दुनिया में परमाणु बम के विस्फोट का खतरा बढ़ गया है. रूस जिस तरह से यूक्रेन के साथ युद्ध (Russia Ukraine War) में उलझ गया है और यूक्रेन ने अब जिस प्रकार से लंबी दूरी की मिसाइलों (long range missile attack) को दागना शुरू कर दिया है उससे यह खतरा होता जा रहा है कि जल्द ही रूस कहीं कोई परमाणु हमला न कर दे. रूस ने कई दिनों पहले अपनी परमाणु नीति (Change in Russian Nuclear Policy) में बदलाव की घोषणा की थी. नीति में जो बदलाव हुआ है उसके हिसाब से रूस के पास अब परमाणु हमला करने के सारे रास्ते खुल गए हैं. यह केवल यूक्रेन के लंबी दूरी की मिसाइलों के प्रयोग के बाद हुआ है. यूक्रेन ने अभी तक रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिका द्वारा दी गई लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया था और अब ब्रिटेन की दी हुई लंबी दूरी की मिसाइल का प्रयोग भी रूस पर कर दिया है. इधर, रूस इससे काफी नाराज़ हो गया है. यह अलग बात है कि रूस ने इन हमलों को नाकाम करने की बात भी कही है. रूस के पास अपना मिसाइल हमले को विफल करने का सिस्टम है.
Nuclear bomb Threat in world and Impact: दुनिया में परमाणु बम के विस्फोट का खतरा बढ़ गया है. रूस जिस तरह से यूक्रेन के साथ युद्ध (Russia Ukraine War) में उलझ गया है और यूक्रेन ने अब जिस प्रकार से लंबी दूरी की मिसाइलों (long range missile attack) को दागना शुरू कर दिया है उससे यह खतरा होता जा रहा है कि जल्द ही रूस कहीं कोई परमाणु हमला न कर दे. रूस ने कई दिनों पहले अपनी परमाणु नीति (Change in Russian Nuclear Policy) में बदलाव की घोषणा की थी. नीति में जो बदलाव हुआ है उसके हिसाब से रूस के पास अब परमाणु हमला करने के सारे रास्ते खुल गए हैं. यह केवल यूक्रेन के लंबी दूरी की मिसाइलों के प्रयोग के बाद हुआ है. यूक्रेन ने अभी तक रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिका द्वारा दी गई लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया था और अब ब्रिटेन की दी हुई लंबी दूरी की मिसाइल का प्रयोग भी रूस पर कर दिया है. इधर, रूस इससे काफी नाराज़ हो गया है. यह अलग बात है कि रूस ने इन हमलों को नाकाम करने की बात भी कही है. रूस के पास अपना मिसाइल हमले को विफल करने का सिस्टम है.
रूस ने दे दी है परमाणु हमले की धमकी
लेकिन, रूस की नाराज़गी यूक्रेन सहित यूरोप के कई देशों पर परमाणु हमले का खतरा मंडराने लगा है. इसके चलते कुछ यूरोपीय देशों ने यूक्रेन से दूरी बना ली है. अमेरिका ने यूक्रेन की राजधानी कीव से अपना दूतावास भी बंद कर दिया है. साथ ही कुछ अन्य देशों ने अपने नागरिकों को ऐसा होने की स्थिति में क्या करना है इसके बारे में जानकारी देना भी आरंभ कर दिया है.
ईरान-इजरायल में तनाव
दूसरी तरफ इजरायल की भी ईरान के साथ तनातनी जारी है. ऐसे में ईरान भी अपने को परमाणु शक्ति संपन्न देश मानता है और साफ कहता है कि जरूरत पर वह हर प्रकार के हथियार का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है.
सवाल उठता है कि यदि रूस ने परमाणु हथियार का प्रयोग किया तब क्या होगा. रूस ने परमाणु हमला तो क्या और कितनी होगी तबाही.
परमाणु बम विस्फोट के परिणाम अत्यंत विनाशकारी और व्यापक होते हैं. इसे पूरी दुनिया ने अमेरिका के जापान पर किए गए हमलों के असर से देखा है. उसके बाद इस पर काफी अध्ययन भी हुआ और समझने का प्रयास हुआ कि यह कितना खतरनाक बम है. परमाणु बम के हमले के प्रभाव को कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है.
