October 4, 2024
रजामंदी के साथ लंबे वक्त से चल रहे फिजिकल रिलेशन को नहीं माना जा सकता रेप : Hc

रजामंदी के साथ लंबे वक्त से चल रहे फिजिकल रिलेशन को नहीं माना जा सकता रेप : HC​

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के भी कई महत्वपूर्ण फैसलों के जिक्र किया और कहा कि यह स्पष्ट है कि अगर पक्षकार लंबे समय से लगातार सहमति से शारीरिक संबंध बना रहे थे. उसमें शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था, तो ऐसा संबंध रेप नहीं माना जा सकता है.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के भी कई महत्वपूर्ण फैसलों के जिक्र किया और कहा कि यह स्पष्ट है कि अगर पक्षकार लंबे समय से लगातार सहमति से शारीरिक संबंध बना रहे थे. उसमें शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था, तो ऐसा संबंध रेप नहीं माना जा सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बालिग जोड़े के बीच लंबे समय तक सहमति से चले रिलेशनशिप को रेप नहीं माने जाने का आदेश दिया है. गुरुवार को हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने मुरादाबाद के रेप से जुड़े एक मामले में याची की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “अगर लंबे समय से लगातार सहमति से शारीरिक संबंध बनाए जा रहे थे. साथ ही किसी रिश्ते में शुरुआत से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व न हो, तो ऐसा रिश्ता रेप नहीं माना जाएगा.”

हाईकोर्ट ने रेप और जबरन वसूली के आरोपी याची के खिलाफ चार्जशीट और पूरी आपराधिक कार्यवाई को रद्द करते हुए उसकी याचिका को मंजूर कर लिया. यह आदेश जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने श्रेय गुप्ता द्वारा दाखिल CrPC की धारा 482 की एप्लीकेशन को मंजूर करते हुए दिया है.

समझिए पूरा मामला?
याची श्रेय गुप्ता ने सेशन जज मुरादाबाद की कोर्ट में लंबित संपूर्ण आपराधिक कार्यवाई और चार्जशीट को रद्द करने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता के खिलाफ साल 2018 में मुरादाबाद के महिला थाना में IPC की धारा 376 और 386 में मामला दर्ज हुआ था. आपराधिक कार्यवाई 21 मार्च, 2018 को शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज की गई एक FIR से शुरू हुई थी. इसमें याची पर रेप और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था. याचिका में कहा गया था कि 12 साल से अधिक समय तक चलने वाले सहमति से बने संबंध को सिर्फ शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर रेप नहीं माना जा सकता.

महिला ने लगाए ये आरोप
मुरादाबाद की एक महिला ने शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि याची ने उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत की. उसके पति की मौत के बाद उससे शादी करने का वादा किया. महिला के पति के गुजर जाने के बाद भी यह रिश्ता जारी रहा, लेकिन याची ने आखिरकार 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली.

याची के खिलाफ शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया कि 17 जनवरी 2018 की शाम को याची श्रेय गुप्ता ने कथित रूप से महिला को फोन करके कहा कि वह रामपुर दोराहा आ जाए, जहां वह उससे मंदिर में शादी करेगा. बाद में वो कोर्ट में अपनी शादी को रजिस्टर्ड कराएंगे.

जान की धमकी देकर रेप का आरोप
FIR में आरोप लगाया गया कि याची के इस आश्वासन पर महिला रामपुर दोराहा पहुंच गई. वहां से याची महिला को रामपुर दोराहा स्थित एक गोदाम में ले गया. महिला का आरोप है कि याची ने सिर पर तमंचा लगाकर उसे जान से मारने की धमकी दी. फिर उसके साथ रेप किया. इसकी वीडियो क्लिपिंग भी तैयार कर ली. उसके बाद याची ने शादी करने से इनकार कर दिया. उसे धमकी दी कि इस घटना के बारे में किसी को बताया, तो उसकी वीडियो क्लिप इंटरनेट पर डाल दी जाएगी.

50 लाख की डिमांड का भी आरोप
महिला ने ये भी आरोप लगाया गया कि याची ने उससे 15 दिन के अंदर 50 लाख रुपये की मांग की. उसे धमकी भी दी कि अगर उसकी मांग पूरी नहीं की गई, तो वह उसके दोनों बेटों को मार देगा. साथ ही वीडियो क्लिप सार्वजनिक कर देगा.

इन आरोपों के बाद याची के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. मामले में पुलिस जांच में ये भी सामने आया की आवेदक और शिकायतकर्ता महिला के बीच एक करोड़ रुपये रुपये की राशि के संबंध में वित्तीय विवाद था. इससे बचने के लिए महिला ने FIR दर्ज कराई है. जांच के दौरान कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) रिपोर्ट भी जांच अधिकारी को मिली, जिससे जांच अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि FIR में घटनास्थल पर आवेदक का होना और विपक्षी की CDR रिपोर्ट नेगेटिव है. मेडिकल रिपोर्ट ने भी रेप की घटना का समर्थन नहीं किया है.

व्यक्ति ने दी ये दलीलें
महिला के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए याची ने कहा कि यह रिश्ता पूरी तरह से आपसी सहमति से था. यह रिश्ता करीब 12-13 साल तक चला. इस दौरान शिकायतकर्ता के पति भी जीवित थे. कोर्ट ने माना कि दोनों पक्षों की दी गई दलीलों पर विचार करने के बाद न्यायालय ने मामले के अभिलेख का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है. निर्विवाद रूप से इस मामले में स्वीकृत तथ्य यह है कि मामला दर्ज करवाने के समय शिकायतकर्ता की उम्र लगभग 49 वर्ष थी जैसा कि धारा 164 सीआरपीसी के तहत उसके बयान से पता चलता है और आवेदक से बहुत छोटी थी.

इस मामले में यद्यपि चार्जशीट धारा 376 के साथ-साथ 386 आईपीसी के तहत अपराधों के लिए दायर की गई थी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने आवेदक के विरुद्ध केवल धारा 376 आईपीसी के तहत अपराध के लिए संज्ञान लिया है. इसलिए आगे बढ़ने से पहले धारा 375 और 376 आईपीसी के प्रावधानों पर ध्यान देना उचित होगा.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के भी कई महत्वपूर्ण फैसलों के जिक्र किया और कहा कि यह स्पष्ट है कि यदि पक्षकार लंबे समय से लगातार सहमति से शारीरिक संबंध बना रहे थे. उसमें शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था तो ऐसा संबंध रेप नहीं माना जा सकता है.

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