Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के एक दिन पहले मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने धार्मिक नेताओं, शंकराचार्यों की आलोचना और कार्यक्रम से दूर रहने के उनके फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि शंकराचार्य धर्मगुरु हैं, वे सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अधूरा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो रही है।
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए नृपेंद्र मिश्र ने कहा: शंकराचार्य धर्म गुरु हैं। मैं कोई नहीं हूं। वे सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसा कहकर, मैं राष्ट्र को एक संदेश देना चाहता हूं। हमने घोषणा की थी कि राम लल्ला बाल राम, भूतल (मंदिर के भूतल) में होंगे। भूतल में गर्भगृह, पांच मंडप, प्रतिमा होगी। वह पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि जो अधूरा रह गया है वह पहली मंजिल है। पहली मंजिल राम दरबार है। यहीं पर राजा राम आते हैं, जहां वह सीता के साथ बैठते हैं। पहली मंजिल पर आपके पास राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान होंगे।
सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु माने जाते हैं शंकराचार्य
शंकराचार्य देश के चार कोनों में चार मठों के मठाधीश हैं। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा मठ है जो देश के चारों दिशाओं में धर्म रक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करता है। शंकराचार्य मठ उत्तर में उत्तराखंड, पूर्व में ओडिशा, दक्षिण में कर्नाटक और पश्चिम में गुजरात है।
जताई है आपत्ति
चार शंकराचार्यों में दो ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तरीके की खिलाफत की है और कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है। जबकि दो अन्य ने चुप्पी साध ली है। ओडिशा के पुरी और उत्तराखंड के जोशीमठ के शंकराचार्य ने बताया कि वह लोग क्यों कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा है कि मंदिर निर्माण पूरा होने से पहले प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल किया है कि जब शंकराचार्यों को इसके बाहर सीटें आवंटित की गई हैं तो प्रधानमंत्री गर्भगृह के अंदर क्यों होंगे। उनका आरोप है कि इस घटना को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।