November 15, 2024
दिल्ली की यमुना के झाग से महिलाएं धो रही थीं बाल, Video देख लोगों ने लिए मज़े, बोले अरे दीदी वो शैम्पू नहीं है

दिल्ली की यमुना के झाग से महिलाएं धो रही थीं बाल, Video देख लोगों ने लिए मज़े, बोले- अरे दीदी वो शैम्पू नहीं है​

छठ पूजा से कुछ ही दिन पहले सोमवार को दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में जहरीली झाग ने यमुना को ढक दिया, जिससे यमुना में प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया.

छठ पूजा से कुछ ही दिन पहले सोमवार को दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में जहरीली झाग ने यमुना को ढक दिया, जिससे यमुना में प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया.

सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें छठ व्रतियों को अपने अनुष्ठान स्नान के लिए प्रदूषित यमुना नदी में डुबकी लगाते और जहरीले झाग से अपने बाल धोते हुए दिखाया गया है. छठ पूजा उत्सव मंगलवार को ‘नहाय खाए’ के ​​साथ शुरू हुआ बृहस्पतिवार को इस पूजा का समापन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने यमुना नदी की सतह पर जहरीले झाग की मोटी परत के बावजूद नदी में पूजा की.

छठ पूजा से कुछ ही दिन पहले सोमवार को दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में जहरीली झाग ने यमुना को ढक दिया, जिससे यमुना में प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया, जिससे भक्तों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा हो गईं.

देखें Video:

Arre didi woh shampoo nahi hai ?? pic.twitter.com/4shRnYh8tW

— Manish RJ (@mrjethwani_) November 7, 2024

अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इसी वीडियो के लोग खूब मज़े ले रहे हैं. वीडियो को 1.7 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है और 9 हज़ार से ज्यादा लोग वीडियो को लाइक कर चुके हैं. वीडियो के कैप्शन में लिखा है- अरे दीदी वो शैम्पू नहीं है. एक यूजर ने कमेंट में लिखा- हर झाग शैम्पू नहीं होता. दूसरे यूजर ने लिखा- इससे बाल साफ नहीं होंगे,इससे पूरे बाल ही साफ हो जाएंगे. तीसरे यूजर ने लिखा- दीदी तो शैंपू समझ कर ही बालों में रगड़ते जा रही हैं.

बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य क्षेत्रों में मनाया जाने वाला छठ पूजा सूर्य देवता की पूजा के लिए समर्पित है और इसे चार दिनों की कठोर दिनचर्या के साथ मनाया जाता है. पहले दिन, भक्त पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं और अक्सर अनुष्ठान के लिए गंगा जल घर लाते हैं. दूसरे दिन, जिसे खरना कहा जाता है, में एक दिन का उपवास होता है जो धरती माता को प्रसाद चढ़ाने के साथ समाप्त होता है. तीसरा दिन डूबते सूर्य को शाम के अर्घ्य के लिए प्रसाद तैयार करने के लिए समर्पित है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है. अंतिम दिन, भक्त अपना उपवास तोड़ने और पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ प्रसाद बांटने से पहले उगते सूरज को प्रार्थना करते हैं.

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