परमाणु बम के हमले का क्या होता है असर
सबसे पहले यह जान लें कि जहां पर परमाणु बम गिरता है वहां कैसी स्थिति होती है. जिस स्थान पर परमाणु बम का हमला होता है उसके आस-पास की इमारतों और लगभग सभी निर्माण, जीव जन्तू, पेड़-पौधे सब नष्ट हो जाता है. एक विशाल शॉकवेव उत्पन्न होती है और यह आस-पास के करीब 2 किलोमीटर की परिधि तक असर डालती है. यह भी बम की क्षमता और प्रयोग में लाए गए मैटिरियल पर निर्भर करता है. साथ ही उस स्थान पर तापमान हजारों डिग्री तक पहुंच जाता है, आस-पास की सभी चीज जलकर राख हो जाती है. भीषण गर्मी पैदा होती है. इसके साथ ही आस-पास के कई किलोमीटर दूर तक के इलाके में गंभीर रेडिएशन से तमाम तरह की बीमारी हो जाती है.
रेडिएशन सबसे खतरनाक
रेडिएशन से कैंसर, डीएनए में बदलाव और गंभीर चोटें, अंगभंग और विकलांगता की बीमारियों हो जाती है. कई प्रकार के चर्म रोग और जलन की समस्या त्वरित प्रभाव में देखने को मिलते हैं.
सालों तक असर भुगतती है मानवता और पर्यावरण
ऐसा नहीं है कि परमाणु बम के हमले के बाद केवल कुछ समय के लिए समस्या होती है. बल्कि, दीर्घकालिक समस्याएं भी होती हैं. जो रेडिएशन निकलती हैं वह कई वर्षों तक और कुछ पीढ़ियों तक अपना कुप्रभाव डालती हैं. जिस क्षेत्र में हमला होता है वहां के पर्यावरण पर गंभीर असर होता है. सालों तक उस इलाके की भूमि बंजर हो जाती है. पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है. मिट्टी, पानी और हवा प्रदूषित हो जाती है. इन सबका असर खेती, पीने के पानी तक पर पड़ता है.
तापमान में कमी
हवा में बड़े पैमाने पर धूल और धुआँ लंबे समय तक असर डालता है. इसकी मोटी परत वायुमंडल में हो जाने के चलते सूर्य का प्रकाश उस इलाके में धरती में पहुंच नहीं पाता है या कम पहुंच पाता है. इससे तापमान में गिरावट देखने को मिलती है.
एक देश पर इस प्रकार की घटना का असर देखा जाए तो आर्थिक से लेकर लोगों की अलग-अलग प्रकार की समस्याओं से उसका सामना होता है. इससे यह समझा जा सकता है कि किस प्रकार परमाणु बम का हमला किसी एक स्थान ही नहीं बल्कि आस-पास के कई किलोमीटर और देश छोटा हुआ तो पड़ोसी देशों तक पर इसका असर देखने को मिल सकता है.
जापान पर हुए असर को समझें
आपको बात कुछ कम समझ में आई होगी और आप इसके असर को किताबी ज्यादा समझ रहे हैं. इससे आगे इसकी भयावहता को समझाने के लिए हमें अभी तक प्रयोग किए गए दो परमाणु बमों से हुए नुकसान को समझना होगा.
अमेरिका का बम कितना बड़ा और असरदार था
आपको बता दें कि 6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया गया था. इसका नाम अमेरिका ने “लिटिल बॉय” रखा था. इसका वजन लगभग 9,000 पाउंड (4,400 किलोग्राम) था. इसकी लंबाई करीब 10 फीट (3.0 मीटर) थी. इसका व्यास 28 इंच (71 सेमी) का था. इसके भीतर अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम भरा गया था. यह बम अमेरिकी एयरफोर्स के बी-29 बमवर्षक, एनोला गे द्वारा गिराया गया था. बताया जाता है कि इस विस्फोट में 15,000 टन से अधिक टीएनटी की ताकत थी, जिससे तुरंत अनुमानित 70,000 लोग मारे गए. उस वर्ष के अंत तक, मरने वालों की संख्या 140,000 से अधिक हो गई थी. इस बम इलाके की 70 प्रतिशत इमारतें ध्वस्त हो गई थीं. पूरे क्षेत्र में कैंसर केस बढ़ते चले गए.
