October 31, 2024
महाराष्ट्र की इन विधानसभा सीटों पर अपनों ने ही बिगाड़ा दोनों गठबंधनों का खेल 

महाराष्ट्र की इन विधानसभा सीटों पर अपनों ने ही बिगाड़ा दोनों गठबंधनों का खेल ​

Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र चुनाव में बहुत सारे किन्तु-परन्तु हो रहे हैं. स्थिति ये है कि गठबंधन के दल ही एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं.

Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र चुनाव में बहुत सारे किन्तु-परन्तु हो रहे हैं. स्थिति ये है कि गठबंधन के दल ही एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं.

Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र के दोनों बड़े गठबंधनों के बीच विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा पूरा हो चुका है, लेकिन कई ऐसी सीटें रह गई हैं, जहां पर बात नहीं बन सकी. यह ऐसी सीटें हैं, जहां पर एक ही गठबंधन के दो घटक दलों ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं.कहने को तो इन सीटों पर फ्रेंडली फाइट होने जा रही है, लेकिन यह फाइट कितनी फ्रेंडली होगी, यह आने वाले चंद दिनों में साफ हो जाएगा.

महा विकास आघाड़ी की टेंशन

मुंबई की भायकला विधानसभा सीट उन विधानसभा सीटों में से एक है, जहां पर महा विकास आघाड़ी के दो घटक दल एक दूसरे से टकरा रहे हैं. कांग्रेस और उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना दोनों ही इस गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन इस सीट पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन सकी. कांग्रेस के मघु चव्हाण ने निर्दलीय पर्चा भरा तो उद्धव ठाकरे शिवसेना मनोज जामसूतकर को पार्टी ने अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया है.

महायुती की स्थिति

भायकला की सीट के अलावा मानखुर्द, परांदा, सोलापुर शहर, लोहा, दिग्रस और सांगोला सीटों पर भी महाविकास आघाडी के दल एक दूसरे से ही मोर्चा ले रहे हैं.सत्ताधारी गठबंधन महायुती की स्थिति भी अच्छी नहीं है. इस गठबंधन के भी दलों ने कई सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं. आष्टी, श्रीरामपुर, डिंडोरी, देवलाली, अणुशक्ति नगर विधानसभा में कहीं अजीत पवार के ख़िलाफ़ शिंदे ने उम्मीदवार खड़े किए हैं. बीजेपी का कहना है कि पर्चा वापस लेने की आख़िर तारीख़ 4 नवंबर से पहले सारे मसले सुलझा लिए जाएंगे.

फ्रेंडली फाइट में क्या होगा

आमतौर पर जब एक ही गठबंधन की दो पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारतीं हैं तो उसे मुकाबले को राजनीति में फ्रेंडली फाइट कहते हैं, लेकिन हकीकत में देखा जाए तो ये फ्रेंडली फाइट नहीं बल्कि कांटे के मुकाबले होते हैं. हर उम्मीदवार की महत्वाकांक्षा होती है और चुनाव में जीत हासिल करने के लिए वह पूरी ताकत लगा देता है, फिर चाहे उसका विरोधी उसके अपने गठबंधन का साथी ही क्यों ना हो.

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