December 12, 2024
रोती मां, बिलखते पिता... अतुल सुभाष की खुदकुशी पर क्या बोल रहे एक्सपर्ट

रोती मां, बिलखते पिता… अतुल सुभाष की खुदकुशी पर क्या बोल रहे एक्सपर्ट​

बेंगलुरु के आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत के गम में उसके माता-पिता का बुरा हाल है. उसकी मां के आंसू सूख नहीं रहे और पिता की भी आंखें नम हैं. गम में उनका गला रुंध रहा है. उन्होंने बड़े अरमानों से बेटे को पढ़ा लिखाकर उसे इंजीनियर बनाया था, शादी की थी. अब उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है कि उनके 34 साल के बेटे ने खुदकुशी कर ली. इस केस को लेकर एनडीटीवी ने विभिन्न विशेषज्ञों से उनकी राय जानी. उन्होंने मौजूदा समाज में पति-पत्नी और परिवार में प्रेम का भाव खत्म होने की बात कही और न्यायपालिका व सामाजिक संबंधों को लेकर बड़े सवाल उठाए.

बेंगलुरु के आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत के गम में उसके माता-पिता का बुरा हाल है. उसकी मां के आंसू सूख नहीं रहे और पिता की भी आंखें नम हैं. गम में उनका गला रुंध रहा है. उन्होंने बड़े अरमानों से बेटे को पढ़ा लिखाकर उसे इंजीनियर बनाया था, शादी की थी. अब उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है कि उनके 34 साल के बेटे ने खुदकुशी कर ली. इस केस को लेकर एनडीटीवी ने विभिन्न विशेषज्ञों से उनकी राय जानी. उन्होंने मौजूदा समाज में पति-पत्नी और परिवार में प्रेम का भाव खत्म होने की बात कही और न्यायपालिका व सामाजिक संबंधों को लेकर बड़े सवाल उठाए.

बेंगलुरु के आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत के गम में उसके माता-पिता का बुरा हाल है. उसकी मां के आंसू सूख नहीं रहे और पिता की भी आंखें नम हैं. गम में उनका गला रुंध रहा है. उन्होंने बड़े अरमानों से बेटे को पढ़ा लिखाकर उसे इंजीनियर बनाया था, शादी की थी. अब उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है कि उनके 34 साल के बेटे ने खुदकुशी कर ली. इस केस को लेकर एनडीटीवी ने विभिन्न विशेषज्ञों से उनकी राय जानी. उन्होंने मौजूदा समाज में पति-पत्नी और परिवार में प्रेम का भाव खत्म होने की बात कही और न्यायपालिका व सामाजिक संबंधों को लेकर बड़े सवाल उठाए.

अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने कहा कि, मेरे बच्चे को इंसाफ दिला दीजिए और कुछ नहीं चाहिए. अतुल के पिता पवन मोदी ने कहा कि, बहुत टार्चर किया. हमको नहीं बताता था.

”प्रेम की सही परिभाषा गढ़ने की जरूरत”

सुप्रीम कोर्ट के मीडिएटर संदीप दुबे ने एनडीटीवी से कहा कि, ”भारत में कोई एक ऐसा कपल बताएं जो लड़ता न हो. एक ऐसा घर बताएं जहां बच्चों ने देखा हो कि मां-बाप में लड़ाई नहीं हुई. जैसे ही शादी होती है हम पार्टी बन जाते हैं. जब समाज पार्टी बनाकर अपने रिश्ते को देखता है तो दोनों पार्टियों के साथ दोनों तरफ पांच-छह लोग खड़े हो जाते हैं. प्रेम स्वरूप ही नहीं ले पा रहा. हम पति-पत्नी ऐसे व्यवहार में आ ही नहीं पा रहे कि हमें भी एक रिश्ते को पालना है. पिता को पता है कि बिटिया गलत कर रही है, पुत्र गलत कर रहा है, तब भी पिताजी पालते हैं. दो थप्पड़ लगा देते हैं. जो गल्ती किया, वह झुक जाता है. आज समाज झुकना ही पसंद नहीं करता. कई बारे ऐसे केस आते हैं कि पति-पत्नी तो मिलना चाहते हैं, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य उन्हें नहीं मिलने देना चाहते. समाज बहुत न्यूनतम स्तर पर पहुंचता चला जा रहा है. समाज में प्रेम की सही परिभाषा गढ़ने की जरूरत है. बच्चों को समझाने की जरूरत है कि प्रेम है क्या.”

सुसाइड नोट से न्याय व्यवस्था पर उठे सवाल

वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह ने कहा कि, ”अतुल के नोट में लिखा है कि जज साहिबा ने कहा कि तुम सुसाइड क्यों नहीं कर लेते. मृत आदमी के नोट में कहा गया है कि जज साहिबा कहती हैं कि 5 लाख रुपये मुझे दे दो फिर में सैटेल करवा दूंगी. मेरा सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट और बाकी लोग क्या कर रहे हैं. महिलाओं के खिलाफ प्रताड़ना होती है, इसमें कोई विवाद नहीं है. लेकिन क्या जिन महिलाओं के खिलाफ प्रताड़ना हो रही है वे कम जा रही हैं. ऐसे केस ज्यादा हो रहे हैं. जो आदमी गुजरा है, उसने पूरी टाइमलाइन नोट की है.”

