पीएम ने कहा, “भारत में हमने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और भारत अपनी सफलता के इस अनुभव को पूरे ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ साझा करने के लिए तैयार है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘समिट ऑफ फ्यूचर’ को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने युद्ध, आतंकवाद, शांति, साइबर, समुद्र और अंतरिक्ष समेत कई मुद्दों पर दुनिया का ध्यान खींचा. प्रधानमंत्री ने इशारों ही इशारों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का दावा भी ठोका. साथ ही अपने भाषण में चीन को भी कड़ा संदेश दिया.
पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी पेश करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक शांति और विकास के लिए ग्लोबल संस्थाओं में रिफॉर्म जरूरी है. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में जी-20 समिट में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता देना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लंबे समय से यूएनएससी में भारत के लिए स्थायी सदस्यता हासिल करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार तथा इसकी कार्यप्रणाली में सुधार के भारत के दीर्घकालिक रुख का जापान ने भी समर्थन किया है. जापानी पीएम फूमियो किशिदा ने समकालीन विश्व की वास्तविकताओं के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संगठन को ढालने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की. उन्होंने न्यूयॉर्क में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व एक ‘ऐतिहासिक मोड़’ पर खड़ा है, मौजूदा और भावी पीढ़ियों के हितों की रक्षा के लिए सामूहिक रूप से कार्रवाई करने की तत्काल जरुरत है.
भारत की बात का समर्थन करते हुए किशिदा ने कहा, “शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों की ओर से सुधार के लिए स्पष्ट आह्वान किया जा रहा है, जिसमें बहुमत स्थायी और अस्थायी दोनों सीटों के विस्तार का समर्थन कर रहा है. अगले साल संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 80वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी. हमें सुरक्षा परिषद के सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साथ ही संयुक्त राष्ट्र के मंच से दक्षिण चीन सागर में जबरदस्ती खौफ पैदा करने वाली गतिविधियों को लेकर चीन को भी सख्त संदेश दिया. उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक तरफ आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है, तो वहीं दूसरी तरफ साइबर, मैरीटाइम और स्पेस जैसे अनेक संघर्ष के नए-नए मैदान भी बन रहे हैं.
इससे पहले क्वाड समिट में भी नेताओं ने चीन का सीधे नाम लिए बिना, दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के जलक्षेत्र की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई थी. साथ ही उस क्षेत्र में तटरक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक उपयोग की निंदा की. क्वाड में शामिल भारत ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर चिंता जताते हुए एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध किया, जो बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है.
क्वाड नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा था, “हम एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कोई देश हावी न हो और किसी देश का वर्चस्व न हो, जहां सभी देश किसी भी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई से मुक्त हों, और अपने भविष्य को निर्धारित करने के लिए अपनी एजेंसी का प्रयोग कर सकें.” पीएम मोदी ने कहा, “स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है.”
79वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करते हुए पीएम ने कई अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत के लिए ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ एक कमिटमेंट है. हमें ऐसी ग्लोबल डिजिटल गवर्नेंस चाहिए, जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रहे.
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा, “सतत विकास को प्राथमिकता दी गई. हमें मानव कल्याण, भोजन, स्वास्थ्य, आहार सुनिश्चित करना होगा. भारत में 250 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आए हैं, इससे पता चलता है कि सतत विकास सफल हो सकता है.”
पीएम ने कहा कि जून में मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव में भारत के लोगों ने मुझे लगातार तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है और आज मैं यहां मानवता के छठे हिस्से की आवाज आप तक पहुंचाने आया हूं. जब हम ग्लोबल फ्यूचर के बारे में बात कर रहे हैं तो मानव-केंद्रित दृष्टिकोण सर्वप्रथम होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा, “मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में निहित है ना कि युद्ध के मैदान में. वैश्विक शांति एवं विकास के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार महत्वपूर्ण हैं. सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों के लिए एक पुल होना चाहिए न कि किसी के लिए बाधा बनना चाहिए और भारत यह विश्व के साथ साझा करने के लिए तैयार है.”
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