सवर्ण गरीब कोटे पर योगी के मंत्री का डाका, भाई को कोटे में बनवा दिया प्रोफेसर

यूपी में योगी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी सवर्ण गरीब कोटे से मनोविज्ञान के प्रोफेसर बन गए हैं। (Minister brother in EWS) जिस सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति हुई है, वहां के कुलपति का कार्यकाल एक दिन पहले ही बढ़ाया गया था। योगीराज में विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों में भ्रष्टाचार खुलकर आने के बाद भी सरकार चुप्पी साधे हुए है। इसके पहले दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि में भी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था। सिद्धार्थ विवि के जिस कुलपति पर इस बार मंत्री के भाई की नियुक्ति का आरोप लगा है, उसी कुलपति के पुत्र की नियुक्ति गोरखपुर विवि में नियमों को दरकिनार कर किया गया था। सबसे मजे कि बात यह कि नियुक्ति किसकी किसकी होनी है यह सूची पहले ही सार्वजनिक हो गई थी।

यह भी पढ़ेंः अन्नदाता को खुश करने वाला ऐलानः मोदी सरकार ने डीएपी पर 500 रुपये सब्सिडी को बढ़ाक…

अब योगी सरकार में मंत्री के भाई का मामला सामने आया

दरअसल, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में मनोविज्ञान विभाग में दो पदों पर नियुक्तियां हुई है। असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए एक ओबीसी कोटे से डॉ. हरेंद्र शर्मा और ईडब्लूएस (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) कैटेगरी में डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी की नियुक्ति हुई है।(Minister brother in EWS) डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी, उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई हैं।

नियुक्ति पत्र भी दे दिया गया

डॉ. अरुण को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने शुक्रवार को नियुक्ति पत्र दिया है। विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल 21 मई को पूरा हो रहा था, लेकिन सरकार ने एक दिन पहले 20 मई को उनका कार्यकाल नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक बढ़ा दिया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है क्या कुलपति का कार्यकाल इसलिए तो बढ़ाया गया, क्योंकि मंत्री के भाई की नियुक्ति होनी थी।

कुलपति बोले- दो नहीं सात नियुक्तियां हुई

सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सुरेंद्र दुबे ने बताया कि सिर्फ 2 नहीं 7 नियुक्तियां हुई हैं। वह कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम कि वह मंत्री के भाई हैं। अरुण कहां पढ़ाते थे? इस सवाल पर कुलपति कहते हैं कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। वह विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाते थे। मंत्री भी अपने भाई को ज्वॉइन कराने आए थे? इस पर कुलपति कहते हैं कि मंत्री विश्वविद्यालय नहीं आए थे, ये मैं जानता हूं।

यह भी पढ़ेंः नीतिन गडकरी ने वैक्सीन की कमी पर खोली मोदी सरकार की पोल, सरकार के दबाव के बाद दे…

वनस्थली में पढ़ाते थे, भाई के मंत्री बनने के बाद यूपी आ गए थे

डॉ. अरुण पहले राजस्थान के बनस्थली विद्यापीठ में पढ़ाते थे, जब सतीश द्विवेदी मंत्री बने तो वे नौकरी छोड़कर यूपी आ गए। बताया जा रहा है कि अरुण की पत्नी बिहार में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और इनके पास घर और जमीन भी है। सभी भाई अभी संयुक्त परिवार में ही रहते हैं।

कैसे मिलता है ईडब्लूएस प्रमाण पत्र

ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र सामान्य वर्ग के उन लोगों को दिया जा रहा है, जिनकी फैमिली इनकम 8 लाख रुपए (वार्षिक) से कम है। इसके साथ ही आवदेनकर्ता के पास 5 एकड़ से कम जमीन होनी चाहिए एवं उसका घर 1000 स्क्वायर फीट से कम होना चाहिए। अगर आप शहरी निकाय क्षेत्र में रहते हैं, तो आपके पास 100 वर्ग गज से कम का आवासीय प्लॉट होना चाहिए।(Minister brother in EWS)

यह भी पढ़ेंः वैक्सीन लगवाने के बाद दिखे ये लक्षण तो तत्काल करें रिपोर्ट, आई ब्लीडिंग और थक्का..