November 24, 2024
Putin

सामना में Modi को बताया Putin जैसा तानाशाह, विपक्ष को तख्तापलट करने वाला Wagner Group

Saamana संपादकीय में कहा गया कि चाहे पीएम मोदी हों या पुतिन, उन्हें विद्रोह का सामना करना पड़ता है।

Wagner Group in India: भारत की राजनीतिक लड़ाई में अब वैगनर ग्रुप की एंट्री हो गई है। शिवसेना उद्धव गुट ने कहा कि यहां का वैगनर ग्रुप अहिंसा का मार्ग का उपयोग करके वोट के माध्यम से देश की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकेगा। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में विपक्षी एकता और 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार पर लेख लिखा है। संपादकीय में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ विद्रोह की तुलना बीते हफ्ते पटना में विपक्षी दलों से की गई है।

बिहार में देश के 32 से अधिक प्रमुख नेता जुटे थे

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मोदी सरकार के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए बीते 23 जून को पटना में नीतीश कुमार की अगुवाई में देशभर के 32 से अधिक विपक्षी नेता जुटे थे। इस मीटिंग में 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी से एकजुट होकर मुकाबला करने का संकल्प लिया।

सामना ने कहा कि वैगनर ने दिखाया तानाशाही को दी जा सकती चुनौती

सामना के संपादकीय में कहा गया कि वैगनर समूह ने दिखाया है कि तानाशाही को चुनौती दी जा सकती है। संपादकीय में कहा गया कि चाहे पीएम मोदी हों या पुतिन, उन्हें विद्रोह का सामना करना पड़ता है। भारत में सरकार को एक अहिंसक वैगनर द्वारा उखाड़ फेंका जाएगा और वह मार्ग बैलेट के माध्यम से होगा। सामना में कहा गया है कि पुतिन की तरह मोदी को भी जाना होगा लेकिन मोदी लोकतांत्रिक तरीके से जाएंगे।

अगर ईवीएम घोटाला हुआ तो मणिपुर जैसी स्थिति

मराठी दैनिक ने पिछले सप्ताह बिहार की राजधानी में विपक्षी दलों के सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि वैगनर समूह लोकतंत्र के रक्षक के रूप में पटना में एक साथ आया। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) 2024 में नतीजे तय नहीं करेंगी, बल्कि लोग तय करेंगे। संपादकीय में दावा किया गया है कि अगर ईवीएम घोटाला हुआ तो देश में मणिपुर जैसी स्थिति होगी। लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है।

संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि भाजपा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समूह जैसे कई लोगों को अपना रक्षक बना रखा है और कल वही लोग उन्हें छुरा घोंप देंगे। बता दें कि शिंदे ने पिछले साल जून में शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। इससे शिवसेना में विभाजन हो गया और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई। बाद में शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।

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