Saudi Arabia Visa Rules: भारतीय नागरिकों को अब सऊदी अरब की यात्रा के वास्ते वीजा प्राप्त करने के लिए पुलिस सत्यापन प्रमाणपत्र जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। सऊदी अरब के दूतावास ने 17 नवंबर (बृहस्पतिवार) को यह घोषणा की। सऊदी दूतावास की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, “सऊदी अरब और भारत के बीच मजबूत संबंधों और रणनीतिक साझेदारी के मद्देनजर, उसने भारतीय नागरिकों को पुलिस सत्यापन प्रमाणपत्र (पीसीसी) जमा करने से छूट देने का फैसला किया है।”
नई दिल्ली में सऊदी एंबेसी ने ट्विटर पर लिखा, “किंगडम ऑफ सऊदी अरब (Kingdom of Saudi Arabia) और भारत गणराज्य (Republic of India) के बीच मजबूत संबंधों और रणनीतिक साझेदारी के मद्देनजर, किंगडम ने भारतीय नागरिकों को पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) जमा करने से छूट देने का फैसला किया है।”
सऊदी अरब में 20 लाख भारतीय
सऊदी अरब दूतावास की तरफ से जारी किए गए लेटर में कहा गया कि भारतीय नागरिकों को सऊदी अरब की यात्रा के लिए वीजा प्राप्त करने के लिए अब पुलिस पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) जमा करने की आवश्यता नहीं होगी। दूतावास ने कहा कि यह फैसला दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने के प्रयासों के तहत लिया गया है। दूतावास ने कहा वो दो मिलियन से अधिक भारतीयों नागरिक, जो शांति से सऊदी अरब में रह रहे है, उनके योगदान की सराहना करता है।
क्या होता है पीसीसी
पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) एक ऐसा सर्टिफिकेट है जो भारत सरकार, विदेश मंत्रालय के पासपोर्ट डिवीजन द्वारा भारतीय पासपोर्ट एप्लिकेंट होल्डर को जारी किया जाता है। यह सर्टिफिकेट इस बात को इंगित करता है जिस व्यक्ति का ये सर्टिफिकेट है उसका किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी, मारपीट, मर्डर आदि किसी आपराधिक मामलों में शामिल होने का केस थाने में दर्ज नहीं है। इसके साथ ही किसी भी तरह का कोई केस कोर्ट में पेंडिंग नहीं है।
सऊदी अरब और भारत के बढ रहे संबंध
दरअसल भारत जिस तरह सऊदी अरब से लगातार जुड़ा हुआ है, उसका फ़ायदा उसे राजनीतिक मोर्चे पर सऊदी की ओर से सकारात्मक रवैये के तौर पर मिला है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के भारत सरकार के फ़ैसले पर भी सऊदी की प्रक्रिया तुर्की और मलेशिया के उलट सकारात्मक रही। सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर बढ़ते संकट को लेकर पाकिस्तान को चेताया था। सऊदी ने यह संकेत दिया था कि वो कश्मीर मुद्दे पर भारत की चिंताओं और संवेदनशीलता को समझता है।
वैश्विक परिस्थिति में भारत के साथ क़रीबी बढ़ी
ऐतिहासिक रूप से सऊदी अरब पाकिस्तान के क़रीब रहा है लेकिन बदलती वैश्विक परिस्थिति में भारत के साथ क़रीबी बढ़ी है। अक्टूबर 2019 में पीएम मोदी ने भी सऊदी अरब का दौरा किया था। इसी दौरे में सऊदी अरब के साथ स्ट्रैटिजिक पार्टनर्शिप काउंसिल (एसपीसी) पर सहमति बनी थी। इस साल सितंबर महीने में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एसपीसी की बैठक में ही शामिल होने सऊदी अरब गए थे। इस दौरान उन्होंने भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की ओर क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की थी।
सऊदी अरब और भारत का द्विपक्षीय व्यापार मजबूत
एस जयशंकर ने अपने सऊदी दौरे पर कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में न केवल अपने प्रभावी आँकड़ों के कारण सऊदी अरब अहम खिलाड़ी है बल्कि ऊर्जा बाज़ार में भी काफ़ी मज़बूत है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के पारस्परिक निवेश बढ़े हैं। बता दें पिछले वित्त वर्ष में सऊदी अरब से भारत का द्विपक्षीय व्यापार 42.86 अरब डॉलर का था।
पिछले कुछ सालों में भारत और सऊदी अरब के बीच राजनीतिक, सुरक्षा, अक्षय ऊर्जा, व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, डिज़िटल अर्थव्यवस्था, माइनिंग, रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, इन्फ़्रास्ट्रक्चर, कृषि, मैन्युफैक्चरिंग,और रक्षा क्षेत्रों में संबंध काफी मजबूत हुए हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध देखने को मिले थे।
भारत-सऊदी संबंधों की अहमियत
भारत की उभरती अर्थव्यवस्था से सऊदी अरब को निश्चित तौर पर फ़ायदा होगा। न केवल निवेश के ज़रिए बल्कि भारत के स्किल्ड मैनपावर से भी सऊदी अरब को फ़ायदा होगा। दोनों ही वैश्विक और क्षेत्रीय संकट के दौर में अपनी विदेश नीति और प्राथमिकताओं को नई परिभाषा दे रहे हैं। सऊदी अरब के लिए भारत विश्व की आठ बड़ी शक्तियों में से एक है, जिसके साथ वो अपने ‘विज़न 2030’ के तहत रणनीतिक साझेदारी करना चाहता है। (PBNS)
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