लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Assembly Elections 2022) से ठीक पहले भाजपा (BJP) और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को भारी झटका देते हुए, एक मंत्री और चार विधायकों ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। एक साथ इतने विधायकों के दल छोड़ने से यूपी बीजेपी को झटका तो लगा ही है साथ ही पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीतियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। बीजेपी छोड़ने वाले सभी विधायक व मंत्री, मुख्य प्रतिद्वंद्वी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे। मंगलवार को जैसे ही योगी आदित्यनाथ सरकार के एक शीर्ष मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्विटर पर अपना इस्तीफा पोस्ट किया, पूरे प्रदेश से लेकर बीजेपी केंद्रीय मुख्यालय में खलबली मच गई। मौर्या के इस्तीफा के ही देर बाद उनके करीबी चार और विधायकों – रोशन लाल वर्मा, बृजेश प्रजापति, भगवती सागर और विनय शाक्य ने भी अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी।
शक्तिशाली ओबीसी नेता हैं स्वामी
स्वामी प्रसाद मौर्य, एक शक्तिशाली ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता हैं। वह पांच बार विधायक रह चुके हैं। मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़ने के बाद 2016 में भाजपा में शामिल हो गए थे। वह अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का मुकाबला करने के लिए ओबीसी मतदाताओं के एक महत्वपूर्ण वर्ग को आकर्षित करने की भाजपा की योजनाओं के केंद्र में थे। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई पदों पर मौर्या रह चुके हैं।
इस्तीफा में लिखा विपरीत विचारधारा के बाद भी काम किया
मौर्य ने त्याग पत्र में लिखा, “विभिन्न विचारधारा के बावजूद, मैंने योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में समर्पण के साथ काम किया। लेकिन दलितों, ओबीसी, किसानों, बेरोजगारों और छोटे व्यापारियों के घोर उत्पीड़न के कारण, मैं इस्तीफा दे रहा हूं।”
उन्होंने संवाददाताओं से यह भी कहा: “मेरे बाहर निकलने का भाजपा पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद स्पष्ट होगा।”
अखिलेश यादव से मुलाकात किया मौर्या ने
जैसे ही उनका पत्र ट्विटर पर सामने आया, अखिलेश यादव ने मौर्य के साथ एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें उनका और उनके समर्थकों का समाजवादी पार्टी में स्वागत किया गया।
कई महीने से नाराज चल रहे थे मौर्या
श्री मौर्य के पार्टी छोड़ने का निर्णय कई महीनों के मंथन के बाद हुआ है। सूत्रों का कहना है कि दो महीने पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से योगी आदित्यनाथ को लेकर शिकायत की थी। लेकिन कथित तौर पर इसका कुछ पता नहीं चला।
केशव मौर्य को मनाने का जिम्मा
सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को मौर्य और उनके समर्थकों को वापस लौटने के लिए मनाने का काम सौंपा है। केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट में कहा, “मुझे नहीं पता कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्यों इस्तीफा दिया, लेकिन मैं उनसे अपील करता हूं कि इस्तीफा न दें, लेकिन हम बात करें। जल्दबाजी में लिए गए फैसले का उल्टा असर हो सकता है।”
केशव ने देर कर दी…
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “(केशव मौर्य ने) इस बारे में पहले क्यों नहीं सोचा? वह आज मुझे क्यों याद कर रहे हैं? अभी सब बात करेंगे लेकिन जब बातचीत की जरूरत थी, तो उनके पास समय नहीं था।”
पवार ने कहा मौर्य बीजेपी के कई नेताओं को लेकर निकलेंगे
अगर अचानक बाहर निकलने से भाजपा स्तब्ध रह गई, तो विपक्षी खेमे में खुशी है। एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा है कि यह यूपी में बदलाव की लहर का असर है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के साथ संयुक्त अभियान की घोषणा करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता ने कहा, श्री मौर्य एक दर्जन से अधिक नेताओं को अपने साथ ले जाएंगे। उन्होंने मुंबई में कहा, “यूपी में बदलाव आ रहा है। आज मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है और 13 विधायक उनके साथ जा रहे हैं। आने वाले दिनों में आप देखेंगे और और लोग इस्तीफा देंगे।”
मौर्य पडरौना के हैं विधायक
मौर्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के पडरौना से विधायक हैं। उनकी बेटी संघमित्रा यूपी के बदायूं से बीजेपी सांसद हैं। उन्होंने अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव को हराया था।
राजभर के बाद स्वामी के छोड़ने से बीजेपी को झटका
पिछले साल, एक और प्रभावशाली ओबीसी चेहरा और भाजपा के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया था। अब स्वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी छोड़ना बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य, 2024 के राष्ट्रीय चुनाव से पहले व्यापक रूप से सेमीफाइनल के रूप में देखे जाने वाले चुनाव में 10 फरवरी से सात राउंड में वोट होंगे। परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।