नागासाकी पर असर
अमेरिका ने तीन दिन बाद नागासाकी में थोड़ा बड़ा प्लूटोनियम बम गिराया. इससे जो विस्फोट हुआ था उससे 6.7 वर्ग किमी का एरिया प्रभावित हुआ. जब विस्फोट हुआ तब ज़मीन का तापमान 4,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया और रेडियोधर्मी वर्षा होने लगी थी. इस असर यह था कि वर्ष 1945 के अंत तक शहर में 74,000 लोग मारे गए.
इससे आप यह समझ सकते हैं कि इन दोनों बमों के विस्फोट की वजह से 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
चिकित्सा सहायता क्यों नहीं पहुंची
सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि इन हमलों में बचे और घायल लोगों को चिकित्सकीय सहायता भी जल्द नहीं पहुंचाई जा सकती है. इसके कारण भी कई लोगों की मौत हो गई. इसके पीछे का कारण और चौंकाने वाला है. 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुई क्षति के कारण सहायता प्रदान करना लगभग असंभव था. इसका कारण यह था कि हिरोशिमा में 90 प्रतिशत चिकित्सक और नर्सें मारे गए थे, जो बचे थे उन्हे खुद मदद की दरकार थी, वे दूसरे की मदद करने की स्थिति में नहीं थे. शहर के 45 में से 42 अस्पताल बेकार हो गए.
अस्पताल क्यों हो गए फेल
इसके बाद शहर के अस्पतालों में ऐसी किसी स्थिति की तैयारी होना ही असंभव है. कारण साफ है कि अस्पतालों में बर्न वार्ड और बेड कम होते हैं और ऐसे हालात में उन्हें अचानक बढ़ाना मुश्किल हो जाता है. हिरोशिमा और नागासाकी में बमबारी के बाद सहायता प्रदान करने के लिए शहरों में प्रवेश करने वालों में से कुछ की तो रेडिएशन से मौत हो गई थी.
पीढ़ियों तक असर
यह तो समझा जा सकता है कि परमाणु विस्फोट से निकली आग के गोले को अपने अधिकतम आकार तक पहुंचने में लगभग 10 सेकंड का समय ही लगता है, लेकिन इसका प्रभाव दशकों तक रहता है और पीढ़ियों तक अपना असर डालता है.
बाद में कौन से बीमारी
हिरोशिमा और नागासाकी में बमबारी के पांच से छह साल बाद, जीवित बचे लोगों में ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुईथी. लगभग एक दशक के बाद, जीवित बचे लोग सामान्य दर से अधिक दर पर थायराइड, स्तन, फेफड़े और अन्य कैंसर से पीड़ित होने लगे थे. बम विस्फोटों के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं में गर्भपात और उनके शिशुओं की मृत्यु की दर काफी ज्यादा बढ़ गई थी. यानी बच्चों के लिए रेडिएशन सीधे असर डालता है. बच्चों में बौद्धिक विकलांगता, बिगड़ा हुआ विकास और कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. यानी यह समझा जा सकता है कि आने वाले कई दशकों तक इसका असर होता है.
दुनिया में कितना परमाण बम
जानकारी के अनुसार दुनिया में इस समय लगभग 12,100 परमाणु हथियार हैं, जिनमें 9,500 से अधिक सक्रिय सैन्य भंडार हैं. इसमें से सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रूस के पास ही हैं. रूस के पास 5,580 परमाणु हथियार हैं. इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 5,044 परमाणु हथियार हैं. चीन के पास 500 परमाणु हथियार हैं. फ़्रांस के पास 470 परमाणु हथियार है. भारत के पास करीब 172 परमाणु हथियार बताए जाते हैं. पाकिस्तान के पास अनुमानतः 170 परमाणु हथियार हैं. इज़राइल के पास अनुमानतः 90 परमाणु हथियार हैं. यूनाइटेड किंगडम के पास 225 हथियार हैं. अच्छी बात यह है कि 1985 में अपने चरम के बाद से परमाणु हथियारों की संख्या में काफी कमी आई है. 1985 के समय विश्व में अनुमानतः 63,600 परमाणु हथियार थे.
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