September 18, 2024
Amar Mani Tripathi

Amar Mani Tripathi की हुई रिहाई: 20 साल बाद जेल से बाहर आए

अमरमणि और मधुमणि गोरखपुर की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

Amar Mani Tripathi release: पूर्वांचल के चर्चित नेता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का जेल से बाहर आ चुके हैं। शुक्रवार को उनका बाहर आना लगभग तय हो गया। 20 साल बाद वह गोरखपुर जेल से बाहर आए। दो दशक पहले मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में तत्कालीन मंत्री को आरोपी बनाया गया था। बाहुबली पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल की सजा काट रहे थे। राज्य सरकार द्वारा रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन कोर्ट ने रिहाई पर रोक नहीं लगाई। देर शाम को पूर्व विधायक अमन मणि उनकी रिहाई का परवाना लेकर जेल अधिकारियों के साथ पहुंचे।

राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा

सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। हालांकि, कोर्ट ने पूर्व मंत्री अमरमणि की रिहाई पर कोई रोक नहीं लगाया है। दरअसल, अमरमणि और मधुमणि गोरखपुर की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। दोनों शुक्रवार को जेल से बाहर आ गए। गुरुवार रात कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने रिहाई के आदेश जारी किए थे।

समय से पहले हो रही है Amar Mani Tripathi की रिहाई

अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पहले रिहाई हो रही है। रिहाई का शासनादेश उनके अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी किया है। दरअसल, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए।

जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक निजी मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।

कवियत्री की हत्या के बाद Amar Mani Tripathi का राजनीतिक करियर हो गया खत्म

कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक करियर खत्म हो गया था। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। किसी कवि सम्मेलन में वह अमरमणि त्रिपाठी के संपर्क में आई। इसके बाद दोनों की नजदीकियां बढ़ गई थी। अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। कथित तौर दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। बताया जाता है कि मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। चार्जशीट के अनुसार, उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को 7 महीने की गर्भवती कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्याकांड के वक्त बसपा की सरकार थी और अमरमणि मंत्री थे।

हत्याकांड के बाद राजनीतिक भूचाल

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड से यूपी की सियासत में भूचाल आ गया। मधुमिता के परिवार की तरफ से दाखिल एफआईआर में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी, संतोष राय और पवन पांडे को आरोपी बनाया गया। प्रदेश में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी मंत्री थे। CBCID ने 20 दिन की जांच के बाद मामला CBI को सौंपा। गवाहों से पूछताछ हुई तो दो गवाहों ने बयान बदले थे। इस हत्याकांड की पूरी लड़ाई मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने लड़ी थी।

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