दी गई.” उन्होंने भूमि अधिग्रहण की लागत की ओर इशारा करते हुए कहा, “सड़कों जैसी लिनियर प्रोजेक्ट में भी भूमि की खरीद प्रोजेक्ट की लागत का तीन-चौथाई हो जाती है. इसका मतलब यह है कि जितने पैसे में 2 किलोमीटर सड़क बन सकती थी, आप केवल 1 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर पा रहे हैं.”

कौन से सुधार अभी होने हैं

डॉ. पानगड़िया ने पीएम मोदी को विरासत में मिली आर्थिक और प्रशासनिक प्रणाली में अन्य कमजोरियों को भी उजागर किया, जैसे कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारण एक तरह से शायद ही कोई परियोजना आगे बढ़ रही थी. लालफीताशाही, जीएसटी और दिवालियापन संहिता की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि तब इन बाधाओं को दूर करने के लिए पीएम मोदी आगे बढ़े. उन्होंने लेबर लॉ के कार्यान्वयन को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा, ” हमने इन्हें 2019/20 में अधिनियमित किया था, लेकिन कार्यान्वयन अभी भी किया जाना है. एक बार यह हो जाए तो टैक्स, प्राइवेटाइजेशन और हायर एजुकेशन आदि में रिफॉर्म लाने हैं.”

‘विकसित भारत बनाना संभव’

डॉ. पानगड़िया ने एनडीटीवी को बताया कि रेलवे और नागरिक उड्डयन और सबसे महत्वपूर्ण डिजिटल भुगतान से संबंधित अन्य बुनियादी ढांचे की जरूरतों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. इन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ‘विकसित भारत’ एक हासिल करने योग्य सपना है. उन्होंने कहा, “पिछले 20 वर्षों से…अगर मैं 2003/04 से 2022/23 तक ले जाऊं, तो वर्तमान डॉलर के संदर्भ में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 10.2 प्रतिशत है. लोगों को एहसास नहीं है कि डॉलर के संदर्भ में हमने ज्यादा तेजी से ग्रोथ किया है. अगर मैं जीडीपी डिफ्लेटर को हटा दूं, जो कि यूएस जीडीपी डिफ्लेटर है, क्योंकि हम डॉलर के संदर्भ में बात कर रहे हैं तो इस अवधि के लिए वास्तविक डॉलर में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत हो जाती है.”

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