प्रयागराज। अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhada parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) की संदिग्ध परिस्थितियों में पंखे से लटकती लाश मिली है। बाघम्बरी पीठ के महंत नरेंद्र गिरी के शव के पास कई पन्नों की एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है। इस सुसाइड नोट में उन्होंने मठ की संपत्तियों को अपने किस शिष्य को क्या देना है इसका विस्तार से जिक्र किया है। महंत नरेंद्र गिरी ने अपने एक शिष्य से बेहद दु:खी होने की बात भी नोट में लिखी है। हालांकि, यह फॉरेंसिक जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि सुसाइड नोट असली है या किसी ने साजिशन उसे वहां रखा है।
हरिद्वार में आनंद गिरी नजरबंद, यूपी पुलिस अरेस्ट कर ला रही
महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) के कथित सुसाइड नोट में उनके उत्तराधिकारी महंत आनंद गिरी का भी नाम है। किसी साजिश की शक की सुई उनकी ओर भी है। वजह कुछ दिनों पूर्व ही महंत नरेंद्र गिरी व उनके शिष्य आनंद गिरी में विवाद सुर्खियों में रहा है। हालांकि, गुरु पूर्णिमा पर उन्होंने माफी मांग ली थी और सुलह भी हो चुका था।
लेकिन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की रहस्यमयी मौत के बाद हरिद्वार के उनके आनंद मठ में नजरबंद कर दिया गया था।
यूपी पुलिस रात 10 बजे हरिद्वार पंहुची थी। पुलिस टीम ने डेढ़ घंटे की पूछताछ के बाद आनंद गिरी को गिरफ्तार कर अपने साथ ले आ रही है। अरेस्ट करने सहारनपुर पुलिस और एसओजी की टीम हरिद्वार पहुंची थी।
बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी व पुत्र हिरासत में
उधर, महंत नरेंद्र गिरी की रहस्यमय मौत के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने बाघम्बरी पीठ (Baghamnbari Peeth) को सीज भी कर दिया है।
बड़े हनुमान जी मंदिर के मुख्य कर्ताधर्ता व व्यवस्थापक बाघम्बरी पीठ के महंत नरेंद्र गिरी ही थे। संगम (Sangam) पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर (Bade Hanuman Mandir) प्रसिद्ध श्रद्धास्थल है। पुलिस ने बाघम्बरी पीठ को भी सीज कर दिया है।
पुलिस ने सुसाइड नोट के बारे में बताया
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मठ और आश्रम को लेकर आगे क्या करना है। किस तरह से व्यवस्था होगी। क्या करना है। एक तरह से सुसाइड नोट में उनका वसीयतनामा है।
एडीजी ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरी के शव के पास मिली सुसाइड नोट में विस्तार से लिखा है कि किसे क्या देना है और किसके साथ क्या करना है।
पुलिस के अनुसार सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने एक शिष्य से दुखी थे। पुलिस ने शिष्य का नाम तो नहीं बताया लेकिन सूत्रों के अनुसार उन्होंने आनंद गिरी का नाम लिखा है। उन्होंने लिखा है कि मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। अब समझ नहीं आ रहा कि क्या कर सकता हूं। उन्होंने बेहद मार्मिक बातें लिखी हैं। उन्होंने अपनी गद्दी किसे सौंपनी है इस बारें भी लिखा है।
आनंद गिरी ने जताई हत्या की आशंका
महंत आनंद गिरी (Mahant Anand Giri) ने अपनी जान को खतरा बताया है। आनंद गिरी ने आशंका जताई है कि उनके गुरु नरेंद्र गिरी की तरह उनकी भी हत्या की जा सकती है।
इस घटना के बाद आनंद गिरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं फिलहाल हरिद्वार में हूं। वहां से प्रयागराज के लिए रवाना हो गया हूं। आनंद गिरी ने साफ आरोप लगाया है कि ये आत्महत्या नहीं हत्या है। मैं बाल्यकाल से उनका शिष्य रहा हूं। हम लोगों को अलग करने की लगातार कोशिश होती रही है। मेरे साथ उनका कोई विवाद नहीं था।
कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे, मैं विरोध करता था
महंत आनंद गिरी ने कहा कि कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे। मैं उसका विरोध करता था। उन्हीं लोगों ने हम लोगों के बीच अलगाव कराया। उन लोगों ने ही गुरुजी को पहले मुझसे दूर किया और अब उन्हें छीन लिया है। सनातन धर्म की यह सबसे बड़ी हानि है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। तत्काल इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
आनंद गिरी ने कहा कि यह एक बड़ा षड़यंत्र है, महंत नरेंद्र गिरी के बाद उनकी भी जान ली जा सकती है।
साधु-संत स्तब्ध
बाघम्बरी पीठ के महंत व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के बाद अखाड़ों के प्रमुख व साधु-संत स्तब्ध हैं।
दरअसल, महंत नरेंद्र गिरी एक तेज-तर्रार और तेवर वाले संत थे। वह सत्ता के सामने कभी नतमस्तक नहीं हुए और अखाड़ों व संत समाज के लिए हमेशा एकजुट रहते थे।
कुंभ में अखाड़ों को एक-एक करोड़ की मदद दिलाई
हरिद्वार कुंभ में भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अखाड़ों को आर्थिक सहायता दिलाई थी। हरिद्वार कुंभ के दौरान महंत नरेंद्र गिरी काफी सक्रिय थे। महंत नरेंद्र गिरी ने अखाड़ों के लिए सरकार से पांच-पांच करोड़ रुपये सहायता की मांग उस समय की थी। यह इसलिए ताकि कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अखाड़ों में व्यवस्था की जा सके। लेकिन उत्तराखंड सरकार के तत्कालीन सीएम ने इनकार कर दिया। इसके बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी अपने सभी अखाड़ों के साथ एकजुटता दिखाते हुए तेवर में आ गए। आलम यह कि सरकार को उनसे बातचीत करनी पड़ी और फिर सभी अखाड़ों को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता मिली।
हरिद्वार में दोबारा बने थे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष
महंत नरेंद्र गिरी अखाड़ा परिषद के दोबारा अध्यक्ष चुने गए थे। दस अक्टूबर 2019 को हरिद्वार में अखाड़ा परिषद की सभा में उनको सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था। यह बैठक कनखल के बड़ा उदासीन अखाड़ा परिसर में हुई थी। इसमें महंत नरेंद्र गिरी को अध्यक्ष और हरि गिरी को महामंत्री चुना गया था।