विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम लागू करने को लेकर पूर्व कुलपति प्रो अशोक कुमार का प्रकाश डालता लेख…
EX VC Prof Ashok Kumar
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शिक्षण संस्थानों में लागू करने की चुनौतियों को विस्तार से बता रहे पूर्व कुलपति व शिक्षाविद प्रो.अशोक कुमार।
विद्यार्थी गण प्रवेश की तिथि ,परीक्षा की तिथि और परीक्षा के परिणाम के तिथि के बारे में कभी चिंतित नहीं होते थे। कभी-कभी तो प्रवेश के साथ ही परीक्षा भी दे दिया करते थे।
अशोक कुमारयह बात सन 2020 की है हमारी बेटियों ने हम लोगों के लिए अमेरिका…
हाल के शैक्षिक रुझान अच्छी तरह से रोजगार योग्य युवाओं के उत्पादन पर जोर देते हैं। संस्थानों में ‘प्लेसमेंट सेल’ का महत्व इस प्रवृत्ति को पर्याप्त रूप से दर्शाता है।
विश्वविद्यालयों के अराजक होते माहौल में कैंपस में इंट्री प्रॉसेस का क्या दोष है। इन विसंगतियों से कैसे छुटकारा पाया जाए इस पर प्रकाश डाल रहे हैं पूर्व कुलपति प्रो.अशोक कुमार। प्रो.अशोक कुमार, यूपी के कई राज्य विश्विविद्यालयों में कुलपति रह चुके हैं।
यह पैनल राज्यों के अनुसार या तो मुख्यमंत्री के पास या राज्य के राज्यपाल के पास दे दिए जाते हैं। 3 या 5 सदस्यों के पैनल से माननीय मुख्यमंत्री या और माननीय राज्यपाल दोनों के निरीक्षण के बाद संबंधित विश्वविद्यालय के लिए कुलपति का नाम चयनित (Vice Chancellors selection) किया जाता है।
पूर्व कुलपति प्रो.अशोक कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश मे कुलपति की नियुक्ति के लिए यूजीसी के नियम नहीं लागू हैं। ऐसे में सभी कुलपतियों की नियुक्ति असंवधानिक है।