November 22, 2024
Pushkar Singh Dhami oath

पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड मुख्यमंत्री के रूप में ली शपथ, 11 मंत्रियों को भी शपथ

त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद भाजपा ने तीरथ सिंह रावत का राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन अपने 115 दिन के कार्यकाल में तीरथ सिंह रावत के कई बयानों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी थी। एक साल के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव है।

देहरादून। पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। वे राज्य के 11वें मुख्यमंत्री हैं। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी को विधायक दल का नेता चुना गया था। भाजपा के राज्य में दो बार पांच-पांच साल के लिए मिली सत्ता के दौरान यह छठवें मुख्यमंत्री हैं।

पुष्कर सिंह धामी के साथ इन मंत्रियों ने भी ली शपथ

मुख्यमंत्री के साथ 11 मंत्रियों ने भी शपथ ली है। शपथ लेने वाले मंत्रियों में सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, डॉ. धन सिंह रावत, बंशीधर भगत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल, अरविंद पांडेय, बिशन सिंह, गणेश जोशी, रेखा आर्य और यतीश्वरानंद शामिल रहे।

आरएसएस कैडर के हैं माने जाते धामी, कोश्वारी के करीबी

पुष्कर सिंह धामी आरएसएस बैकग्राउंड के हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्वारी के करीबी माने जाते हैं।

एबीवीपी कार्यकर्ता से सत्ता के शिखर तक

उत्तराखंड के खटीमा विधानसभा क्षेत्र से दो बार से विधायक चुने जा रहे पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ। मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स डिग्री वाले पुष्कर सिंह धामी 2002 से 2008 तक उत्तराखंड बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पिथौरागढ़ में हुआ जन्म

पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर 1975 को पिथौरागढ के टुण्डी गांव में हुआ था। सैनिक परिवार में जन्मे धामी चार भाई बहन हैं। तीनों बहनों से वह छोटे हैं। घर का अकेला बेटा होने के नाते परिवारिक जिम्मेदारियां भी उन पर बनी रही।

तीरथ सिंह रावत ने दिया था इस्तीफा

त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद भाजपा ने तीरथ सिंह रावत का राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन अपने 115 दिन के कार्यकाल में तीरथ सिंह रावत के कई बयानों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी थी। एक साल के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव है। हालांकि, छह महीना के भीतर विधायक बनने में नाकाम रहे तीरथ सिंह का मुख्यमंत्री पद पर बने रहना संवैधानिक संकट खड़े करता। इसलिए उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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