सीरिया में विद्रोहियों द्वारा रविवार सुबह दमिश्क पर कब्जा कर लिया गया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि 11 साल पहले घोटा में असद शासन के दौरान हुए केमिकल हमले में 1000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. घोटा को विद्रोहियों का गढ़ माना जाता है.
सीरिया मं विद्रोहियों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. इस वजह से राष्ट्रपति बशर अल-असद वहां से विशेष विमान में भाग गए हैं और इसके साथ ही वहां तख्तापलट हो गया है. हालांकि, प्रधानमंत्री मोहम्मद जलाली देश में ही हैं और उन्होंने कहा है कि वह शांतिपूर्ण तरीके से सब सौंपने के लिए तैयार हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 11 साल पहले दमिश्क के नजदीक स्थित घोटा में एक केमिकल अटैक कराया गया था, जिसमें 1000 से ज्यादा लोगों की दम घुटने की वजह से मौत हो गई थी. इतना ही नहीं इस हमले की न ही किसी ने जिम्मेदारी ली थी और न ही राष्ट्रपति द्वारा इस पर कोई कार्रवाई की गई थी. इस अटैक पर आजतक भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
अगस्त 2013 में हुआ था हमला
जानकारी के मुताबिक घोटा विद्रोहियों का गढ़ रहा है. यहां पर अगस्त 2013 में सरिन गैस का इस्तेमाल करते हुए एक केमिकल अटैक किया गया था. बता दें कि घोटा सीरिया की राजधानी दमिश्क के नॉर्थईस्ट में स्थित है. इस केमिकल अटैक में कम से कम 1000 से लोगों की मौत हो गई थी. बशर अल-असद के शासन के दौरान हुए इस अटैक के लिए आजतक भी किसी को कोई सजा नहीं दी गई है.
अबतक 222 केमिकल हमले किए गए
दरअसल, 21 अगस्त 2013 को सीरिया की राजधानी दमिश्क के उत्तर-पूर्व में स्थित पूर्वी घोटा क्षेत्र में सरीन गैस वाली मिसाइलों से हमला किया गया था. वहां मौजूद एनजीओ और मेडिकल टीमों ने बताया था कि इस हमले में कम से कम 1400 लोगों की मौत हो गई है – जिनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे थे. एनजीओ के मुताबिक यह हमला कोई अलग-थलग हमला नहीं ङा और अब तक सीरिया में इस तरह 222 केमिकल हमले किए जा चुके हैं.
यूएन ने रिपोर्ट में भी की थी हमले की पुष्टि
घोटा में हुए हमले के एक महीने बाद संयुक्त राष्ट्र मिशन की जांच में पुष्टि हुई थी कि हमले में सबसे जहरीले रासायन सरीन का इस्तेमाल किया गया है. यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, “हमने जो पर्यावरणीय, रासायनिक और चिकित्सीय नमूने इकट्ठा किए हैं, उनसे स्पष्ट और विश्वसनीय साक्ष्य मिलते हैं कि सतह से सतह पर मार करने वाले रॉकेटों में सरीन का इस्तेमाल किया गया था.” सरीन, हवा से भी भारी होता है और इस वजह से यह ऊपर जाने की बजाए नीचे जाता है और जब लोग अपनी जान बचाने के लिए बेसमेंट में शरण ले रहे थे, तब दम घुटने के कारण उनकी मौत हो गई.
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