Sharda sinha death: मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा ने 5 नवंबर की रात आखिरी सांसें लीं. उनका जाना देश के संगीत खासकर भोजपुरी, मैथिली और मगही के लिए बहुत बड़ी क्षति है.
छठ पूजा लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों के बिना अधूरी है. उन्होंने छठ महापर्व के लिए ‘केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके’ और ‘सुनअ छठी माई’ जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए हैं. इन गीतों के बिना छठ पर्व मानो अधूरा सा लगता है. उनके गाए गीत देश क्या सात समुंदर पार अमेरिका तक में भी सुने जाते हैं. मंगलवार (5 नवंबर) की रात शारदा सिन्हा की आवाज खामोश हो गई. मंगलवार को छठ महापर्व का पहला दिन था.
शारदा सिन्हा का जाना देश के संगीत खासकर भोजपुरी, मैथिली और मगही के लिए बहुत बड़ी क्षति है. शारदा सिन्हा ने अपनी मधुर आवाज से न केवल भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दिलाई बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी अद्वितीय गायकी का जलवा बिखेरा. उनकी आवाज में सलमान खान की फिल्म “मैंने प्यार किया” का गाना “कहे तो से सजना” बेहद लोकप्रिय हुआ. इसके अलावा, उन्होंने “गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2” और “चारफुटिया छोकरे” जैसी फिल्मों में भी गाने गाए जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा.
ससुराल जाकर मिली संगीत की राह
लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून से खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया. शारदा सिन्हा विशेष रूप से छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
शारदा सिन्हा का संगीत यात्रा बिहार के बेगूसराय जिले के सिहमा गांव से शुरू हुई जहां उनके ससुराल वाले रहते थे. यहीं पर उन्होंने मैथिली लोकगीतों के प्रति अपनी रुचि विकसित की जो बाद में उनके संगीत करियर का आधार बनी. शारदा ने न केवल मैथिली, बल्कि भोजपुरी, मगही और हिंदी संगीत में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा. इलाहाबाद में आयोजित बसंत महोत्सव में शारदा ने अपने गायन से सभी को मंत्रमुग्ध किया और प्रयाग संगीत समिति ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें मंच पर गाने का अवसर दिया.
साल 2016 में शारदा सिन्हा ने ‘सुपवा ना मिले माई’ और ‘पहिले पहिल छठी मैया’ जैसे दो नए छठ गीतों को रिलीज किया. इन गीतों ने छठ पूजा की पारंपरिक महत्ता को एक बार फिर लोगों के दिलों में जिंदा कर दिया और इस धार्मिक पर्व की भावना को न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में फैलाया. शारदा सिन्हा का संगीत छठ पूजा के गीतों में विशेष रूप से अनूठा स्थान रखता है और उनकी आवाज ने इस धार्मिक अवसर को और भी गहरा बना दिया.
संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को सराहा गया और उन्हें 1991 में ‘पद्मश्री’ और 2018 में ‘पद्म भूषण’ जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. यह सम्मान उनके अद्वितीय गायन के साथ-साथ भारतीय संगीत और संस्कृति को समर्पित उनके योगदान का प्रतीक हैं.
NDTV India – Latest
More Stories
महिला ने गिलहरी के साथ कुछ ऐसे मनाया भाई दूज का त्योहार, वायरल हुआ Video, यूजर्स बोले- सबसे बड़ी खुशी यही है…
LIVE NEWS UPDATES : पटना में राजकीय सम्मान के साथ होगा शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार, एक्जिट पोल में डोनाल्ड ट्रंप आगे
धुंध से दिल्ली का बुरा हाल, कई जगहों पर AQI 400 पार, कब सुधरेंगे हालात?