वोट देने वाले की पहचान बन चुकी नीली स्याही को देश की केवल एक ही कंपनी बनाती है, क्यों मैसूर में ही बनती अमिट स्याही

Blue Ink used during Election: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) होने जा रहा है। वोट डालने पर मतदाता की उंगली पर स्याही लगाई जाती है। इसकी खासियत है कि जल्द सूखती है और मिटती नहीं। आम हो या खास, हर किसी को एक ही प्रकार की स्याही लगाई जाती है और यह स्याही जल्द मिटती नहीं है। वोटर्स की अंगुलियों पर नीली स्याही देखकर यह पता लग सकता कि अमुक ने वोट किया या नहीं?

कौन बनाता है अमिट स्याही?

दरअसल, चुनाव में इस्तेमाल होने वाली यह स्याही भारत की एकमात्र कंपनी MPVL (Mysore Paints and Varnish Limited) बनाती है। लोकसभा चुनाव से पहले इसे अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर मिला है। MPVL सरकारी कंपनी है। इसे चुनाव आयोग से अमिट स्याही की 26.5 लाख शीशियों के लिए ऑर्डर मिला है। यह अब तक कंपनी को मिला सबसे बड़ा ऑर्डर है।

55 करोड़ रुपये का मिला आर्डर

26.5 लाख शीशियों की कीमत 55 करोड़ रुपए है। कंपनी को 15 मार्च तक ऑर्डर पूरा करना है। एक शीशी में 10ml स्याही होती है, जिसे 700 से अधिक मतदाता की उंगली पर लगाई जा सकती है। चुनाव आयोग ने कंपनी को स्याही के लिए दिसंबर 2023 में ऑर्डर दिया था। चुनाव आयोग द्वारा कंपनी से मिली स्याही को सभी राज्यों में बांटती है।

दुनिया के 60 देशों में इस स्याही की चुनाव के लिए की जाती सप्लाई

उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक स्याही दी जाती है। वहीं, सबसे कम स्याही लक्षद्वीप को मिलती है। MPVL द्वारा स्याही का निर्यात भी किया जाता है। कंपनी 60 देशों को चुनाव में इस्तेमाल करने के लिए यह स्याही देती है। MPVL की स्थापना 1937 में मैसूर लैक फैक्ट्री के रूप में हुई थी। यह कंपनी पिछले कुछ वर्षों में अमिट स्याही का प्राथमिक और खास निर्माता बन गई है।

मैसूर लैक फैक्ट्री नाम की कंपनी शुरुआत में लाख और पेंट का उत्पादन करती थी। कंपनी ने 1989 में वार्निश उत्पादन में विस्तार किया। इसके बाद इसका नाम बदलकर मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड रखा गया।