#NDTVMuqabla | अतुल सुभाष की खुदकुशी, सिस्टम जिम्मेदार?@maryashakil | @sanjays04 | #AtulSubhash pic.twitter.com/BIqXcW9XDL

— NDTV India (@ndtvindia) December 11, 2024

”झूठे आरोप लगाने वाले कोर्ट का समय कैसे बर्बाद कर रहे?”

मनोवैज्ञानिक जयंती दत्ता ने कहा कि, ”महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है उन्हें टुकड़ों में काट डाला जाता है, जैसे श्रद्धा का हुआ. बेंगलुरु में ही एक बच्ची मारी गई जिसका मांस कुकर में पकाया गया, कुत्तों को खिलाया गया. पुरुष इस तरह से प्रताड़ित होते हैं झूठे आरोपों पर. उसी केस में अगर आप देखें तो इस लड़की ने कहा था कि मेरे फादर की मौत के लिए मेरा हसबैंड जिम्मेदार है. उसने कोर्ट में जजों और वकीलों की मौजूदगी में कहा कि तुम सुसाइड क्यों नहीं कर लेते. दो साल का बच्चा कानून वगैरह नहीं समझता. उसके तहत भी यदि फाइल हो रहा है केस, तो हमारी न्याय व्यवस्था कहां है? जो झूठे आरोप लगा रहा है. जो यौन उत्पीड़न की बात कही, वह भी झूठा प्रूफ हो चुका था. ऐसे लोगों को कोर्ट का समय बर्बाद क्यों करने दिया जाता है. हम निर्भया केस के लिए आठ साल तक लड़े, आज भी हम उसी मोड़ पर खड़े हैं.”

चार लोगों के खिलाफ एफआईआर

बेंगलुरु में अतुल सुभाष की खुदकुशी के मामले में चार लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, निकिता के भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है.

मौत को गले लगाने से पहले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा और करीब डेढ़ घंटे का वीडियो बनाकर अपना पूरा दर्द बयां किया. वे वैवाहिक जीवन में व्यक्तिगत तनाव से तो जूझ ही रहे थे, अपने खिलाफ दायर कई मुकदमों से भी काफी परेशान थे.

सोमवार की सुबह बेंगलुरु पुलिस अतुल सुभाष के कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंची. उनका शव पंखे से लटका हुआ था. साथ में एक प्लेकार्ड भी था जिस पर लिखा था Justice is due, यानी न्याय बाकी है. पुलिस ने जो सुसाइड नोट बरामद किया उसमें लिखा था कि अतुल के ससुराल वालों ने ससुर की हत्या समेत दहेज प्रताड़ना समेत नौ केस दर्ज करा रखे थे. अतुल सुभाष के खिलाफ यूपी के जौनपुर की एक फैमिली कोर्ट में केस लंबित है.

मौत पहले से बेटे के नाम पिता का नोट

अतुल सुभाष बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे. सन 2019 में उनकी शादी इंटरनेट की मदद से हुई थी. उनका दो साल का बेटा है. सुसाइड नोट में उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने बेटे को उनसे दूर रखा. उन्होंने अपने बेटे के लिए भी एक छोटा नोट छोड़ा है, जिसमें लिखा है- ”जब मैंने पहली बार तुम्हें देखा तो सोचा कि मैं किसी भी दिन तुम्हारे लिए अपनी जान दे सकता हूं. लेकिन अफसोस तुम्हारी वजह से मैं जान दे रहा हूं. मैं बस कभी कभार एक दर्द के अलावा तुम्हारे बारे में कुछ और महसूस नहीं करता. अब तुम मुझे एक ब्लैकमेल की चीज लगते हो जिसके जरिए मुझसे ज्यादा से ज्यादा ऐंठा जाएगा.”

सुभाष ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में न्यायपालिका पर खत्म हो चुके अपने भरोसे का भी जिक्र किया है और आरोप लगाया है कि भारत में पुरुषों का कानूनी नरसंहार हो रहा है. मौत को गले लगाने से पहले उन्होंने लिखा कि कोर्ट से 120 तारीखें मिलीं और 40 बार वे खुद बेंगलुरु से जौनपुर जा चुके थे. अतुल के माता-पिता और भाई को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे थे.

हालांकि अतुल के ससुराल से जुड़े लोग सारे आरोपों से इनकार कर रहे हैं. खुदकुशी को कहीं से जायज नहीं ठहराया जा सकता है. लेकिन अतुल सुभाष की खुदकुशी ने जो हजारों सवाल खड़े कि हैं उनका जवाब ढूंढकर अतुल सुभाष जैसे उन युवाओं की जान बचाई जा सकती है जो परिवार, समाज और सिस्टम की वजह से मौत को गले लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

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