अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की वापसी से भारत को सबसे ज्यादा फायदा होगा. ऐसा माना जा रहा है कि इससे भारत के व्यापार में सबसे ज्यादा इजाफा होगा. ऐसा हुआ तो भारत की अर्थव्यवस्था का और तेजी से विकास करना एक आम सी बात होगी.
अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ने यूएसए के साथ-साथ पूरी दुनिया में राजीतिक और आर्थिक समीकरण बदलकर रख दिया है. जानकार मानते हैं कि ट्रंप की सत्ता में वापसी का जहां भारत को फायदा होगा वहीं इससे चीन को सीधे तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं. एक तो तर्क ये है कि ट्रंप सत्ता में वापसी करते ही चीन पर ज्यादा टैरिफ लगा सकते हैं. जिसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. जानकार ये भी मानते हैं कि ट्रंप की वापसी से भारत को सबसे ज्यादा फायदा होगा. चाहे बात व्यापार की करें या फिर निवेश या रोजगार की. ट्रंप की नीतियों से भारत को हर क्षेत्र में और बेहतर करने का मौका मिलेगा और अगर ऐसा हुआ तो इसका असर भारत की तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था की गति को और बढ़ा जरूर देगा.
जानकार मानते हैं की अमेरिका भारत को चीन से मुकाबले में एक राजनीतिक साझेदार के तौर पर देखता है. इसके अलावा चीन से सप्लाई चेन हटने से भी भारत को और अधिक फायदा हो सकता है. अगर बात व्यापारिक रिश्तों की करें तो बीते आठ सालों में भारत और अमेरिका और ज्यादा पास आए हैं. इसका असर आंकड़ों पर भी दिखता है. अगर बात ट्रंप और बाइडेन सरकार के दौरान भारत के व्यापार की करें तो ये बढ़ा ही है. ऐसे में एक बार फिर सत्ता में ट्रंप की वापसी से भारत से अमेरिका के व्यापार में और बढ़ोतरी दिखनी तय है.
वहीं बात अगर भारत की ग्लोबल सर्विसेज एक्सपोर्ट की करें तो इसमें भी अमेरिका की अहम हिस्सेदारी रही है. खासतौर पर आईटी और प्रोफेशनल सेवाओं के मामले में भारत और अमेरिका के रिश्ते पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुए हैं. भारत के एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब-करीब 18 फीसदी है. भारत अमेरिका को जिन चीजों का निर्यात करता है उनमें खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, फार्मास्यूटिकल्स, न्यूक्लियर रिएक्टर, पेट्रोलियम उत्पाद, ऑटोमोबाइल्स और टेक्सटाइल्स आदि शामिल हैं.
चीन से दूरी बढ़ाने का भारत को होगा फायदा
जानकार मानते हैं कि अमेरिका जितना चीन से दूरी बढ़ाएगा उतना ही भारत को इससे फायदा होगा. अमेरिका की चीन से दूरी बढ़ने का असर ग्लोबल वैल्यू चेन पर भी पड़ेगा. ऐसा माना जा रहा है कि चीन से अमेरिका की दूरी का सीधा असर ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाएगा. माना जा रहा है कि दुनियाभर की कंपनियों की चाइना प्लस वन की नीति से भारत को अधिक फायदा होगा. भारतीय की ऑटो कंपनियों के लिए नए निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे. आपको बता दें कि चाइना प्लस नीति के तहत दुनियाभर की कंपनियां भारत और वियतनाम जैसे देशों में अपना निवेश बढ़ा रही हैं.
ट्रंप के बाद बाइडेन सरकार में भी भारत से बढ़ा है ट्रेड सरप्लस
अगर बात भारत के ट्रेड सरप्लस की करें तो बीते कुछ सालों में बढ़ा ही है. ट्रंप और बाइडेन सरकार की तुलना करें तो इसमें अच्छा खासा इजाफा दर्ज किया गया है. 2017 में भारत अमेरिका से 21.1 बिलियन डॉलर का व्यापार करता था जो 2018 में 17.3 बिलियन डॉलर, 2019 में 17.5 और 2020 में 22.2 बिलियन डॉलर का हो गया था. वहीं बात अगर बाइडेन सरकार की करें तो 2021 में भारत का ट्रेड सरप्लस 29.9 बिलियन डॉलर था, जो 2022 में 28.7 बिलियन डॉलर और 2023 और 2024 में क्रमश: 31.2 और 39.3 बिलियन डॉलर का हो गया था.
NDTV India – Latest
More Stories
Chhath puja 2024: छठ मैया का है सूर्य देव से गहरा नाता, जानें क्यों छठ पूजा पर जल चढ़ाने का होता है विशेष महत्व
एक रिंग की वजह से राजेश खन्ना से नफरत करने लगा था ये स्टार, कभी नहीं की सुपरस्टार से बात
Shani Margi 2024: इस दिन से सीधी चाल चलेंगे शनि, इन राशियों को मिलेगा सुख चैन और धन का लाभ